वो बोली वो इश्क से अंजान है
मैं सोच में पड़ गया
कि अगर वह इश्क से अंजान है तो उसको मेरे साथ जो है वो क्या है?
बूखार है?
मैंने उसका माथे पर हाथ रख कर चेक किया
वो बोली यह क्या कर रहे हो तुम
मैं बोला बूखार चेक कर रहा था लेकिन तुम्हें तो बूखार नहीं है
वो बोली पागल हो क्या तुम
मैंने कहा हां तुम्हारे इश्क में
वो बोली लेकिन वह तो इश्क से अंजान है
अब मुझे गुस्सा आने लगा था
वो बोली क्या हुआ तुम भड़क क्यूं रहें हो कुत्ते कमीने
मेरा गुस्सा अब बढ रहा था मैंने कहा कभी तो प्यार से नाम ले ले मेरा...इतना अच्छा नाम रखा है मेरे घरवालों ने
वो बोली प्यार? वह क्या होता है
मेरा मन कर रहा था अब मैं वहां से उठ कर चला जाऊं
मगर जानता था अगर गया तो मेडम फिर कभी मुझसे नहीं मिलेगी इतना इगो है उसमें
और वो मेरे गुस्से करने को मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट को इगो का नाम देती है
वो बोली क्या सोच रहा है अब तु
मैंने कहा तु इश्क से अंजान कब से हो गई
वो बोली जब से तु मिला है
अच्छा चल अब मुझे लेट हो रहा है मैं चलती हूं बाद में मिलते है
मैंने कहा जवाब तो देती जाओ
वो बोली किस बात का
मैंने कहा तुम इश्क से अंजान कैसे हो?
वो बोली खुद ही ढूंढ जवाब मैं तो चली
आज तक इतनी गहरी सोच में मैं शायद ही कभी पड़ा होगा
उसके वो शब्द "मैं तो इश्क से अंजान हूं" मेरे कानों के साथ साथ दिल को भी मार रहे थे
हा मानता हूं हम दोनों ने कभी प्यार का इजहार नहीं किया मगर प्यार तो करते है ना
तुम ये मत सोचना कि हम दोनों तुम्हारी तरहा आज कल चल रहे भद्दे से रिश्ते situationship में है
बिल्कुल भी नहीं हम दोनों एक दूसरे के साथ किसी पवित्र से बन्धन में है वैसा ही कुछ रिश्ता है हम दोनों का
हमें इतना पता है कि उसको मैं चाहिए जिंदगीभर के लिए मुझे वो चाहिए हर जनम में
उसके दर्द में मैं रोता हूं मेरी खुशी में वो हसती है
जब कोई साथ नहीं होता तब वो दूर रह कर भी मेरे पास होती है जब उसको बोलना होता है तब सुनने के लिए मैं होता हूं
हम दोनों एक दूसरे के साथ बिल्कुल वैसे है
जैसे कि समंदर के साथ लहरें
जमीन के साथ मिट्टी
पेड़ के साथ फल/फूल
आसमान के साथ चांद अंधेरे में और सूरज दिन में
हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे ही है
और जिंदगीभर ऐसे ही रहना चाहते है
एक बार मैंने मजाक में बोला था अगर मैं तुम्हें propose कर दूं तो?
वो बोली थी तूं मुझसे दूर जाना चाहता है क्या?
मैंने कहा सोरी तुम्हें बुरा लगा हो तो
वो बोली पागल मैं यह बोल रहीं हूं कि हम में जो यह दूरी है ना वो ही हमारे पास रहने कि वजह है अगर हम पास आ गये यह दूरी मिट जाएगी... फिर हमारे पास पास आने कि कोई वजह रह जाएगी क्या?
आज अभी भी मुझे वो बात याद आ गई
मैंने उसको मेसेज कर के बोला सुन मुझे पता चल गया है कि तु इश्क से अंजान कैसे हैं
उसने बोला finally बन्दर तुम्हें अक्ल आ ही गई
मैं बोला बन्दर नहीं हूं प्यार से नाम ले मेरा
वो बोली लेकिन मैं तो इश्क से अंजान हूं ना?
मेरा जवाब था कि
पता है तुम्हें पाने कि कोशिश में सबसे ज्यादा खुबसूरत क्या है?
वो बोली क्या है?
मैंने कहा "ये कोशिश"
और मैं चाहता हूं तु मूझे कभी ना मिले
ताकि तुम्हें पाने कि ये कोशिश कभी ना मरे