फिल्म रिव्यु नादानियाँ
मार्च के प्रथम सप्ताह में एक हिंदी फिल्म ‘ नादानियाँ ‘ रिलीज हुई है . इस फिल्म का निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन के बैनर के तले करण जौहर , अपूर्वा मेहता , अदर पूनावाला और सोमेन मिश्रा ने किया है . इसके निर्देशक हैं डेब्यू डायरेक्टर शौना गौतम . ‘ नादानियाँ ‘की पटकथा इशिता मोइत्रा , रीवा राज़दान कपूर और जेहन हांडा द्वारा लिखी गयी है .
कहानी - फिल्म का नायक अर्जुन मेहता ( इब्राहिम अली खान - सैफ अली खान और अमृता सिंह के पुत्र ) है और नायिका है पिया जयसिंह ( ख़ुशी कपूर - श्रीदेवी की पुत्री ) . अर्जुन की माँ नन्दिनी मेहता ( दिया मिर्ज़ा ) एक टीचर है और पिता संजय मेहता ( जुगल हंसराज ) एक डॉक्टर है अर्जुन और पिया दोनों दिल्ली के एक एलीट क्लास स्कूल ‘ फाल्कन हाई ‘ ( या कॉलेज पता नहीं ) में पढ़ते हैं . ब्रगांजा मल्होत्रा ( अर्चना पूरन सिंह ) स्कूल की प्रिंसिपल है .
फिल्म की कहानी अर्जुन और पिया के इर्द गिर्द घूमती है . अर्जुन अपने करियर पर फोकस करता है और पिया अपनी निजी समस्याओं से परेशान है . वह ब्रोकन फैमिली की लड़की है जिसे कोई सीरियसली नहीं लेता है . पिया के पिता रजत जयसिंह ( सुनील शेट्टी ) और माता नीलू जयसिंह ( महिमा चौधरी ) और पितृसत्ता में लिप्त दादा धनराज जयसिंह ( बरुन चंदा ) हैं . वे परिवार को बेटा नहीं दे सकने के लिए नीलू को जिम्मेदार ठहराते हैं . रजत का अनाहिता ( रिया सेन ) के साथ अफेयर चलता है जिसका पता नीलू को है पर पिया को नहीं है . पिया के नजदीकी फ्रेंड्स के बॉयफ्रेंड हैं पर पिया को नहीं है जिसके चलते उसे ताने सुनने पड़ते हैं . वह अर्जुन मेहता को अपना नकली बॉयफ्रेंड बनने के लिए कहती है . शुरू में अर्जुन तैयार नहीं होता है पर जब पिया उसे इसके लिए प्रति सप्ताह 25000 रुपये देने का ऑफर देती है तब वह मान जाता है . पिया अर्जुन के साथ सेल्फी लेकर सभी दोस्तों को भेजती है और अपनी शेखी दर्शाती है .
अर्जुन स्कूल की डिबेट टीम का कप्तान है जिसे इंटरनेशनल डिबेट चैंपियनशिप के लिए लंदन जाना है . एक सप्ताह के बाद फेक बॉयफ्रेंड के करार की अवधि समाप्त होनी है पर इस बीच दोनों प्यार करने लगते हैं . फेक बॉयफ्रेंड अब फ्री में रियल बॉयफ्रेंड बनता है जिसका पता दोनों के माता पिता को है . इसी बीच फोन पर रजत जयसिंह को उसकी गर्लफ्रेंड अनाहिता का मेसेज आता है कि वह प्रेग्नेंट है जिसे पिया भी देखती है . पिया के माता पिता का तलाक हो जाता है और पिया एक बार फिर टूट जाती है . ऐसे में उसे अपने दोस्तों साहिरा ( अलियाह कुरैशी ) और रिहा ( अपूर्वा मखीजा ) का साथ मिलता है . एक अन्य फ्रेंड रूद्र ( मीज़ान जाफरी )
पिया का बहुत मदद करता है जिसके प्रति आभार प्रकट करने के लिए एक बार पिया उसके गले मिलती है . इस समय का फोटो उसका एक सहपाठी ले कर अर्जुन को भेज देता है जिसके चलते अर्जुन और पिया का ब्रेकअप हो जाता है . इस घटना के चलते अर्जुन डिबेट कम्पीटिशन में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है और कॉम्पिटिशन में विफल हो जाता है . पर पर्दे के पीछे से पिया उसकी मदद करती है और फिर वह क़्वालीफाई करता है . बाद में अर्जुन के माता पिता के समझाने पर अर्जुन पिया से मिलता है और उसकी सारी गलतफहमियां दूर हो जाती हैं और पुनः दोनों मिल जाते हैं .
इस फिल्म के बारे में क्या कहा जाए . फिल्म की कहानी , निर्देशन और अभिनय किसी भी क्षेत्र में दम नहीं है , सभी नादानियाँ जगह दिखती हैं . करण जौहर ने अपनी पुरानी हिट फिल्मों से कुछ ले कर एक नयी रोमांटिक फिल्म बना कर युवा वर्ग को लुभाने का बेकार प्रयास किया है . एक ऐसा एलीट स्कूल जहाँ कोई यूनिफॉर्म नहीं है और ख़ुशी अपनी मर्जी से बहुत छोटी स्कर्ट पहन कर अपनी टाँगे दिखाती फिरती है , शायद ही एक या दो क्लासरूम सीन या डिबेट सीन फिल्माया गया हो . ऐसा लगता है कि स्कूल डिबेट कंपटीशन अर्जुन अपना सिक्स पैक बॉडी दिखा कर जीत जाता है . इब्राहिम अली खान की डेब्यू एक्टिंग बहुत कमजोर है . ख़ुशी ने कभी कभी अच्छा प्रदर्शन किया है . फिल्म में बेतुके डायलॉग हैं , जैसे अर्जुन पिया को बोलता है - तुम इतनी हॉट हो कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह भी तुम ही हो . रिया सेन का रोल नगण्य है . सुनील शेट्टी भी कुछ नहीं कर पाए हैं . अर्जुन के माता पिता के छोटे रोल में दिया मिर्ज़ा और जुगल हंसराज ने ठीक किया है . महिमा चौधरी के लिए ज्यादा स्पेस नहीं है . ब्रगांजा मल्होत्रा के रोल में अर्चना पूरन सिंह ने अपनी पुरानी फिल्म ‘ कुछ कुछ होता है ‘ जैसे रोल की नकल करने का प्रयास किया है . संगीतकार सचिन - जिगर के निर्देशन में वरुण जैन और जोनिता गांधी द्वारा गाया टाइटल सांग “ नादानियाँ “ अच्छा है .
कुल मिलाकर “ नादानियाँ “ एक अति साधारण असफल फिल्म कही जा सकती है . यह फिल्म OTT Netflix पर उपलब्ध है .
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