Monster the risky love - 45 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 45

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दानव द रिस्की लव - 45

वशीकरण दोबारा....

............. Now on.........

 
अदिति को होश आता है......
विवेक : अदिति...
अदिति : विवेक.... क्या हुआ...?
विवेक : एम सॉरी अदिति मुझे तुम्हें किस नहीं करना चाहिए था....!
अदिति : क्या कह रहे हो विवेक....और मैं यहां कैसे आ गई.... मुझे भैय्या को सब सच बताना है.....
(यहां अदिति को सबकुछ याद आ जाता है...आप सोच रहे होंगे विवेक के किस करने पर ऐसा क्यूं हुआ तो ये बात आपको कहानी के आगे के भाग में पता चलेंगी)
विवेक : क्या सच बताना है अदिति.....?
कंचन : हां बोलो अदिति......
अदिति : विवेक ....वो तक्ष ..... कोई इंसान नहीं है वो एक पिशाच है.....
कंचन ने हैरानी से पूछा..." ये क्या कह रही हो अदिति....?.."
अदिति : हां कंचन मैं सच कह रही हूं वो एक पिशाच है.... वो मेरा रूप बनाकर विवेक तुम्हारे पास आया था....
विवेक : मेरे पास....?
अदिति : हां जब मालती आंटी ने हमें बुलाया था.....
विवेक : ओह ... याद आया...उस दिन जभी मुझे लगा तुम कुछ अलग बिहेवियर कर रही हो...
श्रुति : मुझे नहीं लगता वो कोई पिशाच वगैरह है.....?
अदिति : मैंने उसे अपनी आंखों से देखा है....वो मुझे मार देगा....(इतना कहते ही अदिति घबरा जाती है... विवेक उसे अपनी बाहों में भर लेता है)...
विवेक : रिलेक्स अदिति मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा......
अदिति : विवेक भाई कहां है.......?
विवेक : अदिति हम यहां रोज वैली में है... इसलिए भाई यहां नहीं है....
अदिति : हम रोज वैली में है .....तो विवेक हम उन अघोरी बाबा से मिल सकते है.... वो जरूर हमें सोल्यूशन बता देंगे....(अदिति की बात सुनकर विवेक सवालिया नज़रों से अदिति को देखता है)... क्या हुआ विवेक इस तरह क्यूं देख रहे हो.....?
विवेक : अदिति तुम्हें कुछ याद नहीं.....?
अदिति : क्या याद नहीं विवेक.....?
विवेक : अदिति अघोरी बाबा तो कबके मर चुके हैं....?.. उन्हें पता नहीं किसने बड़ी बेरहमी से मारा है...(अदिति विवेक की बात सुनकर और घबरा जाती है)...
अदिति : उसने उन्हें मार दिया....
विवेक : किसने अदिति.....?
अदिति : तक्ष ने.... उसने कहा था वो....
विवेक : वो क्या अदिति.....?
अदिति :  तक्ष ने कहा था वो उन्हें खा..... जाएगा (इतना कहकर अदिति कांपने लगती हैं... अदिति को कांपता देख विवेक उसे अपने सीने से लगा लेता है.....).. विवेक वो मुझे मार देगा.....
विवेक : अदिति शांत हो जाओ.... तुम्हें कुछ नहीं होगा.......
अदिति : .... विवेक....भाई ... को... बुला....लो ... यहां.....
विवेक : हां अदिति मैं उन्हें बुला लूंगा..... कंचन इसके पास ही रहना.....
कंचन : ठीक है....(अदिति को कमरे में छोड़कर तीनों रुम से चले जाते हैं...)
 श्रुति : क्या सोच रहे विवेक .....?.... क्या पता अदिति का वहम हो....
विवेक : नहीं अदिति का वहम नहीं है...(विवेक की बात को काटते हुए श्रुति बोलती है)....
श्रुति : विवेक याद है एक बार अदिति ने कालेज में भी यही कहा था कि तक्ष पिशाच है और कुछ ही देर बाद खुद ने मना कर दिया मैंने कब कहा......
श्रुति की बात को याद करते हुए हितेन ने कहा..." हां विवेक एक बार हुआ था ऐसा....."
