Swayamvadhu - 47 in Hindi Fiction Stories by Sayant books and stories PDF | स्वयंवधू - 47

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स्वयंवधू - 47

इसमें धुम्रपान और शराब का सेवन है। लेखक इसे प्रोत्साहित नहीं करता।  
साथ ही, इसमें हिंसा, खून-खराबा और कुछ जबरन संबंध भी शामिल हैं। पाठकगण कृपया विवेक से पढ़ें।

पूछताछ
अगले दिन समीर हमेशा की तरह उठा और अपना नियमित काम किया, अपने शिकार की जाँच की (जाँच करने का मतलब है कैमरों और अपने आदमियों के माध्यम से उनकी दैनिक गतिविधियों पर नज़र रखना।), जिम जाना, फ्रेश हुआ और अपने महत्वपूर्ण शिकार से व्यक्तिगत रूप से मिलने गया।
"आप कहाँ थे समीर? मैं सारा दिन आपको ढूँढ़ती रही! क्या हैंगओवर इतना बुरा होता है?", उसने एक ही साँस में सारे सवाल पूछ लिए,
समीर मुस्कुराया, "कृपया एक समय में एक ही प्रश्न पूछो।", वह अपने विशाल नाश्ते की मेज़ पर अपना स्थान लिया, "क्या तुम मुझे ढूँढ रही थी?",
"हाँ। सुबह से~!", उसने तानकर कहा,
वह हल्के से हँसा, "हा, हा, मीरा, अभी तो सुबह के सिर्फ आठ बजे हैं। अपनी सीट पर बैठो।", वह कुर्सी पर बैठ गयी और नौकरों ने नाश्ता परोसा।
खाते-खाते कुछ मिनट यूही बीत गए। कमरे में सिर्फ चाकू और चम्मचों की आवाज़ गूँज रही थी। इन आवाज़ो के बीच समीर ने पूछा,
"क्या तुम तैयार हो मीरा?",
मीरा उर्फ वृषाली वहाँ उसके सामने नाश्ते को हिला रही थी, "क्या हम इसे टाल नहीं सकते?", उसकी नज़रे घबराई हुई खाने पर थी। समीर का फोन भी वही दिखा रहा था।
"नहीं। अगर हम तुम्हें निर्दोष साबित करना चाहते है तो आज ही नहीं तो-", मीरा ने उसे बीच में टोका,
"अधीर जी ने मुझे सब समझा दिया है।",
"अधीर ने?", अपने आप में कहा,
मीरा उसे देख, "जी, अधीर जी ने। कैसे कपड़े पहनना है, कैसे चलना है, कैसे बोलना है और क्या बोलने है। पर.... इतने सबके बाद भी अगर मैंने कुछ गलत बोल दिया या जो नहीं बोलना चाहिए था तो वृषा-, मतलब, आपका बेटा वृषा और मुसीबत में फँस जाएगा।", वो थोड़ा सहमी सहमी हो गयी,
"अधीर ने सब समझाया?", उसने फिर से उत्सुकता में पूछा,
"जी। इसलिए मैंने यह सलवार कमीज़ पहनी है।", मीरा ने हल्के हरे रंग का सलवार कमीज़ पहना था और दुपट्टा उसे पूरी तरह से ढक रहा था।
"उन्होंने कहा कि मुझे हमारे बीच, मतलब अधी- (जीभ हल्का दबाकर और हाथ एक दूसरे में उलझे) मतलब आपके और मेरे बीच कल रात जो बातचीत हुई थी उसे गुप्त रखना और भूलने की बीमारी करना।", उसने हवा में हाथ हिलाते हुए, "ये झूठ भी तो नहीं है। मेरी याददाश्त किसी और से मिल चुकी है जो शायद अस्तित्व में भी नहीं है।", अब वह अपना खाना छोड़ उठ खड़ी हुई, "मैं अभी आई।", वह ऊपर की तरफ हल्के लंगड़ाते हुए जाने लगी।
तभी समीर को कॉल आया।
