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बहुत से लोग डीपोर्ट होने को गौरव का भाव समझते हैं आजकल। क्योंकि भाई वहां हो आने की कन्फर्म सूचना जो है यह। पंजाब की ढाणी का सरदार सुंदर सिंह का निखट्टू लड़का जुग्गी, लुधियाने का अपना शेनकी, जस्सी, गुरमीत और भी सभी ऐसे ही लपाड़िए अब अमेरिका रिटर्न माने जाएंगे। भाव बढ़ जाने हैं इनके और इनके परिवार के समाज में।
अभी से लोग आने लगे हैं पूछने के लिए कि कौनसा रूट सही रहता है जी जाने का? नेपाल वाला या दुबई वाला या जी फिर पानी के जहाज में बोरी में भरके पहुंच जाएं? ट्रंप अमेरिका से कुछ भी भेजे हमें तो वह वीआईपी लगता है जी।
देखो, हमारा भला ही कर दिया जिन मुण्डों को कोई पूछता नहीं था उनकी पूछ हो रही सब तरफ । वह अपनी ट्रैवल एजेंसी, विदेश यात्रा की मुश्किलों के हल, कहां कहां छुपकर रह सकते हैं और किस तरह कौन कौन से काम कर सकते हैं यह बताने का भरोसेमंद काम जल्द प्रारंभ करेगा। और अभी से लोग बुकिंग करवा रहे हैं। क्योंकि पहले तो ऐसे एजेंट जो कभी फगवाड़े के आगे नहीं गए वही भेजते थे विदेश। और देखो, ऐसी गरीबी है कि दो जून के खाने और शाम की दारू का ही जुगाड है फिर भी तीस चालीस लाख देकर विदेश भेजा। अरे, इतने पैसे होते तो यहीं कोई रोजगार, ट्रेक्टर ट्रॉली दिलाकर काम नहीं करवा देते? अवैध भेजने वाले एजेंट भी हैरान है कि पांच लाख भी खून पी पीकर दिए और अब कई गुना बढ़ाकर बता रहे हैं।इनका तो कुछ नहीं पर अब पुलिस वाले और आगे के लोग हमसे झगड़ा कर रहे की तुमने तो बहुत कम रेट से हमें रिश्वत दी और लिया इतना ज्यादा? निकालो बाकी का। उन्हें सफाई देते देते हमारा मुंह वाशिंग पाउडर जैसा नीला पीला हो गया। अब उन्होंने अपने दाम बढ़ा दिए हैं।
क्योंकि अभी अभी कुकू, मोंटी, जसविंदर, जोगी आदि का पैंतीस लोगों का लॉट रवाना होने जा रहा है। इनसे दस लाख से भी कम लिए हैं वह भी किस्तों में। अभी आधा पेमेंट तो इनके घरवाले अगले छह माह में देंगे।
जाएंगे उसी रूट से, बस थोड़ी सावधानी यह रखनी है कि कुछ डॉलर अतिरिक्त देने हैं वहां बॉर्डर पर। दूसरे एकदम से अमेरिका नहीं घुसना बल्कि पहले कनाडा, फ्रांस, नीदरलैंड्स में काम करना है फिर मन करे तो अमरीका ।
यह सिलसिला तो चलता ही रहना है। अभी नया नया काका ट्रंप जोश दिखा रहा पर बाद में वह भी गाजा पट्टी में नया दुबई से भी भव्य शहरों की श्रृंखला बनाने जा रहा। उसकी कंपनी वहां निर्माण में व्यस्त हो जाएगी। एक बिल्डर, उद्योगपति राष्ट्रपति चुना है अमेरिकी जनता ने तो वह वही करेगा। कैसे पूरा चार शहरों के बराबर जमीन निकल आई है घरों, सड़कों, स्कूलों और ढाणियों के मलबों के पीछे से। और हजारों हजार निवासी दूर कैंपों में ठूंस दिए हैं भेड़ बकरी, सुअरों की तरह। जब यहां नए शहरों का निर्माण शुरू होगा तो मजदूर क्या अमेरिका, इंग्लैंड, इजरायल भेजेगा? यही, यहां के मूल निवासी ही मजदूरी करेंगे तो उन्हें रोजगार भी मिलेगा और उनमें से कुछ शहर से दूर सीमाओं पर कच्चे घरों में रहने दिए जाएंगे।