Kaali Kitaab: Ek darawni raat ki kahaani in Hindi Horror Stories by Sagar Gurwani books and stories PDF | काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी

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काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी

**परिचय:**

क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण सी शाम कैसे एक खौफनाक सफर में तब्दील हो सकती है? क्या दोस्ती, जिज्ञासा और एक पुरानी किताब आपको एक ऐसी दुनिया में ले जा सकती है, जहां डर और रहस्य का साया मंडराता हो? "काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी" ऐसी ही एक रोमांचक और रहस्यमयी दास्तान है जो आपको अपनी गिरफ्त में ले लेगी।

इस कहानी में, चार दोस्त - सागर, जिराज, आकाश, और राहुल - हर शाम अपने पसंदीदा बाग में मिलते हैं। एक दिन, जिराज की नजर एक पुरानी, धूल से अटी किताब पर पड़ती है, जिसका नाम है "भूत बुलाने का मंत्र।" जिज्ञासा और मस्ती के चलते, ये चारों एक खतरनाक खेल खेलने का निश्चय करते हैं। 

रात के 2 बजे, जब पूरा बाग सन्नाटे में डूबा होता है, ये चारों दोस्त उस मंत्र को आजमाते हैं। लेकिन जैसे ही मंत्र पढ़ा जाता है, अजीब और डरावनी घटनाएं शुरू हो जाती हैं। अंधेरी रात, हल्की बारिश, और चारों ओर का सन्नाटा - सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना देते हैं, जिससे आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। 

"काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी" आपको दोस्ती की गहराई, डर का साया, और अदृश्य शक्तियों का अहसास कराएगी। यह कहानी सिर्फ एक साधारण डरावनी कहानी नहीं है, बल्कि यह आपको एक ऐसे सफर पर ले जाएगी जहां हर मोड़ पर नया रहस्य और रोमांच आपका इंतजार कर रहा होगा।

अगर आपको रहस्य, रोमांच और डरावनी कहानियां पसंद हैं, तो यह ईबुक आपके लिए ही है। इसे पढ़कर आप भी जान पाएंगे कि कैसे सागर और उसके दोस्तों ने उस खौफनाक रात का सामना किया। 

तो तैयार हो जाइए, एक ऐसी यात्रा के लिए जो आपकी सांसें रोक देगी और आपको अंत तक बांधे रखेगी। इस किताब को एक बार पढ़ें और हमेशा के लिए याद रखें!

**"काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी" - एक ऐसा अनुभव, जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे।**

मेरा नाम सागर है। मैं और मेरे तीन दोस्त - जिराज, आकाश, और राहुल - हर शाम को 6 बजे गार्डन में टहलने जाते थे। वहाँ की हरियाली और सुंदर पेड़ देखकर दिल खुश हो जाता था। हम घूमते थे, बातें करते थे, और मस्ती करते थे। एक दिन अचानक जिराज के मन में एक सवाल आया, "क्या सच में आत्माएँ होती हैं?"

मैंने कहा, "शायद हाँ।" जिराज ने बताया कि उसके पास एक किताब है। उसने कहा कि जब वह कॉलेज से वापस आ रहा था, तो उसने एक पुरानी किताबों की दुकान देखी। वह दुकान बहुत सुनसान थी। वहाँ उसने एक धूल भरी किताब देखी, जिसका नाम था "काली किताब: भूत मंत्र,"। किताब में चेतावनी दी गई थी कि अपनी उंगली उस बीच में बने छोटे से सर्कल से न हटाएँ।

हमने उसकी बात सुनकर हँसना शुरू कर दिया। मैंने जिराज से कहा, "ये सब बकवास की चीज़ें क्यों उठा लाया?" उसने कहा, "आओ, एक बार ट्राई करके देखते हैं, मज़ा आएगा, कुछ एडवेंचर हो जाएगा।" मैंने और बाकी दोस्तों ने सोचा कि एक बार कोशिश करके देखते हैं। अंदर से डर तो था, कि मज़ाक-मज़ाक में सच में भूत न आ जाए, और राहुल तो बिल्कुल नहीं मान रहा था। उसे बहुत डर लग रहा था। हर ग्रुप में एक तो फट्टू दोस्त होता ही है। लेकिन डर तो मुझे भी लग रहा था। आकाश को भी डर लग रहा था, पर वो दिखा नहीं रहा था। वो कह रहा था, "गाँव में ऐसे भूतों के साथ मैं छुपम-छुपाई खेलता था और कब्रिस्तान में बैठकर वड़ापाव खाता था।" मैं जानता हूँ, वो बहुत बड़ा फेंकू था, पर हर ग्रुप में एक फेंकू भी होता ही है।