उसका यह फोन पुराने ज़माने का लग रहा था। काले रंग वाला बटन के साथ। उसने फोन को उठा कान से लगाया। इससे पहले वो कछ बोल पाए सामने से उसके आदमी ने सामने से कहा, "सर एक बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है।",
समीर का ध्यान उससे हट कॉल में चला गया।
"क्या हुआ?", समीर ने दबी आवाज़ में पूछा,
"सारा माल हमारे गोदाम से गायब हो गया है और राय दंपति भी।", सामने से खबर आई,
खबर सुन समीर का पारा बढ़ गया। चम्मच उसके हाथ से छूट ज़मीन से जा टकराया। लोहे के आवाज़ से पूरा कमरा भर दिया। सारे नौकरों की जान अटक गयी। समीर के उबाल को देख सब सहम वहाँ से भागने लगे। समीर ने गुस्से से प्लेट नीचे फेंक दिया और अपने हथियारबंद आदमियों को ले वहाँ से शिकारी की तरह निकल गया।
मीरा ऊपर दीवार से चिफप सब सुन रही थी। वह जल्द ही अपने कमरे के अंदर भागी।

दो मिनट में वहाँ अधीर, ज़ंजीर के साथ उसके कमरे की तरफ आ रहे थे।
रास्ते में ज़ंजीर अधीर को काट रहा था,
"तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?", अधीर ने चिढ़कर पूछा,
"तुम्हारे द्वारा फैलाए और रायते को वक्त से पहले समेट लूँ, इसलिए ।", अधीर चिढ़ा पर हालहि में हुए ताबड़तोड़ नुकसान के बाद वो कछ नहीं कह सकता था।
अधीर बिना कुछ बोले मुट्ठी कस चल रहा था।
"पहले सरयू गायब और अब विरासत राय भी। साथ ही अरबो का नुकसान! सोने पर सुहागा वाली हो गयी सर जी!", अधीर तेज़ चलने लगा,
"इतना तेज़ मर चलो सर। चलते-चलते कहा फिर से स्टार्टिंग पॉइंट पर ना पहुँच जाओ।",
अधीर ने फिर उसका कॉलर पकड़ उसे धमकाने गया पर ज़ंजीर ने उसका हाथ पकड़ा, "तुम्हारा वक़्त गया अधीर। दो कीड़े नहीं संभाल पाए! बड़े आए।
हट! मैं यहाँ तुम्हें सिर्फ चेतावनी देने आया हूँ, मुझे तुम्हारी गंदगी साफ करने के लिए नियुक्त नहीं किया गया है।
एक और गलती या नुकसान, ये बंदूक देख रहे हो ना?", उसके हाथ मेरे पास बाईस कैलिबर की बंदूक थी, "सब तेरे सीने के अंदर होगे। ये चेतावनी है, अगली बार शायद वो भी ना मिले।",
दोंनो उसके कमरे से दो हाथ की दूरी पर। बहार हल्ला सुन वो बहार आई और अधीर के पीछे जाकर खड़ी हुई जैसे वो उसपर भरोसा कर रही थी। इसे देख जंजीर पीछे हटते हुए कहता है, "लड़की को तो ठीक से संभाल लो।", और वहाँ से मुस्कुराते हुए निकल गया।
"अधीर जी, मीरा तैयार है।", मीरा उर्फ वृषाली ने कहा।
अधीर को खुद में घमंड हुआ और उसे ले पुलिस स्टेशन ले गया।

पुलिस स्टेशन के पूछताछ रूम में,
एक सफेद, ए.सी चलते ठंडे कमरे के बीच एक लकड़ी का बड़ा मेज़ रखा हुआ था। उसके एक तरफ एक कुर्सी रखी हुई थी तो दूसरी तरफ दो कुर्सियाँ रखी हुई थी और मेज़ पर कुछ फाइले रखी हुई थी। अकेली रखी कुर्सी के पीछे लोहे की अलमारियां थी जो पुलिस स्टेशनों में आमतौर पर रहता है।
उस कमरे में मीरा को उस कमरे में एक कम रैंक वाला पुलिस अफसर ले गया।
उसे अकेले रखी कुर्सी पर बैठने को कहा गया।
