Film Review - Dabba Cartel in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | फिल्म रिव्यु - डब्बा कार्टेल

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फिल्म रिव्यु - डब्बा कार्टेल

 


                                                        फिल्म रिव्यु   डब्बा कार्टेल  


सर्वप्रथम यह कहना उचित होगा कि “  डब्बा कार्टेल “ कोई हिंदी फिल्म नहीं है बल्कि यह एक हिंदी वेब सीरीज है  . यह सीरीज ड्रामा 28 फरवरी 2025 को OTT प्लेटफार्म पर रिलीज हुई है . NETFLIX पर इसके सभी सात एपिसोड देखे जा सकते हैं  . 


“  डब्बा कार्टेल “ का निर्माण ‘ एक्सेल एंटरटेनमेंट ‘ के बैनर तले फरहान अख्तर , रितेश सिदवानी , शिबानी अख्तर , कासिम जगमगिया , सुनीता राम और अब्बास रज़ा खान ने किया है  . इसके कथा लेखक विष्णु मेनन और भावना खेर हैं और निर्देशक हितेश भाटिया हैं  . 


वास्तव में  ‘ कार्टेल ‘ का अर्थ होता है एक संगठन या समूह जो मिलकर किसी उत्पाद या सेवा के प्रोडक्शन , वितरण , बिक्री और मूल्य को कंट्रोल करता है  . यदि संक्षेप में कहा जाय तो “  डब्बा कार्टेल “ एक क्राइम ड्रामा है जिसे अंजाम दिया है पांच हाउसवाइफ के एक गैंग ने  . 1990s में मुंबई  के इस साधारण दिखने वाली महिला गैंग लंच बॉक्स  सप्लाई करने के बिजनेस के दौरान ड्रग सप्लाई के धंधे में फंस जाती  है  . “  


कहानी -  “  डब्बा कार्टेल “ की कहानी शुरू होती है अमृतसर के निकट हुई  एक कार एक्सीडेंट से जिसमें  महिला ड्राइवर की मौत हो जाती है  . उस कार से एक प्रतिबंधित ओपिऑइड्स ड्रग मोडेला का डिब्बा मिलता है  जिसकी जांच शुरू होती है  . 


  मायानगरी मुंबई के एक हलचल भरे मशहूर उपनगर ठाणे की  ‘  विवा लाइफ फार्मा ‘ की सोसाइटी अपार्टमेंट में   कंपनी के कर्मचारी रहते हैं  . कंपनी अमेरिका में दर्द की दवा सप्लाई करती है  . आरम्भ में एक सीधी साधी हाउस वाइफ राजी ( शालिनी पांडेय )  अतिरिक्त आय  के लिए लंच डब्बा सप्लाई का बिजनेस अपनी  कामवाली  माला ( निमिषा सजायन ) के साथ  मिलकर  सोसाइटी के एक फ्लैट में  शुरू करती  है  .  माला एक बच्ची कुन्नि ( वर्षा वर्मा ) की सिंगल मदर है और वह बेटी के लिए ऊंचे सपने देखती है  . राजी लंच बॉक्स में हर्बल वियाग्रा भी रखती है जिस से उसके लंच की मांग अच्छी है  . बाद में अपने प्रेमी संतोष ( प्रतीक पचौरी ) के दबाव में माला  लंच बॉक्स में ड्रग  रखने लगती है  . वह  ( कोकेन ड्रग ) सप्लाई करने  लगती है  . शुरू में राजी इस बात से अनजान है  . माला सोसाइटी के दूसरे फ्लैट में वरुणा ( ज्योतिका ) के  यहाँ भी काम करती है  . वरुणा  का अपना बुटिक है जो  घाटे में चलता है  .  उसका पति शंकर दासगुप्ता ( जीस्सु सेनगुप्ता ) एक मशहूर दवा कंपनी  ‘ विवा लाइफ ‘  का टॉप अफसर है  हालांकि दोनों में पटती नहीं है .   राजी का पति हरी ( भूपेंद्र जडवत ) उसी कंपनी में जर्मनी पोस्टिंग के सपने देखता है  . इसके लिए वह हमेशा बॉस की जी हजूरी करता दिखता है  . जर्मनी जाने के लिए राजी को वह एबॉर्शन के लिए भी कहता है पर वह नहीं मानती है  . 


