माँ बाप का साया हमेशा ही बच्चों के साथ रहता हैं l
उनके आशीर्वाद से ज़ीवन विकास की और सरता हैं ll
जब माँ बाप के दिल को ठंडक पहुंचती तब ज़ीवन के l
सुबह शाम दिन रात चैन, सुकून ओ शांति से भरता हैं ll
ताउम्र अपने प्यारे मासूमो की राह सँवारने वाले l
भगवान के बाद बच्चों के लिए वो ही कर्ता धरता हैं ll
ममता, स्नेह, प्यार, भावना का धोध बरसाती रहती l
माँ की छाया में महफ़ूज़ रह बच्चा सही तरह पलता हैं ll
माँ बाप ना हो तो कोई सामने भी नहीं देखता और l
बच्चा नादानी में उम्रभर किसी बहाने से लड़ता हैं ll
१७-१-२०२५
बेवफाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को l
लड़ाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll
शायद कोई बड़ी बात कह डाली नादानी में l
दोस्ताई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll
वज़ूद बनाने लगे हुए थे औ मुलाकात हुई थी l
शनाशाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll
जब यार ने गलतियां दिखाई तब वाकिये की l
सच्चाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll
अच्छीबुरी हर बात को नजर अंदाज की तो l
अच्छाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll
१८-२-२०२५
काश कुछ करिश्मा हो जाये बस दीदार ए यार हो जाये l
निगाहें चार होते ही एक दूसरे की निगाहों में खो जाये ll
खामोशी से बेशुमार बातें करते हुए रात यूहीं गुज़रे और l
चाँदनी शीतल रात में बाहों में बाहें डालकर सो जाये ll
इलाज ए दर्दे दिल का करने के लिए प्यार की दवा से l
दिलकश प्यार भरे चैन और सुकून के लम्हें बो जाये ll
प्रेम की गंगा में निरंतर बहना चाहते हैं तो तस्सव्वुर को l
नजरे भी साथ साथ हुस्न के जाती दूर गर जो जाये ll
ईद का चाँद नज़र आया रमज़ान जाने के बाद भी l
काश कुछ करिश्मा हो दो जिस्म एक जान हो जाये ll
१९-२-२०२५
सोचता हूँ लिखूँ ख़ुद पर एक असली कहानी l
ख़ुद के ज़ीवन की कथनी ख़ुद की जुबानी ll
जूठ लिखा नहीं जाएगा सच छुपा नहीं सकते l
सुख दुःख मिलाकर जिंदगी बीती सुहानी ll
सुबह शाम दिन रात रोज नये अध्याय में l
नई बात लिखो कहानी हो गई अब पुरानी ll
क्या कहें उस नशीली मुहब्बत के बारे में l
पीछे पडी थी पागल सी लड़की दिवानी ll
लिखने बैठे तो दिवाने खुद को लिख दिया l
लंबी कहानी में लिखी है दास्तान रुहानी ll
२०-२-२०२५
हौसलों भरी उड़ान रख l
पंखों में आसमान रख ll
प्यार की खुशबु फेला दे l
खुशियाँ से जहान रख ll
बुद्धिमान के साथ भले हो l
एक दोस्त नादान रख ll
सच्चा अच्छा माली बनके l
महकता बागबान रख ll
लौटकर संसार से जाने को l
पुण्य का साथ सामान रख ll
२१-२-२०२५
ढलती उम्र का असर है कि पुरानी शराब ज्यादा पसंद आने लगी हैं l
महफिल में आई खबर है कि पुरानी शराब ज्यादा पसंद आने लगी हैं ll
फागुन के दिन आए हैं और फिझाओ में चारो ओर खुशबु महकती l
पलाश से भरा शजर है कि पुरानी शराब ज्यादा पसंद आने लगी हैं ll
आज हमसफ़र का ज़्यादा से ज़्यादा ख्याल रहने को जी चाह रहा है कि l
अब ख़त्म हो रहा सफर है कि पुरानी शराब ज्यादा पसंद आने लगी हैं ll
२२-२-२०२५
ढलती उम्र का असर हो रहा हैं l
धीरे धीरे ख़त्म सफर हो रहा हैं ll
शिद्दत से याद कोई कर रहा है l
सुबह से यहीं वहम हो रहा हैं ll
जिंदगी भर भागदौड़ करते रहे l
तो शाम ढलते बसर हो रहा हैं ll
