Mysterious forest in Hindi Short Stories by Sumit Sharma books and stories PDF | रहस्मय जंगल

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रहस्मय जंगल




उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा-सा गाँव था—घनश्यामपुर। प्रकृति की गोद में बसा यह गाँव बाहर से तो शांत और सुंदर लगता था, लेकिन इसकी सीमाओं के पास एक ऐसा जंगल था, जिसकी हवा में एक अजीब सी सिहरन समाई हुई थी।
इस जंगल को लोग "काली छाँव" के नाम से जानते थे। कहते हैं, वहाँ सूरज की रोशनी भी डर-डर कर आती है। दिन में भी वहाँ एक रहस्यमयी अंधेरा पसरा रहता है, जैसे कोई छाया हर पेड़ के पीछे छिपकर किसी का इंतज़ार कर रही हो।

गांव वालों की मान्यता थी कि जो भी उस जंगल में गया, वह या तो वापस लौटा नहीं… या फिर कुछ ऐसा लेकर लौटा, जो इंसान नहीं था

आरव मल्होत्रा, 24 वर्षीय फ़िल्म स्टूडेंट, जो दिल्ली से एक डॉक्युमेंट्री बनाने के लिए घनश्यामपुर आया था। उसे लोककथाओं, परछाइयों और अनसुनी आवाज़ों की दुनिया में गहरी रुचि थी। जब उसने गांव के बुज़ुर्गों से काली छाँव के बारे में सुना, तो उसका जिज्ञासु मन और भी बेचैन हो उठा।

गांव के एक वृद्ध ने कांपती आवाज़ में चेताया—
"बाबू, वह जंगल अब सिर्फ जंगल नहीं रहा... वहाँ समय भी ठहर जाता है। जो गया, वो खुद को खो बैठा।"

लेकिन आरव ने यह चेतावनी महज़ एक कहानी समझकर नजरअंदाज़ कर दी।

अगली ही रात, कैमरा, टॉर्च और बैकपैक लेकर आरव अकेले ही काली छाँव की ओर निकल पड़ा। गाँव पीछे छूट चुका था और सामने था एक रहस्यमयी, घना जंगल, जिसकी शाखाएं हवा में कांपती हुई किसी भूली हुई दुआ सी लग रही थीं।

जैसे ही उसने जंगल में पहला कदम रखा, एक ठंडी लहर उसके शरीर से होकर गुज़री। हवा अचानक थम गई। मोबाइल का नेटवर्क गायब हो गया, और उसकी घड़ी की सुइयाँ अटक गईं—ठीक 3:13 AM पर।

पेड़ों के बीच से अजीब-सी फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं, जैसे कोई नाम लेकर पुकार रहा हो। अचानक, एक मद्धम हँसी गूंजी — एक लड़की की हँसी… मगर वहां कोई नहीं था।

थोड़ा आगे बढ़ने पर आरव को एक टूटा-फूटा लकड़ी का घर दिखा, जो जंगल के बीचोंबीच खड़ा था—जैसे सालों से किसी का इंतज़ार कर रहा हो। दरवाज़ा अपने आप धीरे-धीरे खुला… अंदर गहरा अंधकार था।

दीवारों पर कोयले से कुछ अजीब बातें लिखी थीं—
"जो आया, उसने लौटने की चाह छोड़ दी..."
"यह जंगल भूखा है… आत्माओं का…"

एक कोने में उसे एक पुरानी, धूलभरी डायरी मिली। उस पर नाम लिखा था—"रागिनी"।
डायरी के पन्नों पर कांपती हुई लिखावट में दर्ज था एक दर्दनाक किस्सा:

"हम दो बहनें थीं... बस एक रास्ता भटक गईं। लेकिन वो रास्ता हमें इस जंगल में ले आया। एक रात मेरी बहन मुझे छोड़कर कहीं खो गई... और फिर मैंने देखा, पेड़ों के बीच कुछ चल रहा था... कोई इंसान नहीं, कुछ और। अब जंगल मुझसे बातें करता है। मैं अब अकेली नहीं हूँ।"

आरव की साँसें तेज़ हो गईं। तभी दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया। कैमरे की स्क्रीन ब्लिंक करने लगी… और अचानक एक भारी आवाज़ गूंजी—
"तेरा नाम भी अब इस जंगल की मिट्टी में लिखा जाएगा..."

अब आरव का कैमरा खुद-ब-खुद रिकॉर्ड करने लगा था। वो लड़खड़ाते क़दमों से बाहर भागने लगा, पर रास्ता गायब हो चुका था।
जैसे जंगल ने अपने भीतर की भूलभुलैया खोल दी हो। हर दिशा एक जैसी थी… हर पेड़, हर झाड़ी… सब जैसे उसे निगलने को तैयार थीं।

फिर, कैमरे के अंतिम दृश्य में आरव की डरी हुई आँखें कैमरे की ओर देखती हैं, और वो धीमे स्वर में बुदबुदाता है—
"अगर ये वीडियो किसी को मिले… तो जान लेना… मैं अब इस जंगल का हिस्सा बन चुका हूँ..."

अगले दिन:

गांव वाले जब सुबह जंगल के पास गए, तो उन्हें केवल आरव का कैमरा और उसकी टूटी हुई चप्पलें मिलीं।
कैमरे में आखिरी रिकॉर्डिंग वही थी… उसकी काँपती हुई आवाज़, और पीछे से आती एक लड़की की हँसी…

अंतिम वाक्य:
"काली छाँव वाला जंगल उस दिन और भी काला हो गया… क्योंकि अब उसकी परछाइयों में एक और आत्मा शामिल हो गई थी।"

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                         -  लेखक: सुमित शर्मा 🙏