CORONA
हहहहहहह बचाके रखना
काय 'को' रोना अपने को बचाके रखना -----2
घरसे जब तुम बहार निकलो -----2
मुँह पे मास्क लगाके रखना
काय 'को' रोना अपने को बचाके रखना -----२
गली मुहल्ले या बाजार में ----२
जब तुम निकलो खरीदने को -----२
इक दुसरेसे तीन - चार मीटर की दुरी बनाके रखना
काय 'को' रोना अपने को बचाके रखना -----२
बहार से जब घर वापस आओ ----२
सेनीताइज़र से हाथ साफ करना ----२
और साबुन से हाथ पैर धोना
काय 'को' रोना अपने को बचाके रखना -----२
रखोगे इतना ख्याल आप ---२
तो रोना पड़ेगा 'कोरोना' को
काय 'को' रोना अपने को बचाके रखना -----२
I have had writtern this poem at the time of CORONA, when I was working at Hospital in Ahmedabad. I have been found this site to release such type of content, so then I put it here for the public to look after it and enjoy for the same spirit as what at that time i felt.
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I have not other words right now to share or express my feeling according to this written script, but what i felt or think... I penned down in a letter with my inner soul effort.
जब कोरोना था तब में हॉस्पिटल जॉब से घर था तब कोरोना टाइम पे ये पोएम लिखी थी/ public welfare के लिए/ लोग जागृत हो इस लिए /
कोरोना एक बहुत ही डरावनी आफत थी। सब लोग उस दौरान बहार निकलने और कुछ भी लेने जाने के लिए डरते थे। ये सब जानते हे , हर कोई का मन ऐसे में नहीं जूझता की कुछ करू। और मेने यह गीत लिख डाला /
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एक और मेरा संकलन हे जिसे मेने बहुत टाइम पहले लिखा था यानि के कॉलेज टाइम दौरान, जिसे में आज यहाँ प्रकाशित कर रहा हु। उसे मेने गुजरती में लिखा हे जो मेर बहेतर लिखाई हे। जिसमे एक पजल हे जो दिलोके रिस्तो तक ले जाती हे। इस पजल में तीन CHARACTERA हे जिनको में सोच के ये लिखाई लिखी थी।
एक और मेरा संकलन हे जिसे मेने बहुत टाइम पहले लिखा था यानि के कॉलेज टाइम दौरान, जिसे में आज यहाँ प्रकाशित कर रहा हु। उसे मेने गुजरती में लिखा हे जो मेर बहेतर लिखाई हे। जिसमे एक पजल हे जो दिलोके रिस्तो तक ले जाती हे। इस पजल में तीन करैक्टर हे जिनको में सोच के ये लिखाई लिखी थी।
" વીટમ્બણા હતી ના આવી પડી છે અંચાહિ આજ !
ચાહ્યું હતું નહિ ને, ચ્હાય ગયું છે આજ !
છે કયું પરીબર, સતાવનાર આજ
કહીશ કે જે વિસરાયું નહતું આજ ને વિસરાયું નથી કાલ
પણ રહ્યું છે હવેથી કાયમી ફરિયાદ માં "
રામા જાદવ
एक और मेरा संकलन हे जिसे मेने बहुत टाइम पहले लिखा था यानि के कॉलेज टाइम दौरान, जिसे में आज यहाँ प्रकाशित कर रहा हु। उसे मेने गुजरती में लिखा हे जो मेर बहेतर लिखाई हे। जिसमे एक पजल हे जो दिलोके रिस्तो तक ले जाती हे। इस पजल में तीन करैक्टर हे जिनको में सोच के ये लिखाई लिखी थी।
Thank you for ...