आगे भी तो घरेलू कार्य, मॉल आदि में सफाई, नौकरी कौन करेगा? हमारे और अरब के शेख के भेजे नुमाइंदे तो राज करेंगे इन शहरों पर। अपने नियम, अपना राज और आईटी क्रांति, प्रौद्योगिकी से युक्त आधुनिक चार नए शहर इस बेकार सी गाजा पट्टी में, जो पहले बिना वजह जंगली बिल्लियों की लड़ लड़कर विश्व शांति के लिए खतरा थे अब बंदर अमेरिका ने अच्छे से न्याय कर दिया।रोटी ही नहीं घर जमीन सब छीनकर दोनों बिल्लियों को बाहर निकाल घर पर ही कब्जा कर लिया। डीपोर्ट नहीं कहलाएंगे यह क्योंकि इन्हीं का देश है अवैध घुसपैठियों के रूप में हम हैं पर हमें कौन निकालेगा?
हमारा भारतवर्ष ट्रंप के आने से पहले से एनआरसी करवा रहा, चिन्हित कर रहा की इन हजारों नहीं बल्कि लाखों बांग्लादेशियों, रोहिंग्या, बर्मियन नेपाली आदि को बाहर उनके देश भेजो। पर अपने यहां के कुछ भारतीय नेता उन्हीं की तरफदारी कर रहे की नहीं यह सब अब भारतीय हैं। कुछ चक्कर है वोटों आदि का। तभी दीदी, यादव और मफलर वाला सब बोल रहे। और तो और इनका आधार, वोटर आईडी, मुख्यमंत्री निशुल्क इलाज, राशन कार्ड तक सब बनवा दिया।करो क्या करोगे?अपने ही देश के संसाधनों और हकों पर विदेशी नागरिकों को बसाते इन लोगों को लगता है कि वोट बैंक पक्का। परंतु जो अपराध, बेरोजगारी और घुटन बढ़ेगी उसकी कोई फिक्र नहीं? अब एक एक को बुलाकर पूछा जा रहा है कि अपने दो दशक पुराने दस्तावेज और खानदान के बारे में जानकारी दो।
अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, यूरोप में ऐसा नहीं है। वहां तो हम एशियन लोग दूर से ही पहचाने जाते हैं।फिर हम कितना ही छुपलें, क्योंकि वैध कागजात की कुछ को आदत ही नहीं, पकड़े जाते हैं। भला हो फिर भी ट्रंप सरकार का की इज्जत से भले ही हाथों पांवों में बेड़ियां डालके, जुलूस निकालकर हवाई जहाज से भेज तो रहा है। वरना उससे कई गुना तो हम अवैध तरीकों से, जैसे गए थे, अपने पैसे खर्च करके वापसी करते हैं।वह भी जान का खतरा उठाकर। जियो ट्रंप सौ साल जियो, एक और शादी करो और बच्चे के बाप, बयासी साल की उम्र में बनकर वर्ल्ड रिकॉर्ड, कोई राष्ट्रपति इस उम्र में फिर पिता बना बनाओ। वैसे भी ज्यादा बच्चे पैदा करने का जवाब हमारे भारत में देने में संकोच हो रहा, पर दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र का प्रमुख तीन बीवियों, दो तलाक के बाद यह तीसरी मिलिंडा, से कुल जमा पांच बच्चे हैं। बड़ा बच्चा लड़का तो पचास के ऊपर है।
दुनिया अब तैयार हो जाए ट्रंप टावरों की श्रृंखला देखने को।
