कोटाहारी हॉन्टेड हॉस्टल - भाग 1 in Hindi Horror Stories by Kiran Kumar books and stories PDF | कोटाहारी हॉस्टल - भाग 1

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कोटाहारी हॉस्टल - भाग 1

पहले सेमेस्टर की शुरुआत

बहुत समय की बात है कोटाहारी नामक एक हॉस्टल हुआ करता था जो सन् 1990 में सबसे प्रसिद्ध हुआ करता था वैसे तो उस दौर में भी सभी हॉस्टल एकांत जगहों में ही हुआ करता था पर तब भी सारे हॉस्टल के आस पास कुछ ही दूरी पर कोई बस्ती या स्कूल कॉलेज हुआ ही करता था पर कोटाहारी हॉस्टल ही एक ऐसा हॉस्टल था जो अपने बेहद ही सात वातावरण के लिए भी जाना जाता था तभी तो इसके 500 मीटर के रेडियस में सबकुछ सुनसान था एक बार बस अपने एडमिशन करवा लिया तो बस आपको हॉस्टल के ही नियमों का पालन करना अनिवार्य था अब बाकी अन्य हॉस्टल्स के जैसे ही यह का वार्डन भी काफी सख्त किस्म का इंसान था वो भी नाइट में भी यही पर ही हॉस्टल के बाहर अपने अलग क्वार्टर में रहता था वह अपने काम में काफी सख्त भी था जिसे डिसिप्लीन पसंद था उस समय के लोग बाहरी शक्तियों में या ऊपरी हवा जैसी चीज़ों में काफी माना करते थे जिस वजह से हॉस्टल में भी सभी बच्चों को कड़ा आदेश था कि रात को 11 बजे के बाद कोई भी हॉस्टल के छत पर नहीं जाएगा कोई भी बच्चा शोर शराबा नहीं करेगा और हॉस्टल में सबको डिसिप्लीन में ही रहना पड़ेगा अगर कोई भी बच्चा रात को कभी बाहर दिखा तो उनके घरवालों को सीधा कंप्लेंट कर दि जाएगी सब कुछ बिल्कुल सामान्य चल रहा था हां हॉस्टल का खाना इस समय भी किसी को कुछ खास पसंद नहीं हुआ करता था कुछ तो कभी अपनी थाली में भी कुछ खाना छोड़ दिया करते थे पर सभी बच्चों में कड़ा अनुशासन लगा होने के कारण सभी चुपचाप खाना खा लिया करते थे और रात को चुपचाप अपना पढ़ाई करके और अपना होमवर्क सब कंप्लीट करके 11 बजे तक सब सो जय करते थे सब दीन बस इसी तरह बीतता जा रहा था जबतक कि वह मनहूस रात शुरू नहीं हो गई जिसके बाद से ख़ौफ़ का मंजर कुछ इस तरह हॉस्टल में फैला की किसी की भी अंदर एक अजीब सिहरन दौड़ पड़ेगी 

हो सकता है यह सब बातें बहुत सारे लोगों को केवल अंधविश्वास लगे और वे लोग इन सब बातों को मनघड़ंत समझे पर वो कहते हैं न कि जिसने इसे महसूस किया हो केवल वही उसे बता सकता है खैर सबकी अपनी राय अलग ही होती है यह कहानी राज और उसके पांच दोस्तो अरुण,वीरेन ,नकुल ,राहुल और सोनम की है , अरे नहीं नहीं सोनम लड़की नहीं है बल्कि एक लडका ही है जो अपने इसी अनोखे नाम के कारण ही कई बार अपने चारों दोस्तो के हसी मजाक का पात्र बनता रहता था  
राज और बाकी के दोस्तो को भी ऊपरी हवा रूह रूहानी ताकतें यह सब बातें मनघड़ंत और केवल लोगों का मनोरंजन मात्र ही लगती थी पर वो कहते है न कि हमें भले ही यकीन नहीं हो पर जब ये सब बातें हमारे बड़े लोग इन सब के बारे में बार बार बोलते नहीं थकते तो इनको छेड़ना कभी भी नहीं चाहिए 
पर राज या उसके दोस्तों को यह सब बातें ऊपरी हवा ,रूह,आत्मा ,पिशाच यह सब फिजूल की बातें लगती थीं वे बस उनका मजाक उड़ाया करते थे सब कुछ बस इसकी हसी मजाक में ही चल रहा था कि पहला सेमेस्टर भी खत्म हो गया था किसी को पता नहीं था कि ये सेमेस्टर कब गुजर गया सच ही कहते है कि हसी मजाक करते करते वक्त का कभी भी पता ही नहीं चलता है ऐसा ही हुआ भी दूसरा सेमेस्टर शुरू होने वाला था पर अभी कुछ दिन छुट्टियां दी गई थी बस यहीं से वह बुरा समय शुरू होने वाला था जब इन सब दोस्तों के एक मस्ती पूरी हॉस्टल हो एक रूहानी एहसास से जोड़ने वाला था 
छुट्टियां चल रही थी तो सभी दोस्तो ने एक दिन डिसाइड करते है कि क्यों न हमलोग भी आत्माओं का सच जानें कि वो सब सकमे होतिं भी है या नहीं या ये सब सिर्फ सबकी मनघड़ंत बातें ही है आत्मा का नाम सुनते ही सोनम को न जाने क्यों थोड़ा सा डर लगने लगा था वो कहते है न कि हमारी छाती इंद्रिय हमे कभी कभी बहुत बुरा होने से पहले सचेत करने का प्रदेश करती है वो तभी बीच में ही बोल पड़ा कि " नहीं भाई लोग अपन को इन सब के चक्करों में नहीं पढ़ना चाहिए आखिर क्यों इन सबको परेशान करें " वो ये सब बोल ही रहा था कि उसकी बात काटते हुए ही नकुल भी बोला कि 
" अबे यार तू चुप ही कर अभी भी डरता है अरे ये बहुत बुत नहीं होता है अपन सब लोग एक साथ है न फिर ट्रकों काहे का डर लग रहा है " 
राहुल सोनम को चुप करते हुए बोला : " हां नकुल बिल्कुल सही बात कर रहा है अभी हमलोग हॉस्टल लाइफ में ये सब कुछ एंजॉयमेंट नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे " 

पर वीरेन को सोनम की बात ठीक लग रही थी कि हमें इन सब के चक्करों में नहीं पढ़ना चाहिए अरुण जो इस वक्त बाथरूम गया हुआ था उसको पता नहीं कि ये लोग अंदर क्या बात करे रहे है पर पता नहीं क्यों उसको उसी वक्त कुछ तो अजीब एहसास हुआ था