वह घबराते हुए बैठी।
उसने उसके सामने पानी का बोतल रखा और उसे अकेले छोड़ कमरे से निकल गया। ए.सी में भी वह पसीने से भीगी हुई बैठी थी।
एक मिनट,
दो मिनट,
दस मिनट बीत गए। वो थोड़ा शांत होने लगी तब कल वाले दोंनो पुलिसवाले एक मोटे फाइल के साथ अंदर आए।
वह सीधे खड़ी होकर बैठ गयी।
अफसर उसके सामने कड़े शक्ल लेकर बैठ गए।
"मीरा पात्रा?", जूनियर अफसर ने पूछा,
"जी।", उसने कहा,
"समीर बिजलानी कहाँ है?", अफसर ने पूछा,
"मुझे नहीं पता।", उसने हड़बड़ाहट में उत्तर दिया,
"तुम्हें पता है हम यहाँ किस लिए है?", उसके आवाज़ में व्यावसायिकता थी,
"वृषा बिजलानी के लिए?", उसने हाथ दुपट्टे के पीछे थे पर उनके ऊपर हलचल साफ दिखाई दे रही थी,
"आर यू नर्वस?", बड़े अधिकारी ने पूछा,
"ज-जी। प-पहली बार पुलिस स्टेशन आई हूँ तो... थोड़ा डर लग रहा है।", उसने हकलाते हुए कहा,
अफसरो ने कुछ नहीं कहा और एक तस्वीर उसके सामने रख दी, "इसे पहचानती हो?",
उसके सामने वृषा की तस्वीर रखी गयी, "हाँ।",
"कौन?",
"वृषा बिजलानी, बिजलिनी कॉरपोरेशन का वारिस।",
"और ये?", उसके सामने सुहासिनी की तस्वीर रखी गयी,
"नहीं।", उसने सीधे बिना भाव वाले चेहरे के साथ कहा,
"और इसे?", तस्वीर में वो पेट के बल लाल बिकीनी पहने लेटी हुई थी और उसके ऊपर राज था बिना टी-शर्ट के। दोंनो कैमरे के तरफ देख मुस्कुरा रहे थे।
"नहीं!", उसने इसे सिरे से खारिज कर दिया,
उसने दूसरी तस्वीर आगे कर, "राज रेड्डी, रीवा रेड्डी और मीरा रेड्डी के बेटे, रेड्डी कंस्ट्रक्शनस् का उत्तराधिकारी और तुम्हारा अच्छा यार मीरा!", उसने उसपर दबाव डाला, "वो तुम्हारा खास कस्टमर था जिसके लिए तुम वृषा तक को मना कर देती! वो राज जिसका जानलेवा एक्सीडेंट तुम्हारे लिए वृषा ने कराया था! जोकि इतिहास की सबसे निर्मम हत्या में शामिल है।
उसने ना केवल उसके कार के ब्रेक फैल कर दिए, उसने उसके अंगरक्षकों को उसने जिंदा बीच सड़क में बिना नीचे वाले कपड़ों के करोड़ों लोगों के सामने ऑनलाइन और ऑफलाइन ज़िंदा जलाने का आदेश दिया। दुर्घटना के कारण उसके पैर गाड़ी में फँस गयी तो दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने उसे ज़िंदा जलते हुए, तड़पते हुए, चिल्लाते हुए, मदद की भीख माँगते हुए पूरे दुनिया ने देखा।
कुछ तो याद आया होगा?",
सब सुन वो भौचक्की रह गयी, "नहीं। मुझे नहीं याद! मुझे नहीं पता!", उसने रोनी आवाज़ में कहा,
टेबल पर हाथ पटककर बड़े अफसर ने पूछा, "तुम्हें याद नहीं?",
मीरा डर से पीछे झटकी फिर रोनी आवाज़ में कहा, "मुझे कुछ याद नहीं।",
"कुछ याद नहीं?", अफसर ने दोहराया,
"नहीं।", उसका आँसू निकल ही चुके थे,
"तो फिर किसे याद है?!", बड़े अफसर ने उसके सामने उसके भूल गयी यादों को तस्वीरों की तरह उसके सामने बिछा दिया।
"ये तुम राज के साथ शॉपिंग करती हुई!