खैर, हमने तय किया कि आज रात 2 बजे, जब इस गार्डन में कोई नहीं होगा और गेट बंद होगा, तब हम मिलेंगे और उस किताब में लिखा हुआ भूत मंत्र पढ़ेंगे। दिल में धक-धक तो सबको हो रही थी, पर एक बार ट्राई करने का मन हो रहा था। फिर हम सब गार्डन से अपने-अपने घर चले गए और रात को 2 बजे मिलने का फैसला किया। हम सब बहुत ही एक्साइटेड थे, लेकिन अंदर से डर भी लग रहा था। पर तब बचपना था हममें, कि हमने इतनी बड़ी खतरनाक गलती करने की सोची।

रात के 2 बज गए थे। फिर मैं और मेरे दोस्त, घर में किसी को बिना बताए चुपके से निकल आए। फिर हम गार्डन के बीच में बने गज़ीबो के पास पहुँचे, जहाँ हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। माहौल डरावना हो चुका था। रात के 2:30 बजने वाले थे। मैंने कहा, "चलो जल्दी शुरू करते हैं।" जिराज ने बीच में चॉक से एक सर्कल बनाया और उसके अंदर एक और स्टार जैसी डिज़ाइन बनाई। छोटे सर्कल में हाथ रखना था और उस जगह से हाथ हटाना नहीं था चाहे आत्मा कोई भी आवाज़ निकाले या कितना भी डराए, बस हाथ नहीं हटाना था। किताब में साफ-साफ चेतावनी दी गई थी।

जिराज ने सर्कल के चारों तरफ मोमबत्ती जलाने को कहा। हमने सर्कल के चारों तरफ मोमबत्तियाँ रखी और बीच में बैठ गए। अब हम सबको थोड़ा-थोड़ा डर लगने लगा था। जिराज मंत्र पढ़ना शुरू करने वाला था। हम सब सर्कल में घेरा बनाए बैठे थे और बीच में छोटे सर्कल पर उंगली रखी हुई थी। राहुल का हाथ काँप रहा था। मैंने कहा, "डरो मत, हम हैं न।" राहुल ने कहा, "तुम सब हो, इस बात का तो डर है।" अचानक सबको हँसी आ गई। फिर जिराज ने कहा, "अब शांत हो जाओ, मस्ती नहीं।" और उसने मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया। फिर हमें सबको डर लगने लगा, कि आगे क्या होगा, कुछ कह नहीं सकते थे। कभी पहले इस बारे में इतना सोचा नहीं था।

जिराज ने किताब में जो लिखा था, वो सब पढ़ा। हम सब एक-दूसरे की शक्ल देख रहे थे। जिराज ने आखिरी पन्ना पढ़ना शुरू किया। फिर वो मंत्र बहुत डरावना था। अब तो मेरे हाथ भी काँपने लगे। जिराज का मंत्र पूरा होने वाला था। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। बादल गरज रहे थे। जिराज का मंत्र पूरा हो गया। चारों तरफ शांति हो गई। 

फिर मैंने आँखें खोलीं, तो कुछ नहीं हो रहा था। सब वैसे का वैसा ही था। 5-10 मिनट हमने इंतजार किया। आस-पास देखा, कुछ हो तो नहीं रहा। फिर आकाश ने कहा, "कुछ नहीं है। फालतू में जिराज ने समय बर्बाद किया।" कुछ नहीं हुआ। जिराज को कहा, "ये सब बकवास चीजें हैं। कोई नहीं आएगा।" हमें भी आकाश की बातें सच लग रही थीं, क्योंकि कुछ हुआ ही नहीं। फिर हम सोच ही रहे थे उंगली हटाने की, तभी गार्डन की लाइट्स बंद होने लगीं, टिमटिमाने लगीं। फिर हमें डर लगने लगा कि ये अचानक से क्या हो रहा है। 

