जैसा कि आप सब जानते हैं कि ऊपर वाले ने हर चीज़ को जोड़े में बनाया है। फ़िर वो चाहे चरिन्दे हो परिंदे हो, और इंसान तो खैर है ही। लेकिन मैंने आज तक उस जोड़े का हिस्सा नहीं बन पाया। पता नही क्यूं खैर शुरू करते हैं आज के दिन से -
कुछ दिनों से जिंदगी बस चल रही है, और इस संसार की सच्चाइयों से तर्रूफ करा रही है। आज का दिन वही सुबह 4 बजकर 30 मिनट से शुरू हुआ, क्योंकि रमजान का महीना चल रहा है, कहते हैं इस महीने में दुआओं के कुबूल होने के मौके बढ़ जाते हैं, तो जिसको अपनी जिंदगी में जो चाहिए होता है मसलन इज्जत, दौलत, शोहरत या कोई जी-जान से चाहने वाला या चाहने वाली वो बेझिझक किसी भी वक्त खुदा से मांग लेता है। अब ये मांग कब पूरी होगी वो तो जिससे मांगा है वही जानता है खैर लोगों की आदत है शिकायत कर ने के बाद मुतमइन हो जाते हैं।
तो बात चल रही थी सहर में उठने के बाद, हा तो उठने के बाद ज़रूरत से फारिग हुए सहरी खाई और फिर नमाज पढ़ने के लिए चल दिये। वहा पहुंच कर और एप्लीकेशन डाल दी...
घर वापसी आए अच्छी उम्मीदों के साथ और आकर नए सपने बुनने शुरू कर दिए ताकि नई एप्लिकेशन तैयार हो सके, क्या मतलब सो गए।
खैर 9 बजे उठे उठ कर पढ़ा और पढ़ कर ऑफिस चला गया। आपकी जानकारी के लिए एक बात बताना चाहता हूं कि मैंने ऑफिस दोबारा ज्वाइन किया है, एक महीना हो गया तो सैलरी का अलार्म बजने लगा और नए खर्च का आविष्कार होने लगा लेकिन कम्बख्त सैलरी है जो माशूक से ज्यादा बेवफाई कर रही है, अब तक हाथ नहीं थमा जालिम ने।
खैर शाम में 6 बजे ऑफिस से वापसी हुई और घर आकर जैसा कि आप सब नवउम्र महसूस करते हैं या नहीं करते मुझे नहीं पता लेकिन मैं तो सूरज के छिपते ही तन्हा हो जाता हूं और ये चांद की चांदनी उस तन्हाई में और इजाफा कर देती है। खैर आप समझदार हैं और हो भी क्यों ना कि आप अशरफ उल मखलुक जो हैं।
खैर आकर देखा तो मेहमानों की आमद मुझसे पहले हो चुकी थी, जिसमें अपने पहले और दूसरे डोनो ब्लड रिलेशन वाले रिश्तेदार थे। खैर ऐलान हुआ और मैंने रोजा इफ्तार किया और फिर खाना खाकर नमाज पढ़ने चला गया। वही एप्लिकेशन का दौर, इस महीने में थोड़ा ज़्यादा रहता है... सीज़न जो होता है
नमाज पढ़ कर आया महमानो में बैठ गया लेकिन उस जालिम ने बैठने कहां दिया कहने लगी में तुम्हें किसी के साथ शेयर नहीं कर सकती बेचारी तन्हा जो है, मैंने कहा आधे से ज्यादा तो तू ही जिम्मेदार है उस खास गुनाह के लिए जो आज हर नवजवानो में फेला हुआ है...
इतने में तरावीह का वक्त हो गया, और फिर चल दिए हाजिरी लगाने... 9 बजकर 30 मिनट पर फ्री हुए लेकिन याद आया मैंने तो इस वक्त प्राइवेट मीटिंग शुरू की है खुदा के साथ... असल में पब्लिक में सारी बातें नहीं कर सकते, ठीक है ना... तो मैंने अपनी सभी ज़रूरीयात जिस्मानी रूहानी सब की सब रखदी और वापस आ गया...
लेकिन एक बात जो मैंने देखी...ये जो relation, संबंध या रिश्ता होता है ना बहुत ही दमदार चीज है...
खैर अब घर आया था और आपके लिए लिख रहा था इन टूटे फूटे अल्फ़ाज़ों को... और लिखने के बाद उसी के साथ सोने की तैयारी है जो बहुत रुलाती है...। उम्मीद है आप समझ गए खास्तोर से तन्हा लोग...
आज के लिए इतना ही अब कल की कल ही देख कर बताएँगे... आइएगा ज़रूर इंतज़ार रहेगा क्योंकि कल आपसे और गहरे राज़ शेयर करने हैं...