नगर में एक ही चर्चा चल रही है कि राजा अपने कौनसे पुत्र को आने वाले समय के लिए किसे राजा घोषित करेंगे
लोगों में तरह तरह की बाते हो रही है सब दरबार जाने के लिए उत्सुक हैं सबको अपना नया राजा मिलने वाला था
दरबार में धीमे शूर में सब बात कर रहे थे और महाराज के आने का इंतजार कर रहे थे
तभी एक आवाज आती है, महाराज पधार रहे हैं
सब खड़े होकर महाराज का अभिवादन करते हैं
महाराज अपना आसन ग्रहण करते हैं,
इस उत्सव में होने वाले कार्यक्रम का आरंभ होता है
राजा के दो बेटे थे सत्यसेन और धर्मसेन जो इस प्रतियोगिता में शामिल थे
जिनमें से धर्मसेन छोटा था मगर प्रजा आने वाले भविष्य के राजा के रूप में ज्यादा पसंद करते थे
क्योंकि धर्मसेन का प्रजा के प्रति प्रेम ज्यादा था
वहां पर एक और नौजवान खड़ा था
जिसे राजा के दोनों बेटों से ज्यादा प्रजा पसंद करती थी
जिन्हें एक राजा जैसे निर्णय लेना आता था
एक राजा कैसा होना चाहिए उसका प्रतिबिंब था
मगर वो राजा का बेटा नहीं था वो राजा के बड़े भाई जो
युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे उनका बेटा था जयसिंह
जो युद्ध में पारंगत था प्रजा को किस तरह खुश रखना चाहिए वो भली भांति जानते थे
महाराज तभी कहते है कि मेरा छोटा बेटा इस राज्य
को किस प्रकार चलाना है और कैसे इस राज्य की रक्षा
करनी है वो भली भांति जानता है
इसलिए में अपने छोटे बेटे को इस राज्य का राजा घोषित करता हु क्योंकि धर्मसेन इस राज्य के सबसे योग्य है
तभी सेनापति और कुछ लोग बोलते हैं कि महाराज
अगर योग्यता की आप बात कर रहे हैं तो आपके बड़े भाई के बेटे युवराज जयसिंह सबसे योग्य है
अगर हमारे राज्य का राजा योग्यता के आधार पर
बनाया जाता हैं तो सबसे योग्य युवराज जयसिंह है
इसलिए प्रजा और प्रधानमंडल भी महाराज जयसिंह की
तरफ अपनी बात रखते हैं बाकी महाराज की इच्छा
जो हुकुम को ठीक लगे
और हमारी बात का बुरा लगा हो तो में माफी
चाहता हूं
तब राजा कहते हैं
प्रधान में भी जयसिंह को राजा बनाना चाहता हु
पर जयसिंह अभी तैयार नहीं हुआ है
और में ये देखना चाहता था कि मेरे पास जो प्रधानमंडल है
वो राजा और राज्य को सही राह दिखाता है के नहीं वो में देखना चाहता हूं
पर मुझे आप पर गर्व है कि आपने सही इस सभा को सही राह दिखाई
आप सभी जयसिंह को राजा बनाना चाहते हैं
प्रधान तब कहता है कि हा महाराज सिर्फ प्रधानमंडल नहीं प्रजा भी यही चाहती है
प्रधान में आपकी बात से सहमत हु मगर सत्यसेन सबसे बड़ा है और छोटा राजा बनेगा तो कैसे लगेगा
महाराज आप तो धर्मसेन और योग्यता की बात कर रहे थे
मैने इसीलिए जयसिंह महाराज की बात की
प्रधान तुम सही हो मगर एक बार जयसिंह से बात कर लेते हैं जयसिंह क्या चाहते हो
तभी जयसिंह कहता है महाराज राजा की कोई भी
इच्छा नहीं होनी चाहिए
प्रजा का हित और राज्य की रक्षा ही राजा की
इच्छा होनी चाहिए
राजा धर्म के साथ न्याय करे वहीं सच्चा राजा होता है
राजा का कोई भी स्वार्थ नहीं होना चाहिए
तभी राजा आने वाले भविष्य के लिए जयसिंह
को राजा घोषित करते हैं
और सभी राज्य में उत्साह का माहौल है