आस-पास एक काला खंभा था। मेरी नजर उस पर गई, तो खंभे में मेरे पीछे का दृश्य दिख रहा था जिसमें पेड़ पर उल्टी लटकी हुई आत्मा हमें देख रही थी। वो दृश्य बहुत खतरनाक था। मैं आज तक नहीं भुला पाया। उसके लंबे-लंबे बाल, डरावना चेहरा, काले रंग के फटे कपड़े, और झुलसे हुए हाथ देखकर मैंने डर के मारे सबको मेरे पीछे देखने को कहा कि वहाँ है, पर किसी को नहीं दिखाई दी। मैंने कहा, "पीछे नहीं दिख रही, तो उस खंभे में देखो।" हमारी चारों तरफ खंभे थे और कुछ मोमबत्तियाँ अभी तक जल रही थीं जिससे उस भूत का दृश्य दिख रहा था। मैंने उन्हें काले खंभे की तरफ देखने को कहा, तो उन सब दोस्तों को दिखाई दी। राहुल डर के मारे चीख पड़ा क्योंकि वो दृश्य देखकर सबके हाथ-पैर काँपने लगे। पसीने निकलने लगे। 

पर वो आत्मा हल्के से अपना हाथ ऊपर करके मुझे बुला रही थी। ये सब तो और भी खतरनाक था। अचानक से डरावनी आवाज सुनाई दी, "बच्चों, सर्कल से हाथ हटाकर मेरे पास आओ। मैं कुछ नहीं करूँगी। जो चाहिए, सोना, चाँदी या पैसा, वो सब दूँगी।" उसकी बातें और आवाज बहुत डरावनी थीं। 

डरावनी आवाज सुनने के बाद राहुल की तो पेंट गीली हो गई। मेरे भी हाथ-पैर जोर से काँपने लगे। आकाश और जिराज भी बहुत डर गए थे। वो आवाज ऐसी थी कि सुनते ही रोंगटे खड़े हो गए। जिराज ने कहा, "कोई भी हाथ मत हटाना, ये कुछ भी कहे, कितना भी कहे, अपना हाथ मत हटाना।" फिर उसने राहुल की गर्लफ्रेंड की आवाज निकालना शुरू किया। उसको पता था कि राहुल इमोशनल बंदा है, उसकी झाँसे में जरूर फँसेगा। उसने प्यारी सी आवाज में कहा, "राहुल, बचाओ, ये भूतनी मुझे मार डालेगी, प्लीज बचाओ।" राहुल डर रहा था। हम सबने कहा, "नहीं राहुल, हाथ मत हटाना, ये सब झूठ है, तुम्हें फँसा रही है।" मैंने कहा, "राहुल, उसकी बात मत सुनो, प्लीज मेरी तरफ देखो, खंभे की तरफ नहीं और आवाज मत सुनो।" 

जोर-जोर से रोने लगी। राहुल का हाथ तो नहीं हटा, पर जब डरावनी आवाज से वो भूतनी छींखी, तो आकाश ने डर के मारे उंगली सर्कल से हटा दी और कान पर हाथ रख दिया। मैंने खंभे पर देखा, भूतनी की डरावनी हँसी और अचानक से आकाश पेड़ की तरफ जाकर चिपक गया और भूतनी ने हमारे ही सामने उसे काट कर खा लिया। 

अब हम तीन लोग बहुत ज्यादा डर गए थे। मुझे डर था कहीं राहुल भी हाथ न हटा दे डर के मारे, पर वो अपने आप को सँभालने की बहुत कोशिश कर रहा था। वो काँप रहा था पूरा। पर काँप तो अब हम सब रहे थे, क्योंकि हमारे बचपने की वजह से हमारे एक दोस्त की जान जा चुकी थी। अब हम तीनों को कैसे भी करके बचना था। उस आत्मा ने जोर-जोर से अजीब आवाज में डराना शुरू कर दिया। रात के 3:30 बज रहे थे। मैंने कहा, "थोड़ा समय ही है, सुबह होने में। अपने आप को सँभाल कर रखो।" पर हमको उसकी आवाज हाथ हटाने पर मजबूर कर रही थी। बहुत डर लग रहा था, सहन नहीं हो रहा था उसकी आवाज। फिर मैंने कहा, "गार्डन की दीवार कूद

कर पार कर लेंगे, तो पास में हनुमान जी का मंदिर है। हाथ हटाकर तुरंत भागते हैं और मंदिर की तरफ भागना है। मुझे हनुमान चालीसा पढ़नी आती थी, मैंने वो पढ़ना शुरू कर दिया। कुछ समय के लिए वो भूतनी दिखना तो बंद हो गई। हमें और कुछ हलचल नहीं दिख रही थी, तो हमने उंगली हटाकर भागने का सोचा। जिराज हमारे पीछे भाग रहा था। अचानक से जमीन के नीचे से हाथ निकला और जिराज जमीन में धँस गया। मैं और राहुल बचे थे, जो अपनी जान बचाकर भाग रहे थे। आत्मा ने हमको खींचने की कोशिश की जमीन से, पर खींच नहीं पाई। वो हमें छू नहीं पाई, शायद इसीलिए क्योंकि राहुल ने हनुमान का गले में धागा पहना था और मैंने रुद्राक्ष की माला। 

