Murder in Malhotra Mansion - Part 2 in Hindi Detective stories by Rohan Beniwal books and stories PDF | मल्होत्रा‌ मेंशन में मर्डर - भाग 2

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मल्होत्रा‌ मेंशन में मर्डर - भाग 2

"यह मेरी रचना मल्होत्रा मेंशन में मर्डर का दूसरा भाग पेश है।

मैं मानता हूं कि आपने पहला भाग पढ़ लिया होगा — क्योंकि अब कहानी उसी रहस्यमय मोड़ से आगे बढ़ने जा रही है।

अगर नहीं पढ़ा है, तो पहले भाग में लौटें, ताकि हर किरदार की परछाईं और हर राज की परत पूरी तरह आपके सामने खुल सके।"


9 जनवरी,2025


रोहन पर हमला

घड़ी में 7:00 बज रहे थे। मैं सुबह 6:00 बजे से ही रोहन का इंतज़ार कर रहा था।
वैसे तो रोहन आलसी किस्म का आदमी है, लेकिन केस के मामले में वह कभी लापरवाही नहीं करता। और यही कारण था कि मुझे उसकी चिंता होने लगी थी।

करीब 7:15 बजे मेरे पास फोन आया—रोहन SMS अस्पताल में भर्ती है।

करीब 7:30 तक मैं SMS पहुँच चुका था।
रोहन को गंभीर चोटें तो नहीं आई थीं, लेकिन उसके बाएँ पैर की हड्डी फ्रैक्चर हो गई थी, और कुछ छोटी-मोटी खरोंचें भी आई थीं।
डॉक्टरों के मुताबिक, उसे कल से पहले हॉस्पिटल से डिस्चार्ज नहीं मिलने वाला था।

मैंने उससे पूछा, “तुम्हारी ये हालत कैसे हो गई?”
उसने बड़ी लापरवाही से कहा, “कुछ नहीं, बस एक सफारी के साथ दो-दो हाथ हो गए।”
“तुम्हें इस हालत में भी मज़ाक सूझ रहा है?” मैंने थोड़े गुस्से में कहा।

उसने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा, “आज के प्लान में थोड़ा बदलाव आ गया है। अब तुम अकेले सावित्री देवी और मिस्टर मल्होत्रा के वकील से मिलोगे। मुझे यक़ीन है कि तुम मेरे बिना भी सब कुछ संभाल लोगे।”
“वो सब तो ठीक है, लेकिन मुझे पहले ये पता करना होगा कि तुम पर हमला किया किसने।” मैंने कहा।
“इसकी चिंता मत करो, वो मिस्त्री था।” उसने कहा।
“रघु पहलवान उर्फ़ मिस्त्री?” मैंने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ,” उसने कहा।
“तुम्हें यक़ीन है? मतलब क्या तुमने उसे देखा था?”
“नहीं, उसने नकाब पहन रखा था, पर मैंने उसकी दायीं बाजू पर बना टैटू देखा था। इसमें कोई दो राय नहीं कि वही था,” उसने आत्मविश्वास के साथ कहा।
“ठीक है, तो मैं उसे अभी थाने बुलाता हूँ।”

“नहीं, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे,” उसने कहा।
“पर क्यों?” मैंने पूछा।
“कल उससे मैं खुद निपट लूंगा।”
“लेकिन तब तक तो वो अंडरग्राउंड हो जाएगा।” मैंने थोड़ी चिंता जताई।
“गायब तो तब होगा न जब उसे पता होगा कि मुझे पता है कि उसने ही मुझ पर हमला किया था।”
“तो तुम कहना चाहते हो कि हमें उसे खुला छोड़ देना चाहिए?”
“हाँ।”

मुझे उसका यह विचार पसंद तो नहीं आया, पर अगर वह कह रहा था, तो जरूर उसके दिमाग में कुछ चल रहा हगा। मैंने कहा, “ठीक है।”
“क्या तुम मुझे अपना फोन दोगे? मेरा फोन टूट गया है।” उसने कहा।
मैंने उसे अपना फोन दे दिया।
उसने एक नंबर डायल किया और बात करने लगा।

फोन पर हुई बातचीत कुछ इस प्रकार थी—
(क्योंकि सामने कौन था और उसने क्या कहा, यह मैं नहीं सुन सकता था, इसलिए यहाँ सिर्फ रोहन द्वारा कही गई बातों का विवरण है।)