. सोसाइटी की सेक्रेटरी तिजोरी ( सुस्मिता मुखर्जी ) से राजी को नोटिस मिलता है कि वह सोसाइटी के फ्लैट से  कमर्शियल काम नहीं कर सकती है , इसलिए उसे दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ता है  . एक ब्रोकर शाहिदा ( अंजलि आनंद ) की मदद से वह दूसरे फ्लैट में जाती है  . बाद में संतोष माला और राजी को डब्बे में बहुत महंगे  ड्रग MDMA  रखने के लिए कहता है  . माला इसके लिए तैयार नहीं  होती है और वह ड्रग के पैकेट को वाश बेसिन में बहा देती है  . इसके चलते संतोष गुस्से में वहां से निकल जाता है  . संतोष का सप्लायर बॉस चवण ( संदेश कुलकर्णी ) भी बहुत गुस्से में होता है  .  संतोष की जीवन लीला यहीं पर खत्म होती है  .  चवण माला और राजी को जान से मारने पहुँचता है  .  यहाँ पर  राजी की सास बा ( शबाना आज़मी ) का आगमन नए रूप में होता है  .  बा इसी धंधे की एक रिटायर्ड डॉन काशी  होती है   .  वह चवण से डील करती है कि उसका ड्रग बड़ी मात्रा में जल्द ही बिकवा कर उसको ज्यादा प्रॉफिट देगी  . ड्रग बिक्री के लिए शीला अपनी पुरानी साथी मौसमी ( लीलते दुबे ) का सहारा लेती है   . पहले तो वह इसके लिए तैयार नहीं होती है क्योंकि इस धंधे का सुपर बॉस चाको ( सुनील ग्रोवर  ) इस से बहुत नाराज होगा पर फिर तैयार हो जाती है   . दरअसल बा और मौसमी वर्षों पहले मुंबई में  बड़े माफिया के लिए काम करतो थी  . तब बा काशी हुआ करती थी और उसने पुलिस वाले को गोली मार कर मौसमी की जान बचायी थी  . उसी समय मौसमी अपने  बेटे हरी को काशी को दे  कर मुंबई छोड़ने के लिए कहती है और काशी को भरोसा दिलाती है कि वह और उनका साथी इक्लाख  पुलिस से निपट लेगा   . हरी को अपनी सगी  माँ का पता उसकी मौत के बाद चलता है   . 


उधर वरुणा पर किशोरी लाल ( जयंत गड़कर ) अपना लाखों का उधर चुकाने का दबाव बनाता है   . वरुणा के पास डब्बा कार्टेल का पैसा जमा होता है  . वह ड्रग के पैसों से अपना बकाया चुका देती है और जाने अनजाने इसी धंधे में फंस जाती है   . बा को चवण  ने और ड्रग बेचने के लिए दिए थे जिसका पैसा  बा को चुकाना बाकी है  . बा वरुणा से पैसे वापस मांगती है  .  विवा लाइफ फार्मा ( Viva Life Pharma ) जिस गैरकानूनी ड्रग को अमेरिका बेचता था वह बैन था और इस से बचने के लिए कंपनी के इंजीनियर भौमिक बोस ( संतनु घटक    )  को बलि का बकरा बनता है  . कंपनी से निकाले जाने  के बाद वह अंडरग्राउंड हो जाता है  . कंपनी अब दूसरा ड्रग मोडेला नाम से बनाती है जिसमें भी नारकोटिक्स होता है  .मोडेला  के स्टॉक को कंपनी छिपा देती है जिसका पता लेडी पुलिस अफसर प्रीती ( साई तमहांकर )और FDSCO के ईमानदार अधिकारी अजीत पाठक ( गजराज राव  )  लाइफ फार्मा के पीछे लगते हैं  . हरी उस स्टॉक को जल्द ही वहां से हटा देता है जिसे वरुणा के कहने पर किसी तरह गैंग चुरा लेता है  . वरुणा भौमिक बोस का पता लगा कर  अपने पति के विरुद्ध  सबूत देती है  .  गैंग बोस के साथ मोडेला और अन्य केमिकल मिलाकर  एक नया  ड्रग ‘ मिठाई ‘के नाम से मार्केट में लाता  है  . इसकी देश विदेश में आशातीत बिक्री से डब्बा गैंग को बहुत पैसा मिलता है  .  जैसे जैसे एपिसोड आगे बढ़ता है सभी पांचों महिलायें इस डब्बा कार्टेल के खतरनाक चंगुल में फंसती जाती हैं और दर्शकों को आगे क्या होगा जानने की उत्सुकता बनी रहती है  . गैंग के सभी लेडी का अपना कुछ भेद है और अपना ही सपना होता है  . प्रीती और शाहिदा के एक दूसरे के प्रति सेम सेक्स आकर्षण भी है  . 