अचानक से राहुल की तरफ गार्डन में पड़ा हुआ पत्थर उड़कर आया। मैंने राहुल को कहा, "राहुल, नीचे की तरफ झुको।" राहुल बच गया, नीचे हो गया। मेरी तरफ पत्थर आया, पर भागते-भागते हाथ पर लगा। खून निकल रहा था, पर हमने भागना नहीं छोड़ा और जैसे-तैसे दीवार कूदकर मंदिर में घुस गए। फिर हमें कोई हलचल महसूस नहीं हुई। सब शांत हो चुका था। हम बहुत डर कर बजरंग बली के पैर में पड़े हुए थे, काँप रहे थे। 

सुबह होने वाली थी। हमें वहाँ पर ही नींद आ गई। 6 बजे मंदिर के पुजारी ने उठाकर पूछा, "क्या हुआ बेटा, इस तरह से यहाँ क्यों सो गए हो?" उसने हाथ की तरफ देखकर कहा, "तुम्हें तो बहुत चोट लगी हुई है।" उन्होंने पट्टी बाँधकर पूछा, "क्या हुआ था?" मैंने सारी बात उस पुजारी को बताई। उन्होंने कहा, "तुम लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुम्हारे बचपने की वजह से तुम्हारे दोनों दोस्तों की जान चली गई। भूत-प्रेत सब सच में होते हैं और उन्हें बुलाकर कभी परेशान नहीं किया जाता। तुम लोगों का नसीब अच्छा था, तो बच गए।" ये बात सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ कि मैंने अपने दोस्तों को खो दिया। 

मैंने बजरंगबली से प्रार्थना की, "जब आपने मुझे बचाया, तो मेरे दोस्तों को भी बचा लो।" मैंने और राहुल ने बहुत प्रार्थना की वहाँ पर बैठकर। मैंने भगवान से कहा, "काश भगवान, ये सब सपना होता।" तभी अचानक से आवाज आई, "जिराज की, 'उठ जा साले, सुबह हो गई, कब तक सोएगा?'" मेरी आँख खुली, मेरे सामने जिराज, आकाश, और राहुल तीनों थे। और मैं उन्हें देखकर खुशी से रो पड़ा। मैंने अपने दोस्तों को कहा, "जिराज, आकाश, तुम लोग जिंदा हो।" उन्होंने कहा, "तो क्या हम लोग तुम्हें मरे हुए दिख रहे हैं? और तुझे रात को कितने कॉल किए 2 बजे, तू उठा ही नहीं साले। फिर हमने ये प्लान कैंसिल कर दिया।" फिर मैंने उन्हें सारी कहानी सुनाई। वो सब भी डर गए ये सुनकर। मैंने कहा, "जिराज, ये किताब जला दे। आज के बाद कभी ऐसे घटिया काम करने की मत सोचना।" फिर मैंने बजरंगबली और शिव जी को थैंक्यू कहा और कभी ऐसा काम ना करने की कसम खाई। और मैं बहुत खुश था कि मेरे सारे दोस्त बच गए। अब ये मेरा सपना था या सच, आज तक मैं समझ नहीं पाया।

आपको क्या लगता है?

**अंतिम शब्द:**

प्रिय पाठकों,

आपकी दिलचस्पी और प्यार के बिना, इस ईबुक का सफर अधूरा है। मुझे उम्मीद है कि "काली किताब: एक डरावनी रात की कहानी" ने आपको रोमांच और रहस्य के एक अद्भुत सफर पर ले जाने में सफलता पाई है। यह कहानी आपके दिल में एक खास जगह बना सके, यही मेरी सबसे बड़ी खुशी होगी।

यदि यह कहानी आपको पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें। आपकी प्रतिक्रिया और समर्थन मेरे लिए अनमोल हैं। आपके विचार और सुझावों का हमेशा स्वागत है, क्योंकि वे ही मुझे और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करते हैं।

आपकी मुस्कान और संतुष्टि मेरे लिए सबसे बड़ी पुरस्कार हैं। यह जानकर कि मेरी कहानी ने आपके जीवन में थोड़ी सी भी खुशी और रोमांच जोड़ा है, मेरा दिल खुषियों से भर जाता है। 

आशा है कि भविष्य में भी मैं आपको ऐसे ही रोचक और रोमांचक कहानियों से रूबरू करा पाऊं। 

धन्यवाद और शुभकामनाएं!


सागर गुरवानी