Pahla Pyaar - 1 in Hindi Love Stories by Alone Soul books and stories PDF | पहला प्यार ? - 1

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पहला प्यार ? - 1

पहला हा सही सुना अपने 

कुछ उसके बारे में एहसास से ज्यादा करने का मन हो रहा है सोचा कुछ लिखा ही जाए 

बस कुछ गुदगुदहात सी होती है न  जब पहला प्यार , इजहार ,पहली मुलाकात ,

जैसे कदम लड़खड़ाते है , जैसे कोई मासूम पहला कदम लेने के लिए खड़ा हुआ हो 

पहली बात 

फिर एक दूसरे  की आंखों से ही आंख चुरा के आंखों में देखना फिर जब गलती  से मिल जाए तो फिर उन आंखों से खुद ही कह देना ( अरे देख लिया क्या )

हां तो ऐसा पहला प्यार था मेरा 

हां तो मैं कौन , मैं आपकी दोस्त रूप

तो पहला जब हार्मोन लोचा ही तो बोलते हैं हम उमर के ताजे में जब ये एहसास भी मजाकिया लगता था

मगर में तो बड़ी थी काफी उस रोमियो से


सुबह के साढ़े सात हां भाई वही भगभग जिंदगी मेरी भी है आपकी तरह 

सीढ़ियों से भागती में और लेफ्ट में  से नीचे आता वो 

और यू अचानक लिफ्ट खुली जैसे मैने आखिरी कदम रखा नीचे और उसकी जिंदगी में पहला कदम 

आंखे मिली और पता नहीं क्यों हम दोनों मुस्कुराए 

(ऐसा  नहीं था कभी देखा नहीं था , ऐसा भी नहीं था उसने मुझे checkout न मारा हो by the ways girl's six sense भी तो काम करते हैं)

बस पता नहीं क्यों क्या हुआ  मैं मुस्कुराई नहीं ,नहीं वो मुस्कुराया 

नहीं अरे हम मुस्कुराए 

तो मेरी कहानी  मे मैं उसको mr ही बुलाती थी 

तो  

बस शुरू हो गया extra check in check आउट करना 

फिर एक दिन में लिफ्ट से घुसी और जब में नीचे जाने लगी अचानक फ्लोर नो 5 पे लिफ्ट रुक गई 

बस झाली सी में बड़बड़ करती (लेट होता रहता चले आते हे पता नहीं  क्यों )

अचानक सामने से वो ,  जिम के कपड़ों में  

हां भाई check आउट मर लिया था

एंड he just says hello 

और हार्ट बिट मेरी मेरे कानों तक सुनाई दे रही थी 

एंड मैने कुछ भी नहीं बोला और वो लेफ्ट चला गया मैं राइट 


मैने क्यों नहीं बोला में तो बड़ी हु न उससे ई थिंक सो 

रस्ते भर as usual खुद से बात करते ऑफिस पहुंची 

काम किया 

, और जाने लगी फिर लिफ्ट  में जाने की आदत सी हो गई थी वो लड़की जो दुनिया जहान को ज्ञान देती थी कि पैर को भगवान को वैसे ही देना है क्या जैसे उन्होंने दिए हैं अब वो भी लिफ्ट से आने जाने लगी 


प्यार ही था क्या ?

कंफर्म कौन करे , फिर शाम हुई  बालकनी में बैठ के गाने न सुने तो क्या खाक शाम हुई मेरी चाय , तैयार थी 

रफी साहब भी कुछ गुनगुना ही रहे थे 

की अचानक मेरे  फ्लैट की रिंग बजी 

हां हां आ रही हु ...... जान ही ले लोगे by god 

और सामने mr थे , .... 

( इस बार नहीं डरी हु में थोड़ा गुस्से में थी अरे भाई रफी साहब , और चाय दोनों मेरा इंतज़ार कर रहे थे )

तुम पीछा कर रहे हो क्या मेरा , हां जानती हु में तुम जैसों को समझे 

और दवाजा मुंह पे बंद 

और  मैं खुश 

वाह वाह वाह क्या डाटा है मैने 

एक डांस तो बनता है 

की अचानक फिर बेल बाजी 

(वॉच अंकल आप )

बिटिया तुम्हारा पार्सल आया है तीन दिन से तुम ध्यान नहीं दिया तो बच्चे से भिजवा दिया 

और तुमने उसको डाट दिया 

माफ करना मेरे घुटनों में थोड़ा दर्द है इसी लिए नहीं आ पाया में 

बस फिर क्या गिल्ट मेरे सर पे चढ़ के थप्पड़ मारने लगा वाह क्या किया है तुमने , वाह 

फिर क्या था सुबह लिफ्ट लेके इंतजार  करना शुरू हुआ

दो दिन बाद मिला mr 

 

हां हां मैं डरती थोड़ी हु हो जाती है गलती 

सबसे 

Hye... सुनो 

Mr: जी बोलिए 

उस दिन के लिए सॉरी 

Mr: कोई बात नहीं  आपका फर्ज था अपनी सुरक्षा 

रूप : ओहो 

Mr : ok में चलता हु , मेरा कॉलेज है 

रूप : हां मुझे पता है ( वही अपनी तेज ज़ुबान का दोष देते हुए )

Mr:आपको कैसे पता 

रूप : नहीं नहीं वो बात नहीं है छोटे लगते हो देख के 

Mr: हां बट हु नहीं  

और रस्ते बदल गए ......




शेष अगले  भाग में ...............