.... वो कुछ दिन.....
ये इंसिडेंट रियल है जोकि मेरे ही साथ हुआ है.... मुझे भी इन भूत प्रेत, आत्मा में कोई विश्वास नही था,, लेकिन इसके बाद सब विश्वास है....
.......यमुना किनारे बसा एक घाट है.. जहाँ अस्थियो का विसर्जन होता है साथ ही तंत्र क्रिया के लिए भी प्रख्यात है,, मै अपनी फैमली के साथ किसी खास मौके पर आई जहाँ मेरे भाई को से मेरे पैरेंटस ने पूजा करवाई,, मैं भी काफी खुश थी लेकिन इनन सबसे अंजान क्योंकि मुझे कभी इन सब पर विश्वास ही नही था, ये टोटका, क्रिया वगैरह पर... उसी दौरान सीढ़ियों से उतरते वक्त मेरा पैर किसी चीज पर पड़ा... मैं झुककर देखा तो कुछ सिंदूर और कुछ सामान वगैरह था , इस बात को मैंने इग्नोर किया, न ही अपने पैरेंटस को बताया.... उसी दिन जब हम घर पहुचे तब थके होने की वजह से मैं दूसरे रुम में जाकर लेट गई.. थोड़ी हीं देर में मुझे नींद भी आ गयी, लेकिन तभी ऐसा लगा जैसे मुझे किसी ने जकड़ लिया हो, मैं कोई मूवमेंट नही कर पा रही थी.... काफी घबराहट होने लगी.. फिर मैने हरे कृष्ण मंत्र बोलना शुरू किया... जोकि मुझे सुनने और बोलने में अच्छा लगता था, इसलिए वही बोला... काफी देर हो गई ऐसे ही, धीरे धीरे ये जकड़ बढ़ रही थी लेकिन मेरा प्रोसेस जारी था... फिर अचानक झटके से मेरी आंखे खुली तो.... मेरे चेहरे के ठीक ऊपर किसी का डरावना सा फेस था... उसके बारे में नही बता सकती कि वो कितना डरावना था.... में जल्दी से उठकर अपने मंदिर के गोपाल जी के पास जाकर सोचने लगी आखिर ये सब क्या हुआ.....
मैंने अपने पैरेंटस को बताया पृ उन्होंने मेरा वहम समझकर इग्नोर कर दिया.... फिर क्या था धीरे धीरे सात आठ दिन बीत गये लेकिन कुछ नही हुआ फिर से.. ऐसे ही दो तीन दिन बीते होंगे, मेरी तबियत बिगड़ने लगी... तबीयत खराब ऐसी हुई किसी दवाई का कोई असर नही हो रहा था,,, पापा मम्मी बहुत परेशान होने लगे.. अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा नही... ऐसे ही जन्माष्टमी के दिन बीत गये.... ठीक अगले दिन ही प्रसाद खाने के बाद मुझे अपनी कोई सुध नही रही... पूरे शरीर को ऐसा लगने लगा जैसे कोई अपनी ओर खींच रहा हो... मम्मी इन सब में भरोसा नही करती थी लेकिन पापा पूरा करते थे... उन्होने समझाया पर मम्मी नही मानी... उन्होंने कहा इसे अब हम किसी अच्छे हॉस्पिटल में दिखाएंगे... ऐसे ही हॉस्पिटल के चक्कर लगाते लगाते चार पांच महीने बीत गये कोई आराम नही हुआ... तब सब लोगों ने कहा जरूर कोई है जो इसके पीछे लगा हुआ है... आप इसे किसी बाबा को दिखा दो.... तब भी मम्मी बेमन से मुझे किसी के पास लेकर गई जो पापा के जान पहचान में थे... वो यही काम करते है ... उन्होने मुझे कमरे में बैठने के लिए कहा फिर उन्होंने कुछ सामान रखकर मुझे दिखाकर कही फैंकने के लिए कहा... उसके तुरंत बाद ही मुझे अजीब सा कुछ दिखने लगा जिसके बारे में मैंने आधे होश में ही बड़बड़या...... तो सुनो..... किसी बच्चे को कोई जानसे मारकर उसके टुकड़े ऐसे ही फैंक दिए.... जिसका वो बच्चा था उसकी माँ ने भी सुसाइट कर लिया था... आगे क्या बताया मुझे याद नही और न ही मेरे पैरेंटस बताना चाहते.....
कुछ दिनो के बाद मुझे मंदिर से एक कवच बनावा के दिया है.. जिसको पहनने के बाद अब मैं प्रोपर ठीक हूं..
लेकिन इस घटना ने मुझे काफी मैंटली डिस्टर्ब कर दिया है....
.... पर आप भी अपना ध्यान रखना.....
Next part coming soon