और ये तुम उसके कमरे के अंदर!", ऐसी बहुत सारी तस्वीरे थी मीरा की,
जैसे, राज के साथ पूल पर चूमते हुए,
एम्यूज़मेंट पार्क पर किसी दूसरे आदमी के साथ,
कभी सोने की दुकान पर या हीरे व्यापारी के घर में, 
कभी अपने दोस्तों के साथ बार पर,
कभी होटलो के अंदर।
और कई पर तो सिर्फ वृषा बिजलानी के साथ थी, मौज करते हुए।
"तुम इनमे से किसीको नहीं पहचानती?", अफसर ने दबाव डालकर पूछा,
"कुछ याद नहीं।", उसने रोते हुए कहा,
"कुछ याद कैसे नहीं?! इतने अय्याश भरे जीवन को कोई कैसे भूल सकता है?", उसने चिल्लाकर कहा,
"मुझे कुछ याद नहीं। मैं सब कुछ भूल चुकी हूँ! मुझे कुछ याद नहीं, कुछ याद नहीं!", वह रोते हुए सिसकी, "मुझे मेरे नाम के बारे में भी नहीं पता था। वो तो समीर बिजलानी जी थे जिन्होंने मुझ जैसे को सहारा दिया। मेरे बताए गए नाम के अलावा मुझे कुछ नहीं पता, कुछ नहीं पता।", उसने डर से खूब रोयी।
तभी मीरा के वकील जिसे समीर ने नियुक्त किया था, वहाँ उसके मेडिकल रिपोर्ट के साथ आया और मीरा को टिशू दिया।
मीरा खुद को शांत कर रही थी और वकील उसके बिगड़ी सेहत का हवाला दे पूछताछ वही ख़त्म करवाना चाहता था पर पुलिस ने अगले तीन घंटे तक लगातार उससे पूछताछ करने लगे। वृषा को लेकर, उसकी निजी ज़िंदगी?
उसके दोस्त?
उसका स्वभाव?
उसका बिजलानी व्यापार में हिस्सेदारी?
दो नंबर के काम की जानकारी?
रेड्डीज की जानकारी?
उसके प्रेमिकाओं कि लिस्ट?
मीरा की ग्राहकों की लिस्ट?
उसके परिवार की जानकारी?
बिजलानी शेयर में उसकी भागीदारी कैसी हुई?
डार्क वेब में उसका एकाउंट कब बनाया गया?
उसमे उसकी मर्ज़ी थी या नहीं?
वृषा को भागने में मदद कैसे की?
ऐसे अन्य कठोर प्रश्न पूछे गए, जिसका उसके पास एक ही जवाब था, 'मुझे नहीं पता।', 'मुझे कुछ याद नहीं।'
सब अधीर, अंदर सी.सी.टी.वी पर संतुष्टी से देख रहा था।
"इसका ज़बान काफी कड़क है।", डी.जी.पी. साहब ने टिप्पणी की,
"हम्म! लगता तो है।", अधीर ने कहा।
पाँच घंटे चली लगातार पूछताछ के बाद मीरा को छोड़ा गया आगे सहयोग करने के कागज़ात पर दस्तखत करवा कर।
अधीर उसे उसी होटेल में ले गया जहाँ उसे पहले समीर ले गया था समीर के आदेशानुसार।
दिव्या और आर्य भी वहाँ थे और उसे इतनी लंबे और कठोर पूछताछ के बाद अकेले बिलखते हुए देख रहे थे।
तभी उसके पास एक आदमी आया। मीरा उर्फ वृषाली ने उसे देखा और अपना मुँह दूसरी तरफ घूमा लिया। उसे वो चेहरा जाना पहचाना लगा... यह वही आदमी था जिससे वो स्वयंवधू के पहले चरण के बाद विषय से बात करते हुए राज से पहले टकराई थी।
"आर यू ओके?", उसने पूछा। उसके आवाज़ में नर्मी थी।
मीरा ने हाँ में सिर हिलाया।
"आपके साथ कोई है?", उसने पूछा और ना में जवाब सुनने के बाद वो उसके सामने बैठ गया,
"मुझे नहीं पता कि आपके साथ क्या हुआ है, बट आई एम प्रीटि श्योर कि आप कर सकती हो। क्योंकि ऊपरवाले तकलीफ उसी को देता है जो उसे झेल सके। ऐसे वैसे को नहीं।",
यह सुन वो थोड़ा सा हँसी।
"ये हुई ना बात। इतने मासूम सी आँखो में आँसू अच्छे नहीं लगते।", उसने अपना रुमाल मीरा उर्फ वृषाली की तरफ किया,
रुमाल से आँसू पोंछ, "ज़बान काफी महीन है आपकी।",
"इस प्यार भारी तारीफ के लिए आपका शुक्रिया।",
दोंनो एक दूसरे को देख मुस्कुराए।
"राहुल कपाड़िया। मिलकर खुशी हुई।", उसने हाथ आगे बढ़ाया,
"मीरा पात्रा। सेम हियर।", उसने उससे हाथ मिलाया।
उसी समय वहाँ समीर आया और दोंनो को घूर रहा था।
मीरा उर्फ वृषाली उसे देख हिल गयी।