मुहब्बत का मौसम आते ही देखो l
दुश्मनों के साथ कहर हो रहा हैं ll
खामोशी पहन कर बैठे हैं नादां l
हालत से वो बेख़बर हो रहा हैं ll
मिलन के पल नजदीक आते ही l
खूबसूरती सा मंज़र हो रहा हैं ll
क़ायनात में फागुन के दिनों मे l
पलाश से भरा शज़र हो रहा हैं ll
वक्त अपनी औकात दिखा रहा l
मौसम सारा खंजर हो रहा हैं ll
२३-२-२०२५
पीले पीताम्बर वाले ने दिल को चुरा लिया l
भोली दिलवाली ने भोलेपन में दिल दिया ll
मिलने को आतुर हैं नैना जन्मोंजन्म से ही l
पगली बासुरी धुन पुकारे कहां हो पिया ll
लम्बी जुदाई सही ना जाए कैसे भी करके l
चहरे पर भले ही मुस्कान होंठों को सिया ll
कहीं चहेरा दिल का ब्यान न करे तो बस l
यहीं सोच कर हर लम्हा हर पल बिया ll
बार बार पुकारना छोड़ दो मोहन प्यारे l
जरा सी आहत होते ही धड़कता जिया ll
२४-२-२०२५
शुभारंभ तो जीवन में कभी भी शुरू किया जा सकता हैं l
नई शुरुआत जिन्दगी में खुशियां और रंगिनिया भरता हैं ll
उत्साह और जोश के साथ की गया हर कार्य जीवन में l
नई उम्मीदें, नई उमंगे, नई भावनाओ के साथ पलता हैं ll
जब पूर्ण रूप से स्वस्थ, प्रसन्न और समर्पित होकर l
सिद्दत से किया गया काम ध्येय को हासिल करता हैं ll
शुभ आचार ओ विचार के संग किया गया अभियान l
जीवन संतुष्टि की और आगे लहरों जैसे ही सरता हैं ll
नया संकल्प, नए तरीके, नई राहे पर चल पड़े और l
इरादे पक्के सच्चे हो तो नसीब कभी भी फिरता हैं ll
२५-२-२०२५
प्रकृति की अद्भुत अद्वितीय कलाकारी का
लुफ़्त उठाना चाहिए l
कुदरत के हसीन रंगीन नजारे को देखके
सिर झुकाना चाहिए ll
कलकल बहता झरना, बहती नदियाँ ओ
उफनता समन्दर फेला l
प्रकृति की न्यारी अनोखी लीला की तरह
जीवन बिताना चाहिए ll
गगन नीला, लाल, पीला हो जाए कभी
बादलों के छुप जाए l
साए साए चलती हवा के साथ खामोश
शांत किनारा चाहिए ll
प्रकृति बहुत कुछ सिखाती है अपनी मद
मस्त अदाओं से l
क़ुदरत के अजीबो गरीब रूप-रंग के जैसे
रंग निभाना चाहिए ll
मिट्टी की सौधी सौधी से बनाए घरौंदे से खुशबु है आती l
इशारों में गा गा कर सावन के मधुर मीठा सुरीला तराना चाहिए ll
२६ -२-२०२५
महफ़िल में नूतन नवीन राग बजा रहे हो l
हसीन रंगत किसके लिए सजा रहे हो ll
दिलरुबा के आनेका अंदेशा लगता है कि l
माहौल महकता आशिकाना बना रहे हो ll
चरोऔर जगमगाहट से उजियाला करके l
रंगीन दीपकों की हारमाला जला रहे हो ll
कविओं और जानेमाने गज़ल कारों के बीच l
सुरीला प्रेम राग रागिनी लगा रहे हो ll
भरी महफ़िल में दुनिया वालों के सामने l
गीतों में आज हाल ए दिल बता रहे हो ll
सारी रैन रग रग में प्रेम ज्वाला भड़काके l
रूठे दिलबर को प्यार से मना रहे हो ll
एक ही बार में इश्क़ का तीर चलाकर l
निगाहों से सीधा दिल में समा रहे हो ll
२७-२-२०२५
दिलबर से प्रीत का बंधन अनोखा अनूठा होता हैं l
दिल में जीने की आशा और उम्मीद को बोता हैं ll
छुटना चाहे भी तो मन ही नहीं मानता है छुटने को l
प्यार की जंजीर में बंधने से खुशी से संजोता हैं ll
कोई दूसरा ख्याल नहीं आता दिन रात सुबह शाम l
बेपनाह, बेइंतहा इश्क़ में चैन ओ सुकून खोता हैं ll
प्यार की पीड़ा में भी अद्वितीय आनंद छुपा हैं कि l
रोज जिंदगी को बेतहाशा खुशियों से पिरोता हैं ll
अविरत गाढ बंधन बिना बारिस के मौसम के भी l
स्नेह, भावना की रिमझिम बारिस से भिगोता हैं ll
२८-२-२०२५