“हेलो, मैं रोहन बोल रहा हूँ।”
“नहीं, ये रंजीत का नंबर है?”
“हाँ, इंस्पेक्टर रंजीत का।”
“क्या तुमने पता किया?”
“क्या तुम्हें यक़ीन है?”
“ये कब की और कहाँ की बात है?”
“तब तो किसी न किसी सीसीटीवी कैमरे में हम मिल ही जाएंगे।”
“बहुत बढ़िया। तुम्हें तुम्हारा इनाम मिल जाएगा।”

फोन रखने के बाद मैंने पूछा, “किससे बात कर रहे थे?”
“रवी से।” फोन लौटाते हुए उसने कहा।
“रवी कौन?”
“वही गाँधी नगर रॉबरी वाला।”
“तुम उससे क्यों बात कर रहे थे?”
“कुछ नहीं। जब वो जेल में था, तो मैंने उसके परिवार की मदद की थी। उसकी 7 साल की एक बेटी भी है।
तब से, जबसे वो जेल से छूटा है, वह मेरे लिए काम कर रहा है। चिंता मत करो, अब वह चोरी नहीं करता—मेरे यहाँ काम करता है।”
“और ज़रूरत पड़ने पर तुम्हारे लिए जानकारी निकालता है।” मैंने कहा।
“हाँ, बिल्कुल सही कहा।”
“तो क्या बताया उसने?”

“पवन को जाते वक्त कहना कि मुझसे मिले,” उसने कहा।
“तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया,” मैंने टोका।

लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा, “तुम्हें देर नहीं हो रही? अभी सावित्री देवी से मिलने जाओगे, तभी तो समय पर मिस्टर मल्होत्रा के वकील से मिल पाओगे।”

मैं रोहन को अच्छे से जानता हूँ, इसलिए अब उससे बहस करने का कोई फ़ायदा नहीं था।
मैंने तय किया कि खुद ही रवी से बात कर लूँ।

लेकिन जैसे ही मैंने अपना मोबाइल उठाया, मेरा मन किया कि रोहन का दूसरा पैर भी तोड़ दूँ—
उस हरामजादे ने, बात करने के बाद, रवी का नंबर डिलीट कर दिया था।

मैं बस बेबस होकर वहाँ से चल पड़ा... और पवन को रोहन से मिलने भेज दिया।

रोहन द नरेटर

कुछ वक्त के लिए मैं, यानी महान जासूस रोहन, आपका नैरेटर हूँ।
क्यों?
क्योंकि अस्पताल में पड़े-पड़े मैं बोर हो रहा था, तो सोचा—अकेला क्यों बोर होऊँ?
क्या मतलब, रंजीत बढ़िया नैरेट कर रहा था?
कहानी का मुख्य पात्र मैं हूँ, तो नैरेट भी मैं ही करूँगा। कम से कम तब तक, जब तक मैं अस्पताल में कैद हूँ।

हाँ तो, रंजीत सावित्री देवी से मिलने जा चुका है और पवन भी बस पहुँचने वाला है। उसके आने से पहले मैं आपको बता दूँ कि पवन एक खुशमिजाज, जिंदादिल और सुलझा हुआ आदमी है। वह 2022 की बैच से पासआउट है और अपने बैच का गोल्ड मेडलिस्ट भी है। मुझे वह खासा पसंद है क्योंकि वह मेरी इज़्ज़त करता है, मुझे "सर" कहता है और रंजीत की तरह मुझे बार-बार टोकता नहीं।
मैं उससे पहली बार डायमंड रॉबरी केस के दौरान मिला था।

एक मिनट, क्या मैं ठीक से नैरेट कर रहा हूँ?
क्या नहीं कर रहा?
आप बोर हो रहे हैं मुझसे?
हाँ, अब तो मुझे भी लगने लगा है कि ये मेरे बस की बात नहीं।
पर अब क्या किया जा सकता है—कुछ वक्त तो आपको मुझे झेलना ही पड़ेगा।
चलो, कोई नहीं। एक बार फिर कोशिश करता हूँ—इस बार थोड़ा सीरियस होकर।

रंजीत के जाने के आधे घंटे बाद ही सब-इंस्पेक्टर पवन मेरे सामने खड़ा था।

"तुम्हें परेशान करने के लिए माफ़ी चाहूँगा। अगर मेरी यह हालत नहीं होती तो मैं खुद तुम्हारे पास आता," मैंने पवन से कहा।

"इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं है, सर। यह तो मेरा काम है," पवन बोला।

"क्या तुमने राजेश मल्होत्रा के घर के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की, खास तौर पर कॉटेज की तरफ वाले कैमरों की?"

