Humsafar - 14 in Hindi Love Stories by Seema Tanwar books and stories PDF | हमसफर - 14

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हमसफर - 14

अब आगे देखिये जब आस्था को ये पता चला किkunwarsa,,,,,आस्था से गुस्सा नहीं है,,,,दाईमाँ ने उसके चेहरे को प्यार सेसहलाते हुये कहा .. इतने दिनों बाद आस्था के चेहरेकी खुशी देख उन्हे भी बहोत अच्छा लग रहा था .........दाईमाँ कुँवरसा आप दोनो को बुला रहे हेनौकर ने कहा और चला गया,,,,....आस्था की मुसकान कम हो गयी और ये दाईमाँ नेदेख लिया,,, अब क्या हुआ .... अभि भी डर लग रहा है ।दाईमाँ ,,,दाईमाँ ....... दाईमाँ वो .... नाश्ता करते वक़्त कुँवरजीकुछ बोल रहे थेऔर हम वहा से भाग कर आ गये,,,,आस्था ने ओठ बाहर निकालते हुये कहा मानो अगलेही पल वो रो देंगी,,,,कोई बात नही बेटा .... दाईमाँवो हमे डाटेंगे .... आस्था,,,अब ये तो बाहर जाकर ही पता चलेंगा दाईमाँ नेकहा और वो उसे लेकर बाहर आ गयी...,,,बाहर घर के सभी फैमिली मेंबर थे .... आस्था दाईमाँके पीछे छुप गयी और थोड़ा सा सर बाहर करकेएकांश की और देखने लगी ..एकांश ने उसे देखाऔर उसकी मासूमियत भरीहरकत देख खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक पाया ......एकांश को सिर्फ उसका थोड़ा सा चेहरा और उसके वोलंबे बाल ही दिखाई दिये....एकांश को उसे देखने की तमन्ना हुयी,,,, यह क्या सोच रहे हे हम . उसने दिल ही दिल मे कहा.,,,,और फिर अपने जज्बातो पर काबू रखकर कहाआस्था .... यहा आईये .... एकांश,,,......... जी.......... आस्था,,,यहा हमारे साथ आकर बैठीये.... एकांश ने कहा औरघर के सभी लोग उसकी और देखने लग गये ।आस्था ने दाईमाँ का हाथ पकड़ लिया ..उन्होने अप्ना हाथ छुड़वाया और आखों से ही आस्थाको हा का इशारा किया,,,,,आस्था घबराते हुये आगे बड़ी और सोफे के किनारे परबैठ गयी उसका सर अभी भी निचे ही दो हल्केगीले बाल निचे फर्श तक आ रहे थे..उम्म .... ये फॉर्म ... आपका एडमीशन हमने कॉलेज मेंकरवा दिया है आप साइन किजीये और कलcollege देख आइए ... एकांश,,,आस्था ने हा मे सर हिलाया और जल्दी से फॉर्म लिया वो भी तो पढ़ना चाहती थी .....अगर एकांश इस वक्त उसका चेहरा देख पाता तो उसेपता चलता उसके इस एक डिसीजन से वो कितनीखुश हो गयी,,,,लेकिन कुँवरसा .... ये पढ़ कैसे सकती हे.... धनुषक्या कहना चाहते हे आप बड़े बाबासा,,,,. एकांशअगर ये बाहर पढ़ने जायेंगी तो सबको पता चलजायेंगा की ये आपकी पत्नी और यहा की कुँवराणीसाहै ...और इनकी छोटी उम्र की वजह से हमारी फैमिलीकितनी ट्रौल होंगी हम अंदाजा भी नही लगा सकते ....धनुषपहली बात बडे बाबासाहमने कल ही कहा था ....हमारी पत्नी से जुड़ी हर बात का फैसला हम लेंगेऔर इसमें कोई भी इंटरफेअर करे ये हमे मंजूर नही,,,,एकांश बात सिर्फ आपकी पत्नी की नही हे कुँवरसाघर मे बाकी और भी मेंबर हे.,,,,धनुष जी ने इस बार हल्के गुस्से में कहा फिक्र मतकिजीये बड़े बाबासा ....,,,....हर्ष के पॉलिटिकल करियर पर इस बात का कोई असरनही होंगा .... और रहा सवाल आस्था का ....तो वो हमारी पत्नी आस्था एकांश सूर्यवंशी बनकर नहीबल्की आस्था प्रताप देशमुख बनकर अपनी पढाई पुरीकरेंगी ....एकांश ने कहा ये कहते वक़्त उसकी बातों में बहोतकॉनफीडेंट था और विश्वास भी जो उसने आस्था परदिखाया था,,,,,एकांश आस्था के और गया जिसका सिर भी निचे झुका हुआ था,,,,उसका चेहरा अब आस्था के सामने था .... आप आगे पढ़ेंगी ना???एकांश ने प्यार से पुछाआस्था ने हा मे सर हिलाया ठीक है..कल आप कॉलेज देखने चली जाना .....ड्राईवर आपको कॉलेज के थोड़ी दूर छोड़ आयेगा औरआपको लेने भी आयेंगा.. is that okay एकांशकहा और फिर आस्था ने हा मे सर हिलाया,,,,,And everyone .... my decision is final ....so do not interfere in it.... is that clear ........एकांश ने कहा और बाहर निकल गया सभी अपनेअपने काम पर चल दिये,,,,,हमने तो कुँवरजी को थैंक यू बोला ही नही ..आस्था मुह लटकाते हुये,,,,जाईये.... और जाकर कहिये.... दाईमाँ,,आस्था जल्दी से बाहर की ओर चली गईअब हमे भी माफ कर दिजीये कुंवरसा .. अजयआपकी गलती माफी के लायक नहीं हैगुस्से मे बोलते हुए ....,,,लेकिन आप कब तक ऐसे ही गुस्सा रहेंगे हमसे ...आकाश कहते हुये उसके सामने आ गया,,,,एकांश उन दोनों को गुस्से से घुर रहा था लेकिन उसकेकुछ बोलने से पहले ही एक मीठी आवाज उसके कानोमें पुँजी और उसके गुस्से की जगह स्माइल ने ले ली ..आकाश अजय भी हैरान हो गयेकुँवरजीआस्था ने खुशी से उसे पुकारा,,,,,जी.... एकांश ने मुड़ते हुये प्यार से कहावो एक मिनिटआस पास देखा ..उसका सर अभी भी निचे ही था.,,,,और एकांश उसकी हरकत देख रहा था..