Garib in Hindi Children Stories by progress.computer center books and stories PDF | गरीब (एक कहानी मेरी भी)

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गरीब (एक कहानी मेरी भी)

एक कहानी मेरी भी (पार्ट-1)
एक लड़का था जिसके पिता और पांच भाई थे वह बहुत गरीब थे क्योंकि उनके पिता की कोई कारणवंश मौत हो गई थी उनमे से उस लड़के के पिता भोले होने के कारण उनके बड़े भाई ने उन्हें गांव भेज दिया था गांव में उन्होंने अपने पुस्तैनी काम को करके अपने परिवार का पालन पोषण किया और अपने बच्चो को ज्ञान अर्जित कराया गांव में उन्होंने अपने पुस्तैनी काम को करके अपने परिवार का पालन पोषण किया और अपने बच्चो को ज्ञान अर्जित कराया और वह लड़का और पांच भाई थे और चार बहने थी उनमे से कोई कारणवंश उसकी बड़ी बहन की मोत हो गई थी उसका बड़ा भाई अपने चाचा के साथ काम करता था क्योंकि उसके चाचा बहुत बड़े संत थे और दो भाई अपने नाना के पास रहते थे और दो भाई अपने पिता के साथ रहते थे पिता के पास रहने वाले दो भाइयो का सपना था की वह दोनों मिलकर एक घर बनाएंगे जब वो दोनों दसवीं में पड़ते थे तो वो दोनों साथ में अपना पुश्तैनी काम भी करते थे दसवीं पास होने के बाद उनमे से एक भाई की शादी हो जाती है फिर दिवाली के दिन जब दोनों अपने हिस्से का अनाज लेने जाते है तो उनमे से एक भाई की एक सेठ के साथ लड़ाई हो जाती है तो उनमे से एक भाई ने पुस्तैनी काम करने से मना कर दिया और फिर कुछ दिन भटकने के बाद उसकी एक किले में नौकरी लग जाती है और फिर वह अपना घर बनाता है और छोटे भाई की शादी करवाता है शादी होने के बाद उसके भाई ने उसे अपने घर ने निकाल दिया था इशलिये उसने फिर एक नया घर बनाने की ठान लिया था और वह लड़का अपने दोस्तों से पैसे उधार लेके आपातकालीन सिथति में घर बनाता है और फिर कुछ सालो के बाद उस लड़के को घुटनो की समस्या हो गयी थी किले में ज्यादा भारीभरकम काम करने से उसके घुटनो में सूजन आ जाती थी और बहुत ही ज्यादा दर्द होने लगता था वह लड़का बहुत ही ईमानदार था लेकिन उसकी इमानदारी से जो नसेड़ी स्टाफ थे वो बहुत ही ज्यादा उससे नाराज़ होते थे एक दिन उन्होने उस पर चोरी का झूठा इल्जाम लगाया तो फिर उसने विरोध किया पर उसकी किसी ने नहीं मानी तो उसने किले से इस्तीफा दे दिया उसके घर वालो ने उसे बहुत मना किया फिर भी उसने नौकरी छोड़ दी और वह गांव आ गया और उसने गांव में एक दुकान किराये पर ली चार साल रहने के बाद उसे उस दुकान से निकलवा दिया गया फिर भी लड़के ने हार नहीं मानी उसने एक डॉक्टर की मदद से सरपंच की दुकान किराये पर ली और उसमें अपना पुस्तैनी काम करना शुरू किया वह लड़का बूढ़े लोगो से अपने काम का पैसा नहीं लेता था उसके घुटनो में दर्द होने के कारण उसने हर एक आदमी के नुस्के का प्रयोग किया और हर एक अघोरी बाबा के पास गया अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों का सेवन किया जिससे उसके पेट की सारी आंते बहुत धीरे काम करने लगी थी फिर एक दिन अचानक जो हुआ उसे देखने के बाद कोई भी जीना नहीं चाहता था