Your identity in Hindi Short Stories by Richa bhardwaj books and stories PDF | अपनी पहचान

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अपनी पहचान

रीमा एक आम गृहिणी थी। दिन सुबह 5 बजे शुरू होता और रात को सबके सो जाने के बाद ही खत्म होता। पति की जरूरतें, बच्चों की पढ़ाई, सास -ससुर की सेवा - हर किसी की जिंदगी का वह अहम हिस्सा थी , पर अपनी जिंदगी में वह कहीं नहीं थी। कोई उसे "मां" कहता ,कोई"पत्नी", कोई "बहु" लेकिन रीमा को जैसे कोई जानता ही नहीं था ।

कभी कॉलेज के जमाने में वह बहुत अच्छा लिखती थी । निबंध प्रतियोगिताएं, भाषण - हर जगह उसकी पहचान थी 

लोग कहते थे तू एक दिन  बहुत नाम करेगी बहुत बड़ी लेखिका बनेगी तेरा नाम अखबारों में छपेगा वो मुस्कुरा देती थी  लेकिन जब शादी हुई तो उसकी कलम रसोई घर की चाकू और घर के कामों में गुम हो गई।

एक दिन उसके बच्चों के स्कूल में PTM (PARENTS TEACHER MEETING) थी जिसमें रीमा गई थी जब मीटिंग हुई तो टीचर ने जब रीमा से बात की तो उन्हें उसकी बात को सुनकर बहुत अच्छा लगा और उन्होंने रीमा से कहा आपकी बातों में बहुत गहराई है क्या आप लिखती थी कभी

 घर आ कर रीमा बहुत देर तक मौन बैठी रही फिर  एक पुरानी आलमारी से अपनी डायरी निकाली जिस पर धूल जम गई थी रीमा ने डायरी पर लगे धूल को कपड़े से साफ किया और धीरे से डायरी का पहला पन्ना पलटा रीमा की आंखें भर आई , उसमें वही रीमा थी जो बोलती थी, सोचती थी, महसूस करती थी ।

उस रात उसने फिर से लिखा बस दस लाइनें । मगर ऐसा लगा जैसे सालों  बाद सांस ली हो। अगले दिन उसने छोटा सा ब्लॉग बनाया और वो शब्द वहां डाल दिए किसी ने लाइक नहीं किया कमेंट नहीं किया पर रीमा फिर भी खुश थी क्योंकि इतने दिन बाद फिर से अपनी पुरानी यादों को जीने लगी थी। फिर से खुद को महसूस करने लगी थी।

धीरे धीरे उसने फिर से लिखना शुरू कर दिया। उसे जब भी समय मिलता वो लिखती वो घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने लिए भी समय निकालने लगी थी जिससे उसे अच्छा लग रहा था फिर से उसमें आत्मविश्वास वापस आने लगा था। जब वो लिखती उसकी शब्दों में इतनी गहराई होती थी जैसे लगता था किसी ने अपनी पूरी भावनाएं डाल दी है उसकी बातों में सच्चा एहसास होता था  उसकी कहानियां जज्बात और प्यार से भरे होते थे। धीरे धीरे वह सोशल मीडिया पे छा गई सभी उसके कहानी की तारीफ़ करते नहीं थकते। धीरे धीरे उसकी लेखनी इतनी प्रसिद्ध हुई कि किताब में तब्दील हो गई और किताब छपने लगे। उसकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी। उसके घर वाले सभी खुश थे उसके पति ने मुस्कुराकर कहा रीमा तुम्हें देख के मुझे बहुत अच्छा लगता है तुम फिर से मेरी पुरानी वाली रीमा लगने लगी। उसके पति ने प्यार से उसे गले लगा लिया आज रीमा घर भी संभालती है और अपनी पहचान भी । वो अब सिर्फ किसी की पत्नी या बहु नहीं अपनी भी साथी है।

उसने सीखा दूसरों के लिए जीना बुरा नहीं  मगर खुद को खो देना सबसे बड़ा नुकसान है। कहानी कैसी लगी आप सबको।