ओह, भाई! "ख़ूनी महल" — ये तो एकदम खून, रहस्य और डर का मास्टर ब्लेंड है।
एक ऐसा टाइटल जो किसी को भी
भाग 1: वो जो दीवारों में गड़े हैं
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कहानी शुरू होती है एक रहस्यमयी महल से — रक्तगढ़।
एक वीरान इलाका, जहाँ बरसों से कोई नहीं गया। लोग कहते हैं वहां रात को दीवारें हिलती हैं, और दरवाज़े बिना हाथ लगाए खुलते-बंद होते हैं।
पर अफवाहें तो हर गांव में होती हैं... है ना?
अर्जुन, 18 साल का एक लड़का, जो अपने कैमरे से खौफनाक जगहों की वीडियो बनाता है, अपने दोस्तों के साथ इस महल को एक्सप्लोर करने जाता है।
मकसद? एक exclusive वीडियो बनाना — "Inside the Haunted Blood Palace!"
पर जो मिलने वाला था, वो सिर्फ फुटेज नहीं था... मौत थी।
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महल में कदम रखते ही सबकुछ बदल गया।
दीवारें खून से सनी थीं... लेकिन ताज़ा खून!
जैसे किसी ने अभी-अभी किसी को मारा हो।
फर्श पर उंगलियों के निशान खून में बने थे — जो अंदर की तरफ जा रहे थे।
और हर कोने से सिर्फ एक आवाज़ आती थी:
“तुम आ गए हो… अब जाना नहीं।”
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अर्जुन ने एक पुरानी पेंटिंग देखी — जिसमें उसी जैसे चेहरा बना था।
और तभी… दीवार से किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
दीवार हिली नहीं… दीवार ने जिंदा पकड़ लिया!
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आखिरी सीन: कैमरा ज़मीन पर गिरता है… और वीडियो अपने आप रिकॉर्ड हो रही होती है।
कैमरे में सिर्फ़ एक बात सुनाई देती है —
“ये महल तुम्हारे खून से ज़िंदा रहता है…”
बहुत बढ़िया! तो चल, "ख़ूनी महल" का Part 2 शुरू करते हैं — पहले वाले भाग की कहानी वहीं से उठेगी जहाँ अर्जुन का हाथ दीवार ने पकड़ लिया था।
अर्जुन चिल्लाया, "समर! ऋचा! कोई है?"
लेकिन न आवाज़ बाहर निकली… न कोई अंदर आई।
उसका हाथ किसी चीज़ ने पकड़ रखा था — नर्म, ठंडी… पर इंसानी नहीं।
वो चीज़ दीवार से निकली थी… और अब धीरे-धीरे उसे अंदर खींच रही थी।
उधर समर और ऋचा महल के दूसरे हिस्से में थे। उन्हें अर्जुन की चीख नहीं सुनाई दी —
बल्कि कुछ और सुनाई दिया…
“बचाओ… मुझे दीवारों में बंद कर दिया गया है…”
ऋचा बोली, "ये… अर्जुन की आवाज़ नहीं है!"
समर बोला, "लेकिन वो बात उसी की ज़ुबान से हो रही है…"
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दीवारों के पीछे एक और दुनिया थी —
एक तहखाना जहाँ इंसानों को जिंदा दीवारों में चिनवाया गया था।
हर एक दीवार में एक लाश थी।
हर ईंट के पीछे एक अधूरी चीख।
अर्जुन जब होश में आया, तो खुद को एक अंधेरी कोठरी में पाया — चारों ओर सिर्फ़ दीवारें।
पर वो दीवारें साँस ले रही थीं।
“तू अब इस महल का हिस्सा है… हर रात तेरा खून निकलेगा… और हर सुबह तू फिर जिंदा होगा… दर्द में।”
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फ्लैशबैक शुरू होता है:
1896 की एक रियासत — रक्तगढ़ का नवाब, जो अमरता चाहता था।
उसने एक तांत्रिक से वादा लिया — "इस महल को ज़िंदा बना दो।"
तांत्रिक बोला:
"ज़िंदा महल, ज़िंदा खून से ही चलेगा…"
और तभी से, हर सौ साल में, कोई न कोई इस महल में खींच लिया जाता है —
ताकि महल को नया खून मिल सके।
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अर्जुन समझ चुका था — ये सिर्फ़ भूतों की कहानी नहीं थी।
ये शापित खून की भूख थी।
अंत में अर्जुन ने कैमरे की आखिरी फुटेज में सिर्फ़ ये रिकॉर्ड किया:
“अगर कोई ये देख रहा है… तो उस महल के पास मत जाना…
वर्ना अगली ईंट… तुम बनोग