सीरीज के अंतिम एपिसोड में राजी इस धंधे से तंग आ कर निकलना चाहती है और चवण को मिठाई का राज बता देती है   . उधर चाको मौसमी से बहुत नाराज है और मौसमी और पूरे लेडी गैंग को अगवा कर अपने फार्म हाउस लाता है   . वहां वह मिठाई का बिजनेस का डील करने के लिए मजबूर करता है   . इसके लिए राजी को मौसमी को गोली मारने के लिए मजबूर करता है वरना  उसका आदमी 10 गिनने के अंदर उसके पति को मार  देता    .  चाको का आदमी कुरियर बन के हरी के घर में मौजूद होता है   . इसके बाद सभी को छोड़ देता है   . अंतिम दृश्य में हरी को अपनी सगी माँ के सबूत भी मिलते हैं , राजी साड़ी से खून के धब्बे धोती है और बा फोन कर के अपने पुराने साथी इक्लाख को जल्द से जल्द मुंबई बुलाती है  . 


उधर कार दुर्घटना में मिले ड्रग मोडेला की जांच में प्रीती और पाठक लगे रहते हैं  . वे मोडेला ड्रग के तार से जुड़े अमृतसर , मुंबई , पुणे और दिल्ली सभी जगहों पर छानबीन करते हुए इसका भांडा फोड़ने में सफल होते हैं  . अंत में जब वे बोस से मिलने जाते हैं तब तक वह मर चुका होता  है  . 


‘ डब्बा कार्टेल ‘ ड्रामा में हाउस वाइफ कैसे ड्रग के हाई रिस्क धंधे में फंसती जाती हैं , दोस्ती , वफादारी , सास बहू , माँ - बेटे और पति पत्नी  सभी रिश्तों की  समय समय पर परीक्षा होती है  . किसी भी क्षण वे कानून की गिरफ्त में आ सकते हैं या डॉन द्वारा मारे जा सकते हैं  .  इस बवाल  से निकलने के लिए गैंग को  गुप्त रूप से साहस और बुद्धि के साथ काम करना पड़ता है  . 


हरीश भाटिया का निर्देशन अच्छा रहा है  . विष्णु मेनन और भावना खेर की कहानी अच्छी है पर कहीं कहीं कड़ी टूटी लगती है  . बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते हैं , हरी का क्या हुआ , बोस कैसे मरा , इक्लाख पूरे सीरीज में नजर नहीं आता है  . सम्भवतः कहानी लेखक , निर्देशक और निर्माता ‘ डब्बा कार्टेल ‘ सीरीज का सीजन 2 भी दिखाएं हालांकि इस तरह की कोई घोषणा अभी तक नहीं हुई है  . 


‘ डब्बा कार्टेल ‘ एक महिला प्रधान ड्रामा है जिसमें शबाना आज़मी , शालिनी पांडेय , ज्योतिका , अंजलि आनंद , निमिषा और साईं तमहांकर मुख्य किरदार हैं  . शबाना स्वयं एक श्रेष्ठ एक्ट्रेस हैं , उनका अभिनय उच्च कोटि का  रहा है   . ज्योतिका भी हिंदी और साउथ की फिल्मों की जानी मानी एक्ट्रेस हैं , उनका अभिनय  भी बेहतर है शालिनी , अंजलि , निमिषा सजायन और साईं तमहांकर  ने भी काफी अच्छा अभिनय किया है   .  जांच अधिकारी के रोल में गजराज राव का रोल भी बहुत सराहनीय है   . 


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