The secret of the old mansion in Hindi Horror Stories by krish Kumar SINGH rajput books and stories PDF | पुरानी हवेली का राज़

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पुरानी हवेली का राज़

पुरानी हवेली का राज़

गाँव के उत्तर छोर पर एक पुरानी, वीरान हवेली थी। दीवारें काई से ढकी हुईं, खिड़कियाँ टूटी हुईं, और दरवाज़े हमेशा अजीब सी आवाज़ें करते थे। गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे कि वहाँ एक औरत की आत्मा भटकती है, जिसकी मौत कई साल पहले एक रहस्यमयी आग में हुई थी। उस औरत का नाम था सावित्री, और लोग अब भी कहते हैं कि हर अमावस की रात वो हवेली में रोती है।

किसी की हिम्मत नहीं होती थी उस हवेली के पास जाने की, लेकिन राहुल—जो शहर से गर्मी की छुट्टियों में गाँव आया था—इन बातों को बस डरावनी कहानियाँ मानता था।

एक दिन जब गाँव के लड़के हवेली की बातें कर रहे थे, राहुल ने हँसते हुए कहा, "मैं वहाँ पूरी रात रहकर दिखाऊँगा। कोई भूत-वूत नहीं होता।"

गाँव वाले चौंक गए, लेकिन राहुल की जिद थी। रात को, जब पूरा गाँव सो रहा था, राहुल अपने मोबाइल, टॉर्च और एक कैमरा लेकर हवेली की ओर निकल पड़ा।

हवेली के पास पहुँचते ही हवा ठंडी और भारी लगने लगी। अंदर घुसते ही राहुल को एक अजीब सी सिहरन महसूस हुई। दीवारों पर मकड़ी के जाले, ज़मीन पर धूल और हर कोने में सन्नाटा था। लेकिन फिर भी राहुल मुस्कुराया, "इतना भी डरावना नहीं है।"

रात के ठीक 12 बजे, हवेली का एक पुराना लकड़ी का दरवाज़ा खुद-ब-खुद चरमरा कर खुल गया। राहुल थोड़ा डर गया, लेकिन उसने सोचा कि ये हवा का असर होगा।

उसने टॉर्च की रोशनी आगे बढ़ाई और देखा कि दीवार पर एक बड़ी सी पुरानी तस्वीर टंगी थी। तस्वीर पर मोटी धूल जमी हुई थी। राहुल ने धीरे से हाथ से उसे साफ़ किया… और तभी उसका दिल ज़ोर से धड़क उठा।

तस्वीर की आँखें लाल हो चुकी थीं, और ऐसा लग रहा था जैसे वो उसे घूर रही हों।

अचानक पीछे से किसी ने धीमी आवाज़ में कहा,
"तू फिर आ गया...?"

राहुल घबरा गया। उसने धीरे-धीरे मुड़कर देखा—एक औरत, सफेद साड़ी में, बाल बिखरे हुए, चेहरा आधा जला हुआ और आँखों से खून टपक रहा था। वो सावित्री थी।

"क्यों आया है यहाँ?" वो बड़बड़ाई।

"मैं... मैं सिर्फ देखने आया था..." राहुल काँपते हुए बोला।

सावित्री ने एक डरावनी हँसी हँसी और बोली,
"जिसने मेरा अंत देखा था, वो कभी लौट नहीं पाया। अब तू भी यहीं रहेगा... मेरी तरह... अकेला... रोता हुआ..."

तभी हवेली के सारे दरवाज़े बंद हो गए। हवा की सरसराहट भयानक शोर में बदल गई। राहुल की टॉर्च बंद हो गई, मोबाइल में नेटवर्क गायब… और अंधकार में उसकी चीखें गूंज उठीं।

अगली सुबह, जब लोग राहुल को खोजते हुए हवेली पहुँचे, तो वो बेहोश पड़ा था। उसके चेहरे पर डर का गहरा असर था, और हाथ में वही पुरानी तस्वीर थी—अब उसमें एक नया चेहरा था… राहुल का।

गाँव वालों ने हवेली को ताले में बंद कर दिया। लेकिन तब से हर अमावस की रात, हवेली से रोने और किसी के नाम पुकारने की आवाज़ें आती हैं।

कहा जाता है, सावित्री अब अकेली नहीं है। उसके साथ अब राहुल भी है। NEXT STORY COMMING SOON