chhaya ka rahasya in Hindi Horror Stories by hardik chhansiya books and stories PDF | छाया का रहस्य

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छाया का रहस्य

रात का अंधेरा पूरे गाँव को अपने आगोश में ले चुका था। दूर कहीं उल्लू की आवाज़ें गूँज रही थीं, और ठंडी हवा पत्तों को हिला रही थी। यह गाँव, राजगढ़, अपनी रहस्यमयी कहानियों के लिए काफ़ी मशहूर था। लेकिन सबसे ज़्यादा चर्चा थी गाँव के बाहरी हिस्से में स्थित रायचंद हवेली की।

लोग कहते थे कि उस हवेली में कोई आत्मा रहती है। जो भी वहाँ गया, या तो वापस नहीं लौटा, या फिर पागल होकर लौट आया। लेकिन इन कहानियों पर ज़्यादातर लोग सिर्फ़ हँसते थे। अमित मेहरा भी उन्हीं में से एक था।

अमित एक मशहूर फोटोग्राफर था, जिसे रहस्यमयी और खतरनाक जगहों की तस्वीरें लेने का शौक़ था। उसे भूत-प्रेत की कहानियों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन जब उसने रायचंद हवेली के बारे में सुना, तो उसके अंदर का जिज्ञासु मन वहाँ जाकर सच्चाई पता लगाने के लिए बेचैन हो गया।

अमित ने अपने दोस्तों की एक टीम बनाई:

1. रिया शर्मा – उसकी असिस्टेंट और रिसर्चर


2. संदीप वर्मा – वीडियोग्राफर


3. अजय ठाकुर – साउंड एक्सपर्ट


4. नीलम – एक इतिहासकार, जिसे प्राचीन इमारतों की जानकारी थी



यह टीम अगले दिन गाँव के लिए रवाना हुई। जब वे गाँव पहुँचे, तो सूरज डूबने ही वाला था। गाँव के लोग उन्हें देखकर अजीब निगाहों से देखने लगे।

एक बूढ़े आदमी ने आगे बढ़कर अमित से कहा,
"बेटा, उस हवेली में जाना मत। वहाँ मौत है!"

अमित ने मुस्कुराकर कहा, "बाबा, मौत हर जगह होती है। मैं तो बस कुछ तस्वीरें लेने जा रहा हूँ।"

बूढ़े बाबा ने गहरी साँस ली और बोले, "तस्वीरें ले लो, पर वहाँ रात मत बिताना।"

अमित ने हँसते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसने मन ही मन तय कर लिया कि वह रात वहीं गुज़ारेगा।


जब वे हवेली पहुँचे, तो उसके पुराने, जर्जरित दरवाज़े देखकर ही अंदाज़ा हो गया कि यह कई दशकों से वीरान पड़ी थी। दीवारों पर काई जम चुकी थी, खिड़कियों के शीशे टूटे हुए थे, और दरवाज़े की लकड़ी इतनी पुरानी थी कि हल्का सा धक्का लगाते ही वह चरमराते हुए खुल गई।

हवेली में घुसते ही सबको एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई।

(साउंड इफेक्ट: हल्की हवा की सरसराहट, दूर कहीं उल्लू की आवाज़, और लकड़ी के फर्श पर किसी के चलने की धीमी आहट)

नीलम ने धीरे से कहा, "इस जगह पर अजीब सा सन्नाटा है।"

रिया ने कैमरा ऑन किया और फोटोग्राफी शुरू की। जैसे ही उसने पहली तस्वीर ली, कैमरे की स्क्रीन पर कुछ अजीब दिखा।

"अमित! तुम्हें कुछ दिख रहा है?" रिया ने घबराकर कहा।

अमित ने स्क्रीन पर देखा। तस्वीर में हवेली के कोने में एक धुंधली परछाई थी।


लेकिन जब अमित ने उस दिशा में देखा, तो वहाँ कुछ नहीं था।


अमित ने इसे लाइट का इफ़ेक्ट समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया।

तभी अजय ने कहा, "यार, यहाँ कुछ है। मेरा माइक्रोफोन कुछ अजीब साउंड्स पकड़ रहा है।"

संदीप ने हँसते हुए कहा, "हो सकता है, कोई चूहा हो।"

लेकिन तभी, हवेली के दूसरी मंज़िल से कुछ गिरने की तेज़ आवाज़ आई।

 ज़ोरदार धमाका, जैसे कोई भारी चीज़ ज़मीन पर गिरी हो)

सब लोग चौंक गए।

नीलम ने घबराकर कहा, "क्या हमें ऊपर जाकर देखना चाहिए?"

अमित ने सिर हिलाया, "हम यहाँ इसलिए आए हैं, तो डरने का कोई मतलब नहीं। चलो ऊपर।"

वे सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचे। वहाँ एक टूटी हुई अलमारी गिरी हुई थी, और उसके पास ही एक पुराना, जला हुआ काग़ज़ पड़ा था।

अमित ने वह काग़ज़ उठाया। उस पर कुछ लिखा था:

"मैंने उसे मार दिया... लेकिन वह अब भी यहाँ है।"


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रहस्य गहराता है

रिया ने काँपती आवाज़ में कहा, "सर, ये किसने लिखा होगा?"

नीलम ने काग़ज़ को ध्यान से देखा और कहा, "यह काग़ज़ कम से कम सौ साल पुराना है। हो सकता है, यह हवेली के किसी पुराने मालिक का हो।"

तभी अचानक हवेली की सभी खिड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगीं। हवा का झोंका इतना तेज़ था कि रिया का कैमरा ज़मीन पर गिर गया और उसका फ्लैश अपने आप चालू हो गया।

 तेज़ हवा की गूँज, खिड़कियों का ज़ोर से बजना, और अचानक सन्नाटा)

कैमरे की स्क्रीन फिर से कुछ दिखा रही थी—इस बार वह परछाई पहले से और ज़्यादा स्पष्ट थी।

लेकिन अब वह परछाई सिर्फ़ तस्वीर में नहीं थी।

वह उनके सामने खड़ी थी।

अगले भाग में:

परछाई कौन है?

हवेली के इतिहास में क्या रहस्य छुपा है?

अमित और उसकी टीम को कौन से नए सुराग़ मिलेंगे?