"हाँ सर, मैंने की।"

"कुछ खास पता चला?"

"हाँ सर। मल्होत्रा मेंशन में काम करने वालों के बयान सही थे, वे सब कॉटेज में ही थे।"

"इसमें खास बात क्या है?"

"असल में, सर, मुझे पता चल गया है कि रोहित जिम के बाद कहाँ गया था।"

"वह सुनीता के साथ था," मैंने पवन से कहा।

"हाँ, बिल्कुल सर! आपको कैसे पता?" उसने चौंकते हुए पूछा।

"जितना मैं रोहित को जानता हूँ, वह एक नंबर का अय्याश है। और जैसा कि तुमने कहा कि तुम्हें पता है वह कहाँ गया था, तो अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि वह कहाँ गुलछर्रे उड़ा रहा था।"

"मुझे भी यही लगता है, सर।"

"क्या तुमने अमित के बारे में भी पता किया कि वह कहाँ था?"

"हाँ सर, हमने उसकी फोन लोकेशन ट्रैक कर ली थी और उसके अनुसार वह ऑफिस पहुँचने से पहले अपने ऑफिस के पास ही Starbucks कैफ़े में था।"

"तुम्हारी शक्ल बता रही है कि तुम्हें कुछ दिलचस्प पता चला है।"

"हाँ सर। असल में अमित मिस्टर सिंघानिया से मिला था।"

"दिलचस्प। यह तो मिस्टर मल्होत्रा का राइवल है ना?"

"जी हाँ, सर।"

"मुझे यकीन है, पवन, तुमने यह भी पता कर लिया होगा कि वह क्यों मिला था?"

"जी हाँ, सर। असल में वह एक टेंडर जो मिस्टर मल्होत्रा ने एक बड़ी रकम देकर हासिल किया था, उसे सिंघानिया को देना चाहता है। क्योंकि मिस्टर मल्होत्रा की तबीयत खराब होने के बाद, जब से अमित ने बिज़नेस संभाला है, उसके कई गलत फैसलों ने मल्होत्रा इंडस्ट्रीज़ को काफी नुकसान पहुँचाया है।"

"ओह, तो ये बात है।"

"जी हाँ, सर। और मुझे तो यह लगता है कि अमित और मिस्टर मल्होत्रा के बीच तनाव का कारण भी यही था।"

"असल में उनके बीच तनाव का कारण यह था कि मिस्टर मल्होत्रा उसकी जगह साक्षी को देना चाहते थे। और अब मुझे समझ में आ रहा है कि क्यों वह अमित को बिज़नेस से हटाना चाहते थे।"

"इस बात का तो मुझे भी नहीं पता था। आप तो वाकई में काफी चालाक हैं, सर।"

"क्यों, तुम्हें इस बात पर शक था?"

"नहीं सर, ऐसी कोई बात नहीं है।"

"वैसे, मैंने तुम्हें यहाँ एक ज़रूरी काम के लिए बुलाया है।"

"क्या काम?"

"तुम बापू बाजार जाओ और वहाँ जो रॉयल कॉफी शॉप है, वहाँ की 2 तारीख की सीसीटीवी फुटेज चेक करो। तुम्हें कुछ खास पता चलेगा। जैसे ही तुम यह काम कर लो, मुझे फोन करना। मेरा फोन टूट गया है, तो मेरे दूसरे नंबर पर फोन करना। मैंने दूसरा फोन घर से मंगवा लिया है।"

"जी सर।"

"और तुम्हारी सहूलियत के लिए बता दूँ कि पूरे दिन की फुटेज चेक करने की ज़रूरत नहीं है—दोपहर एक से दो के बीच की चेक कर लेना।"

"जी सर।"

"अब तुम जा सकते हो।"