There are too many chameleons in power these days in Hindi Philosophy by R Mendiratta books and stories PDF | गिरगिट बहुत हो गए पॉवर मे आजकल

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गिरगिट बहुत हो गए पॉवर मे आजकल

पावर और गिरगिट प्रवृत्ति: एक चिंतनशील विश्लेषण. 

“पावर,” अर्थात शक्ति, वह अदृश्य ताकत है जो इंसान को उसकी सीमाओं से बाहर ले जाती है। यह व्यक्तित्व को परखने और उसे आकार देने का एक साधन भी बन जाती है। लेकिन यह पावर जब गलत हाथों में पड़ती है, तो यह इंसान के नैतिक और भावनात्मक आयामों को बदलकर उसे गिरगिट जैसा बना देती है—जो अपनी सुविधाओं और हितों के हिसाब से रंग बदल लेता है।

    गिरगिट और इंसान: समानता की एक झलक
गिरगिट का स्वाभाविक गुण है अपने परिवेश के अनुसार रंग बदलना। यह उसकी प्रकृति का हिस्सा है। लेकिन जब इंसान, जो विवेक और भावनाओं से संपन्न है, अपने स्वार्थ और शक्ति के लिए इसी प्रवृत्ति को अपनाता है, तो यह एक चिंताजनक स्थिति बन जाती है। यह प्रवृत्ति तब और ज्यादा दिखने लगती है जब इंसान को पावर मिलती है। 

पावर इंसान को एक ऐसी स्थिति में ला खड़ा करती है, जहां वह अपने मूल्यों और नैतिकता को पीछे छोड़ सकता है। गिरगिट की तरह वह अपने हितों के अनुसार अपने सिद्धांत और व्यवहार बदल लेता है। यह रंग बदलना न सिर्फ समाज के लिए बल्कि स्वयं उस व्यक्ति के लिए भी खतरनाक हो जाता है।

    पावर: व्यक्तित्व के असली चेहरे को उजागर करती है
पावर का असली प्रभाव व्यक्ति के भीतर छुपे असली व्यक्तित्व को सामने लाने का होता है। जब इंसान के पास पावर नहीं होती, तो वह दूसरों के सामने विनम्र, दयालु और सहयोगी दिखने की कोशिश करता है। लेकिन जैसे ही वह ताकत की स्थिति में पहुंचता है, उसके असली इरादे और व्यवहार सामने आने लगते हैं। 

1.   स्वार्थ और धोखाधड़ी
   कुछ लोग पावर मिलते ही अपने स्वार्थ को पूरा करने में लग जाते हैं। उनके लिए दूसरों की भावनाएं और अधिकार कोई मायने नहीं रखते। वे गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए अपने फायदे के लिए दूसरों को उपयोग करते हैं।

2. सुविधा के अनुरूप सिद्धांत
   पावर इंसान को अक्सर अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करने के लिए मजबूर करती है। वह गिरगिट की तरह उन सिद्धांतों को बदल देता है जो उसके लिए अब फायदेमंद नहीं हैं। यह बदलाव अक्सर नैतिकता के कमजोर होने का संकेत देता है।

3. डर का माहौल बनाना
   कई बार पावर का इस्तेमाल दूसरों पर नियंत्रण पाने के लिए किया जाता है। ऐसे लोग अपने चारों ओर ऐसा माहौल बना देते हैं कि हर कोई उनके अनुसार ही काम करे। यह प्रवृत्ति गिरगिट की उस चालाकी से मिलती-जुलती है, जिससे वह अपने शिकार और शत्रु दोनों को भ्रमित करता है।

     समाज पर प्रभाव
जब पावर का यह “गिरगिट प्रवृत्ति” वाला रूप समाज में प्रभाव डालता है, तो उसके दूरगामी परिणाम होते हैं। समाज में:
- विश्वास का स्तर घटने लगता है।
- नैतिक मूल्यों का क्षरण होता है।
- पारदर्शिता और ईमानदारी गायब हो जाती है।

व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए समाज के हितों को नजरअंदाज करने लगता है। यह प्रवृत्ति न सिर्फ एक व्यक्ति को, बल्कि पूरे समाज को कमजोर बना सकती है।

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     पावर का संतुलित उपयोग: सच्चे नेतृत्व की पहचान
पावर एक जिम्मेदारी है, न कि सुविधा। इसे गिरगिट की प्रवृत्ति से दूर रखने के लिए लोगों को आत्म-जागरूकता और नैतिकता का पालन करना चाहिए। सच्चे नेता वे होते हैं जो:
- अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर अडिग रहते हैं।
- पावर का उपयोग समाज की भलाई के लिए करते हैं।
- दूसरों को प्रेरित करते हैं, न कि उनका शोषण।

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   निष्कर्ष
“पावर बना देती है गिरगिट लोगों को”—यह कथन हमारे समाज और व्यक्तित्व के लिए एक चेतावनी है। पावर को उपयोगी और प्रभावी बनाने के लिए नैतिकता, ईमानदारी और दयालुता का होना आवश्यक है। गिरगिट जैसे रंग बदलने की प्रवृत्ति से बचकर, इंसान को अपने व्यक्तित्व का असली रंग दिखाना चाहिए—एक ऐसा रंग, जो समाज को रोशनी और आशा दे। 

आखिरकार, पावर आपके असली चेहरे को दिखाने का एक जरिया है—फर्क सिर्फ इतना है कि आप गिरगिट बनते हैं या इंसान बने रहते हैं। 😊✨