सदी के आखिरी दशक में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य स्पर्धाओं से बेहद उत्साह जनक खबरें आईं। लगातार कई विश्व सुंदरियां और मिस यूनिवर्स तक भारत से हुईं।
सुंदरता का झरना कहीं बहे,और उसका असर फिल्मी दुनिया पर न हो, ये मुमकिन नहीं।
लिहाज़ा मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, युक्ता मुखी, मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन और लारा दत्ता सहित दीया मिर्ज़ा और नेहा धूपिया आदि फिल्मी दुनिया में अपने जलवे बिखेरने चली आईं।
कई बड़े निर्माता निर्देशकों ने रूप की इन देवियों पर दाव लगाए। एक बार तो ऐसा लगने लगा मानो ब्यूटी कॉन्टेस्ट फिल्मी दुनिया का एंट्री प्वाइंट ही बन गया हो।
लेकिन काजोल, रानी मुखर्जी, करिश्मा कपूर, प्रिटी जिंटा, रवीना टंडन आदि के लगातार सक्रिय रहने के चलते इन सौंदर्य की दुनिया से आई अभिनेत्रियों को सीमित सफलता ही मिली।
ऐश्वर्या राय ने "अा अब लौट चलें, जींस, हम दिल दे चुके सनम, ताल और गुरु" जैसी भव्य और कामयाब फ़िल्मों की बदौलत सभी समकालीन अभिनेत्रियों में बढ़त बना ली। धीरे - धीरे वो निर्माताओं और दर्शकों की सर्वाधिक पसंदीदा अभिनेत्री बनने लगीं।
फ़िल्मों में निरंतर नए प्रयोग होते रहे और एक बार फिर मल्टी स्टारर फ़िल्मों का दौर आ गया। ऐसे में वही अभिनेत्रियां अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुईं जो भीड़ में अलग नजर आने की काबिलियत रखती थीं।
ऐसे में फ़िल्मों के ट्रेड पंडितों ने ऐश्वर्या राय को दर्शकों की कसौटी पर पहली पसंद बताते हुए वक़्त की नंबर एक नायिका घोषित कर दिया। काजोल अब काफ़ी गिनी चुनी फ़िल्में ही कर रही थीं क्योंकि उनके प्रेम के चर्चे अब उनके विवाह की अटकलों में बदलने लगे थे। वो अजय देवगन से शादी करने वाली थीं। इन पति पत्नी ने साथ में भी कई फ़िल्में कीं।
इधर ऐश्वर्या राय बच्चन के लिए सलमान खान के साथ प्रेम संबंध होना, फ़िर ब्रेकअप होना, और फ़िर बच्चन परिवार की बहू के रूप में अभिषेक बच्चन से विवाह होना उनके कद और लोकप्रियता को बढ़ाने वाला ही सिद्ध हुआ।
सुष्मिता सेन की भी कई अच्छी फिल्में आई किन्तु ऐश्वर्या का पलड़ा उनके मुकाबले फिल्मी दुनिया में भारी ही रहा। ऐश्वर्या राय के साथ साथ वैसे तो युक्ता मुखी ने भी फ़िल्मों में कदम रखा पर ऐश्वर्या जैसी कामयाबी उन्हें हासिल नहीं हुई। वो जैसे आई थीं वैसे ही ओझल भी हो गईं। लारा दत्ता ने भी कई कामयाब फिल्में दीं। अक्षय कुमार के साथ उनकी जोड़ी भी लोकप्रिय हुई। लेकिन उम्दा दर्जे की अदाकारा लारा की फ़िल्मों को फौरी कामयाबी ही मिली। अर्थात जो फिल्म देखने चला गया उसे फ़िल्म भी पसंद आई और लारा का अभिनय भी, किंतु फ़िल्म उतरने के बाद उन्हें याद रखने वाले दर्शक और उन्हें नई फ़िल्मों में लेने के इच्छुक निर्माता निर्देशक कम ही रहे। अतः उनकी कामयाबी ऐश्वर्या राय के जोड़ की नहीं मानी गई।
ऐश्वर्या राय बच्चन की सफ़लता और लोकप्रियता उन्हें सभी तत्कालीन अभिनेत्रियों से आगे ले आई। उनके न केवल रूप के चर्चे हुए बल्कि उनके अभिनय की भी अच्छी खासी सराहना हुई।
ये एक ऐसा समय था जब फिल्मों में विदेशी कथानक, विदेशी लोकेशंस, पात्रों का विदेशी नज़रिया तथा उत्कृष्ट विदेशी तकनीक काफ़ी पसंद की जा रही थी।
इस तरह शताब्दी खत्म होते - होते ऐश्वर्या राय की कामयाबी और लोकप्रियता ने उन्हें नरगिस, मधुबाला, मीना कुमारी, वैजयंती माला, साधना,शर्मिला टैगोर,हेमा मालिनी, रेखा, श्रीदेवी,माधुरी दीक्षित, और काजोल के बाद टॉप हीरोइनों के ऑल टाइम "नंबर वन क्लब" में शामिल कर दिया।