अंजलि – साया तेरे प्यार का
भाग 1: विजय और अंजलि का प्यार
विजय एक बिजनेसमैन का बेटा था। उसके पिता ठाकोर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज़ के मालिक थे, लेकिन विजय को पैसे का कोई घमंड नहीं था। वह एक साधारण, सच्चे दिल वाला लड़का था। उसकी ज़िंदगी में सबसे खास इंसान थी – अंजलि।
अंजलि एक साधारण परिवार से थी, लेकिन उसकी मासूमियत और सादगी ने विजय का दिल जीत लिया था। दोनों एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे और हमेशा साथ रहने के सपने देखते थे।
एक दिन, जब विजय के पिता को उनके रिश्ते के बारे में पता चला, तो उन्होंने सीधे अंजलि के पिता से बात की। “मेरा बेटा नासमझ है, उसे नहीं पता कि वह क्या कर रहा है। हम अमीर लोग हैं, और आपकी बेटी इस रईस परिवार में फिट नहीं बैठेगी।“
अंजलि के पिता को यह बात बुरी लगी, और उन्होंने विजय को मना कर दिया। लेकिन विजय हार मानने वालों में से नहीं था। “अंकल, मुझे पैसों का कोई घमंड नहीं है। मैं अंजलि को रानी बनाकर रखूंगा। मैं कल आऊँगा और उसे अपनी पत्नी बनाकर ले जाऊँगा!”
लेकिन जब अगली सुबह विजय अंजलि से मिलने पहुँचा, तो न तो अंजलि थी और न ही उसका परिवार।
वह बिना बताए कहीं चली गई थी...
भाग 2: गोवा का भूतिया महल
समय बीतता गया, और विजय अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश करता रहा। वह अपने चार दोस्तों – जानवी, अर्जुन, रोहन और साक्षी – के साथ अक्सर घूमने-फिरने जाता था। एक दिन, उसने गोवा घूमने का प्लान बनाया।
विजय के पिता ने कहा, “बेटा, मैंने तुम्हारे लिए गोवा में एक महल खरीदा है, तुम वहाँ जाकर रह सकते हो।“
विजय और उसके दोस्त जब उस महल में पहुँचे, तो पहली ही रात अजीब घटनाएँ होने लगीं...
पहली रात
रात के समय जानवी पानी लेने बाहर गई। जैसे ही उसने रसोई में कदम रखा, उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है। जब उसने मुड़कर देखा, तो एक सफेद साड़ी में लड़की खड़ी थी!
जानवी जोर से चिल्लाई और डर के मारे भागकर विजय के पास आई। उसने काँपते हुए कहा, “मैंने... मैंने एक भूत देखा!”
लेकिन किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया। सिर्फ अर्जुन को छोड़कर।
दूसरी रात
खाने के बाद अर्जुन बाहर हाथ धोने गया। तभी उसे किसी ने पुकारा, “अर्जुन...!!”
उसने शीशे में देखा, और वहाँ वही सफेद साड़ी पहनी लड़की खड़ी थी!
अर्जुन चीखते हुए भागा और विजय से कहा, “साले विजय! तू हमें इस भूतिया महल में मरवाने लाया है क्या?”
विजय हँसते हुए बोला, “बेवकूफ! भूत-वूत कुछ नहीं होता। अगर किसी ने फिर से ऐसी बात की तो मैं सबकी नानी याद दिला दूँगा!”
तीसरी रात – अंजलि की सच्चाई
रात के समय विजय अपने कमरे में बैठा अंजलि को याद कर रहा था। तभी किसी ने उसके कान में फुसफुसाया –
“विजय... मैं अंजलि हूँ...”
विजय ने तुरंत पहचान लिया – यह उसी की अंजलि की आवाज़ थी!
लेकिन अंजलि भूत कैसे बन गई?
भाग 3: रहस्य का पर्दा उठता है
अंजलि की आत्मा ने विजय को उसकी दर्दनाक कहानी सुनाई।
जिस दिन विजय उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए घर लेने आया था, उसी रात अंजलि के पिता ने उसे जबरदस्ती कहीं भेज दिया था। अंजलि ने भागने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में एक हादसे में उसकी मौत हो गई।
उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली, क्योंकि वह विजय से बिछड़ गई थी। और अब, वह उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी...
विजय के दोस्त इस भूतिया रहस्य से डरकर भागना चाहते थे, लेकिन विजय ने फैसला किया कि वह अंजलि की आत्मा को मुक्त करेगा।
भाग 4: विजय और अंजलि का अंतिम मिलन
विजय ने एक पंडित को बुलाया, जिसने कहा कि अंजलि की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए उसकी आखिरी इच्छा पूरी करनी होगी।
विजय ने अंजलि के आत्मा से पूछा, “तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या थी?”
अंजलि की आत्मा की आँखों से आँसू निकल पड़े। उसने कहा –
“मैं तुम्हारी दुल्हन बनना चाहती थी...”
विजय ने उसी रात, पूरे रीति-रिवाजों से अंजलि की आत्मा से विवाह किया। जैसे ही उसने मंगलसूत्र अंजलि की आत्मा के गले में डाला, एक रोशनी चमकी और अंजलि की आत्मा धीरे-धीरे गायब होने लगी।
आखिरी बार उसने मुस्कुराते हुए कहा –
“अब मैं हमेशा तुम्हारे दिल में रहूँगी, विजय... अलविदा!”
और फिर... महल में सबकुछ शांत हो गया।
अंत... लेकिन क्या यह वास्तव में अंत था?
विजय और उसके दोस्त वहाँ से चले गए। लेकिन जब विजय ने कार के शीशे में देखा, तो उसे हल्की सी अंजलि की परछाई दिखी, जो मुस्कुराकर देख रही थी...
“मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, विजय...”
(कहानी समाप्त)
Story Writer
Digvijay Thakor