भाग 1
कंपनी के एक इवेंट में सायरा और उसकी दोस्त सृष्टि गई थी। सायरा अपनी दोस्त के बगले में सृष्टि साथ बैठी थी । अचानक से वहां पर वह लड़का आया जिस पर सायरा का क्रश था । उन्होंने सोचा नहीं था कि वह आएगा पर उसका आना उनके लिए किसी सपने की तरह था । वह लड़का आके सृष्टि से बात करने लगा सायरा के लिए थोड़ा मुश्किल था । अंदर ही अंदर वह खुद को खुश रही थी । ऐसा नहीं था कि वह सुंदर नहीं थी पर उसे सुंदर सृष्टि ने उसको हरा दिया कुछ पल के लिए उसको ऐसा लगा । उस लड़के के का नाम सुजल था ।
सुजल सृष्टि के पास आके उसको पूछता है , तुम यहां कैसे ? सृष्टि के स्वभाव थोड़ा कड़वा था । सृष्टि उसको नजर अंदाज करके वहां से जाने लगती हैं । तभी सुजल खुदका सृष्टि को ऐसा करते हुए देख गुस्सा हो जाता हैं । सायरा भी वहां से सुजल से माफी मांगते हुए चल पड़ती हैं ।
सुजल उससे कहता है के “ मुझे वो पसंद है पर में उसे पसंद नहीं समझ नहीं आता मुझमें क्या कमी है ??”
उस समय अंदर ही अंदर सायरा भी खुद से यही प्रश्न पूछ रही थी । पर वह सुजल को बात नहीं पाई । सायरा सृष्टि के पास चली जाती है ।
सृष्टि उसे कहती है “ कैसे लड़के होते हैं न ! जो प्यार करते हैं ; उनके पास कभी नहीं जाते और जो प्यार नहीं करते , या कोई लड़की सुंदर दिखेतो उनके पीछा नहीं छोड़ते ।”
सृष्टि को कहीं ना कहीं पता था । सायरा को वह लड़का पसंद है । सृष्टि ऐसा कहना तो नहीं चाहती थी ; पर खुदको रोक नहीं पाई । सायरा इतने दिनों से उस लड़के को पसंद जो कर रही थी । सृष्टि यह कैसे नजर अंदाज कर सकती है । अपनी दोस्त के बारे में वो सब कुछ जानती थी ।
सृष्टि ने कहे तो दिया पर यह नहीं सोचा के उन बातों से सायरा को बुरा लगेगा । उसे बात में सृष्टि ने ऐसा भी तो कहा था “ सुंदर लड़की ” पहले से ही सायरा खुद को कम समझती थी हर किसी से और उसमें किसी का ऐसा कहना उसके दिल को थोड़ा लग गया ।
सायरा बहुत सुंदर थी पर वह खुद का ध्यान नहीं रखती थी । उसको एक बिंदी की सिवा कुछ लगाना भी होता है इसके बारे में पता ही नहीं था शायद । और सृष्टि हर बात पर अपनी सुंदरता की तारीफ करते थकती नहीं थी कई नुस्खे उसकी मां के बताइए हुए उन्हें हमेशा चेहरे पर लगाया करती थी । खूबसूरत दिखती भी तो थी ।
घर जाकर सायरा उदास थी । पर घर की परेशानियां उसे कहा चैन से रहने देने वाली थी । गोद लेने के बाद उसके मां-बाप चल बसे । छोटी बहन की जिम्मेदारियां अब उसके कंधे पर थी । घर जाकर उसने खुद को दिलासा दिया और वापस कम पर लग गई । पर रात में उसको वही खयाल सताने लगे । क्या मैं सुंदर नहीं ? पर क्यों सुंदर दिखाना ही जरूरी होता है क्या ?? इसे कई सवाल उसके मन में आ रहे थे । उसे कहां पता था जिसको वो चाहती है उसको वह लड़का देखाता तक नहीं ।
प्रेम यही होता है क्या ? किसी को चाहना पर सामने वाला तो नजरअंदाज करके चला जाता है । ज्यादातर ऐसा होता है कि उसे इंसान को पता ही नहीं होता कि उसे कोई चाहता है । सुजल को भी नहीं पता था । ना सृष्टि को सायरा ने कभी बताया । और किसी को अपनी सुंदरता पर घमंड होना या ना होना यह तो उसे इंसान के ऊपर तक है । सृष्टि गलत नहीं थी कोई एक अच्छी बात उसमें भरी पड़ी हो तो घमंड होना तो बड़ी बात नहीं ।
सायरा सो जाती है कई सारे खयालातों के साथ । सुबह-सुबह घर का सारा काम करके बहन को स्कूल छोड़कर चली जाती है अपने काम पर । वैसे तो सुजल सृष्टि और सायरा एक ही कंपनी में जॉब करते थे । तो एक दूसरे से मुलाकात होती रहती थी । इसी वजह से तो सायरा को वह पसंद आने लगा । एक बार सुजल ने उसकी मदद की थी किसी प्रोजेक्ट में । तभी से सायरा को उसे पर बहुत ज्यादा क्रश था ।
सायरा के आने के बाद सृष्टि में आ जाती है कम पर । सायरा हमेशा जल्दी आती थी जितना हो सके उतना काम करती थी । सुजल का सारा दिन सृष्टि के ऊपर ही लगा रहता था । एक दिन ऑफिस में एक लड़का वहां पर काम सीखने के लिए आया था । नया था नौकरी पर ; उसका नाम प्रतीक । प्रतीक को वहां के साहब ने सायरा को सारा काम सीखने के लिए कह दिया । प्रतीक दिखने में बहुत सुंदर था । वहां की कई लड़कियां उसके मासूम से चेहरे को देखते ही पिघल गई । सृष्टि भी जो खुद को सुंदर खाने को हमेशा तैयार रहती थी वह भी उसके मासूम से चेहरे के ऊपर आंखें जमा बैठी । इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं के प्रतीक का चेहरा कितना भोला और सुंदर था । सारा काम देखकर प्रतीक ने सायरा से पहचान बनाने की कोशिश की जैसे मानो प्रतीक सायरा को पहले से जानता है ।
आगे की कहानी भाग 2 में….
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© श्वेत सावली