विवेक : हां मुझे याद है लेकिन अब अदिति झुठ नहीं बोल रही है कुछ तो बात है...
हितेन : विवेक तू ज्यादा ही सोच रहा है....
विवेक : अच्छा ठीक है मैं भाई को यहां बुलाता हूं....(विवेक जैसे ही काल लगाने जाता है तभी एक नौकर आता है...)
" छोटे साहब कोई आदित्य आए हैं..."
नौकर की बात सुनकर तीनों हैरानी से उसे देखते हैं....
विवेक ने हैरानी जताते हुए कहा..." रमेश काका .... उन्हें अंदर भेज दो..."
" जी छोटे साहब..." ( नौकर चला जाता है)
हितेन : यार अभी तो हमने उन्हें बुलाया भी नहीं और वो अचानक आ गये....
विवेक : जो भी हो... उन्हें अदिति की बहुत चिंता रहती है इसलिए आ गये होंगे.... वैसे सही भी है अब हम उन्हें सब बता देंगे....
नौकर आदित्य को लेकर आता है....
विवेक : भाई अच्छा हुआ आप गये ......
आदित्य : हां आना तो था... अदिति कैसी है....?
विवेक : वो अब बिल्कुल ठीक है....आप बैठो....
आदित्य : नहीं मुझे पहले अदिति से मिलना है....
विवेक आदित्य को हैरानी से देखते हुए सोचता है..." भाई तो अदिति को अधिकतर अदि बुलाते हैं....
विवेक के ध्यान को हटाते हुए आदित्य फिर कहता है..." विवेक अदिति कहां है बताओ...."
विवेक : हां चलिए....(विवेक आदित्य को कमरे में लेकर जाता है ... अदिति आदित्य को देखकर खुश हो जाती है).
अदिति : भैय्या....(अदिति जैसे ही आदित्य के गले लगने के लिए जाती है आदित्य उसे हाथों से दूर ही रुकने का इशारा करता है).... भैय्या....
आदित्य : अदिति तुझे आराम की जरूरत है...लेट जा....
अदिति : भैय्या... लेकिन 
आदित्य : मेरी अदिति अब बात नहीं मानती.....
अदिति : नहीं भैय्या ठीक है.....
विवेक : भाई आपको कुछ बताना है.....
आदित्य : क्या बताना है विवेक....?
अदिति : हां भैय्या....
आदित्य : ठीक है फिर अदिति तू बता.....
अदिति : भैय्या वो तक्ष न कोई इंसान नहीं है
आदित्य : फिर क्या है....?
अदिति : वो एक पिशाच है....
आदित्य : क्या अदिति.. पहले वो भयानक चेहरे वाला और अब तक्ष इंसान नहीं है....
अदिति : पर भैय्या मैंने कब बताया
आदित्य ने अदिति की बात को काटते हुए कहा " बस अदिति अब चुपचाप लेट जाओ...और अब कोई ऐसी वैसी बात नहीं..."
विवेक : भाई ये सच 
आदित्य : विवेक...तुम सब बाहर जाओ मुझे अदिति से कुछ बात करनी है ...जाओ 
विवेक : ठीक है......(चारों वहां से चले जाते हैं)....
कंचन : विवेक मुझे भाई का बिहेवियर अजीब लग रहा है....
विवेक : ठीक कहा कंचन..... लेकिन क्या करूं ...
उधर आदित्य अदिति के पास जाकर बैठता है 
अदिति : भैय्या मैं सच कह रही हूं तक्ष इंसान नहीं है...
आदित्य अदिति के चेहरे को पकड़ते हुए कहता है.." अदिति तुम्हारा वहम होगा....ये सब छोड़ो....ये देखो मैं क्या लाया हूं तुम्हारे जन्मदिन का गिफ्ट...."
अदिति : वाओ ....ये तो बहुत अच्छा है भैय्या.....
आदित्य : अच्छा है न .....लो पहनो इसे फिर तुम सब कुछ भूल जाओगी.....
अदिति : भूल जाऊंगी ..... लेकिन क्या भैय्या....?
आदित्य : ओह अदिति...अपना डर ये मैंने जो तुम्हारे लिए बनवाया है इससे तुम्हें कभी डर नहीं लगेगा....
अदिति : ठीक है भैय्या......
अदिति जैसे ही लाकेट को पहनती हैं कुछ ही पल में बेहोश हो जाती है....
 
 
आखिर लाकेट में ऐसा क्या है जिसे पहनकर अदिति तुरंत बेहोश हो गई..... आखिर क्यों आदित्य अजीब बिहेवियर कर रहा है..... जानिए अगले भाग में...
 
...........to be continued.......