Thodi Der me aa rahu hu - 1 in Hindi Love Stories by Sanchaita Biswas books and stories PDF | थोड़ी देर में आ रही हूँ - 1

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थोड़ी देर में आ रही हूँ - 1

सूरज की आखिरी किरणें पहाड़ों के पीछे छिप रही थीं, और आकाश पर गहरी लालिमा छाई हुई थी। ठंडी हवाएं पेड़ों की शाखाओं को हिलाते हुए एक अजीब-सी खामोशी को जन्म दे रही थीं।कसौली के प्रसिद्ध लवर्स पॉइंट्स के पहाड़ की चोटी पर बैठी मालविका भादुरी सिसकियों में डूबी हुई थी। उसकी गहरी काली आँखों से आंसुओं की अविरल धारा बह रही थी, जो उसके चेहरे पर अतीत की कहानियाँ लिखती जा रही थीं, जैसे वह किसी यादों के समुंदर में डूब चुकी हो।इस खामोशी में, जैसे ह र आंसू एक याद को पुनः जीवित कर रहा था, हर सांस में दिल का दर्द गहरा हो रहा था।

मालविका, बीस साल की खूबसूरत युवती, जिसने अपने लंबे, घने बालों को कमर तक खुला छोड़ रखा था। वह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी और उनके लिए उनका पूरा संसार। लेकिन, दो साल पहले, उसके पिता सागर भादुड़ी का अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया। उस दिन से, मालविका की जिंदगी जैसे एक गहरी खाई में जा गिरी।

कसौली, मालविका के लिए, अब सिर्फ अतीत की यादों का एक खंडहर बनकर रह गया था।
कसौली.... 
कसौली, हिमाचल प्रदेश का एक सुरम्य पहाड़ी शहर है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के पहाड़ी दृश्य, हरियाली, मोहक बादल और ठंडी हवा पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। कसौली में स्थित भारतीय वायुसेना का एयरफोर्स स्टेशन भी महत्वपूर्ण है, जहां वायु सुरक्षा और रक्षा की जिम्मेदारी है। यहाँ का मौसम खासकर सर्दियों में बेहद आकर्षक होता है, जब ठंडी हवा और हिमपात का अनुभव किया जा सकता है। कसौली का प्रमुख पर्यटक स्थल 'मांकी पॉइंट' और हनुमान जी का मंदिर भी धार्मिक और आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र हैं, जहाँ लोग शांति और स्थिरता का अनुभव करते हैं।

सागर भादुड़ी भारतीय वायुसेना के कसौली एयरफोर्स स्टेशन में लोअर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) के पद पर कार्यरत थे। वह अपनी पत्नी मालती और बेटी मालविका के साथ स्टेशन के सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे। सरल और मृदुभाषी सागर की आकस्मिक मृत्यु ने उनके परिवार को टूटने के कगार पर ला खड़ा किया।

सागर के जाने के बाद, मालविका ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने की ठानी। वह कसौली के पास स्थित सोलन के गवर्नमेंट कॉलेज में अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर रही थी और साथ ही एयरफोर्स स्टेशन पर अस्थायी नौकरी कर रही थी। उसकी मां, मालती, अब अकेली थीं, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के सपनों के लिए अपने दुख को पीछे छोड़ दिया।

ठंडी हवा ने मालविका को उसके विचारों से बाहर निकाल दिया। तभी उसका फोन बज उठा। फोन बजता हुआ पाकर उसने अपने बैग से कांपते हाथों से फोन निकाला और स्क्रीन पर माँ का नाम फ्लैश होता देख, मालविका ने फोन उठाया, अपने आंसू पोंछे और 'हलो' बोला। दूसरी तरफ से मालविका की माँ बोलीं, 'कहाँ हो तुम, कितना देर हो गया है, लेकिन अभी तक तुम घर नहीं आई।' यह सुनकर मालविका बोली, 'हां, माँ,' उसने अपनी आवाज को सामान्य करते हुए कहा, 'थोड़ी देर में आ रही हूँ। आज एक्स्ट्रा क्लास थी, इसीलिए कॉलेज खत्म होने में समय लग गया था और अब मैं रास्ते पर हूँ।' लेकिन उसकी आँखों में आंसू थे, जिन्हें उसने जल्दी से पोंछ लिया, ताकि माँ को उसकी चिंता न हो।”

यह सुनकर उसकी माँ की आवाज में चिंता साफ झलक रही थी, लेकिन उन्होंने राहत की सांस ली। 'ठीक है, बेटा। जल्दी आ जाना, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ।' यह कहकर मालविका की माँ ने फोन काट दिया। फोन काटने के बाद, मालविका ने गहरी सांस ली। उसने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और अपना चेहरा धोकर साफ किया। और लवर्स प्वाइंट से जैसे ही वह नीचे आई और मंकी प्वाइंट की ओर चल दी। जैसे-जैसे वह रास्ते पर चल रही थी, उसके दिल में अतीत की यादें फिर ताज़ा हो गईं।
वह सोचने लगी कि उसके पिता कैसे हमेशा उसके हर फैसले में उसका साथ देते थे। चाहे उसका पढ़ाई का सपना हो या वेब डेवलपर बनने की इच्छा, सागर हमेशा उसकी ताकत थे। लेकिन अब, सबकुछ बदल गया था।
एयरफोर्स स्टेशन के रास्ते पर चलते हुए, मालविका ने अपने अंदर एक नई ऊर्जा महसूस की। वह जानती थी कि उसे अपनी मां के लिए मजबूत बनना होगा और अपने सपनों को भी साकार करना होगा।
मालविका का जीवन अब जिम्मेदारियों और सपनों के बीच झूल रहा था। लेकिन उसे विश्वास था कि कठिनाइयों के इस अंधेरे में भी वह अपने पिता की दी हुई सीख और अपनी मां की ममता के सहारे एक नया सवेरा ला सकेगी।