डीपोर्ट विशेषज्ञ ट्रंप बन चुके हैं शहर के शहर, निवासियों सहित डीपोर्ट करके। तैयार रहिए ट्रंप एंड सस विश्व के नक्शे से चार विवादित जमीनें, शहर नागरिकों सहित डीपोर्ट कराएगी और वहां नए शहर बनाकर विश्व की सुंदरता बढ़ाएगी, गरीबी कम करेगी। इधर अभी अभी आए भारतीयों ने पंजाब, गुजरात में अपने आने काम शुरू कर दिए हैं।वह इनके विशेषज्ञ हैं, "सुरक्षित विदेश जाने के अवैध तरीके।"
किन किन बॉर्डर को कैसे पार करना है? विश्वसनीय झूठ, दीन हीन सी शक्ल बनाकर कैसे बोलें?अपनी मेहनत की कमाई कैसे हवाला से पंजाब लाएं? किन विदेशी सैनिकों, अफसरों को कैसे और कितनी रिश्वत भारत से भेजनी है?यह सब सिखा रहे खुशी खुशी। क्योंकि यह तो वह हैं जो कमाई भारत भेज चुके, अपना समय पूरा करके भी और अधिक रह लिए । इन्हें तो अपने वतन, भारत आना ही था।उधर अमेरिकी महा चतुर और भ्रष्ट अफसरों ने भी इनसे हजारों डॉलर लेकर इन्हें डीपोर्ट की सूची में डाल दिया जिससे यह निशुल्क, सुरक्षित भारत, हवाई जहाज से अपने राज्य आ गए।ऐसे अवैध सैकड़ों भारतीय हजारों डॉलर हाथ में लिए इन गोरों की मनुहार कर रहे की हमें भैया जल्दी डीपोर्ट करवा दो, जिससे आराम से घर पहुंच जाए। हवाला से सारी कमाई तो पहले ही भेज चुके हैं।
सबसे महत्वपूर्ण भारत आकर भी शर्मिंदा हुए बिना भी रहें।क्योंकि खुद अवैध रूप से दूसरे देश गया, मुझे सरकार ने नहीं कहा जाओ। फिर भी मेरी गलती के लिए मेरे देश, मेरी भारत सरकार की किरकिरी हो रही है और मैं चुप हूं?
उधर ट्रंप से हर अमेरिकी खुश है क्योंकि सभी को कमाई के नए नए रास्ते समझ आ गए हैं।कम कीमत में घरेलू, फैक्ट्री, रेस्तरां आदि में कार्य कराओ और जब मन भर जाए डीपोर्ट करने के पैसे लेकर भेज दो।और उतने ही पीछे के रास्ते से नए अवैध लोगों को आने दो।
क्या कोई ट्रंप से पूछ सकता है कि न्यूयार्क, वाशिंगटन, लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया आदि में सीमा पार कर यह हजारों अवैध प्रवासी कैसे पहुंचे? आपकी बॉर्डर सेना और एजेंसियां क्या कर रही थीं? वहां कोई नहीं पूछ रहा, यह भारत में ही पूछते हैं बंग्लादेशियों की हिमायत में।उधर डीपोर्ट करने के इस दोनों हाथों में लड्डू वाले कदम से, अमेरिकी नौजवानों को रोजगार के अवसर देने और राष्ट्रवादी होने की पुख्ता पहचान मिली है राष्ट्रपति ट्रंप को।भले ही आम अमरीकी आज भी माली, आया, बावर्ची, कारपेंटर, निर्माण मजदूर नहीं बनना चाहता। वह अमेरिका है और अपन यहां भारत में आपस में ही बुराई और विरोध में मस्त हैं। कब रोड़े नहीं अटकाएंगे, भारत से अवैध विदेशी नागरिकों को डीपोर्ट होने देंगे यह लोग?
जय भारत जय अमेरिका
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(डॉ.संदीप अवस्थी, कथाकार और मोटिवेशनल स्पीकर, कुछ किताबें और देश विदेश के पुरस्कार
66/26 न्यू कॉलोनी रामगंज अजमेर, 305001.
मो7737407061)