प्यार की लकीरें
भूमिका
गुजरात की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ख़ूबसूरत शहरों और आधुनिकता के संगम में पनपी एक अनोखी प्रेम कहानी— "प्यार की लकीरें"। यह कहानी प्यार, इंतज़ार, और तक़दीर के फैसलों की एक जटिल दास्तान है।
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कहानी की शुरुआत
अहमदाबाद का एक मध्यमवर्गीय परिवार, जहाँ रहने वाला दिगराज (दिग) बचपन से ही अपने सपनों को साकार करने की चाह रखता था। मेहनती, ईमानदार और दिल का सच्चा। उसकी ज़िंदगी में एक ही ख्वाहिश थी— रिया को अपना बनाना और उसके साथ एक खूबसूरत भविष्य बसाना।
रिया एक खूबसूरत, समझदार और ज़िंदगी को अपने अंदाज़ में जीने वाली लड़की थी। उसने भी दिग के साथ सपने देखे थे, पर एक डर उसके मन में हमेशा बना रहता था— क्या प्यार अकेले ज़िंदगी चलाने के लिए काफी है?
शादी के बाद कुछ महीनों तक सब ठीक रहा, लेकिन जब दिग को यूरोप में एक बड़ी नौकरी का ऑफर मिला, तो उसने रिया से वादा किया कि बस दो साल में वापस आकर उसे अपने साथ ले जाएगा।
शायरी:
"बड़ी मुश्किल से मिलते हैं दो दिल,
तब जाकर कोई हमसफ़र आके,
दोनों को अलग कर जाता है।
अलग होकर भी मिलते हैं फिर से दो दिल,
तब जाकर प्यार की लकीरें बदल जाती हैं।"
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रिया का फैसला
दिग के जाने के बाद रिया ने पहले उसका इंतज़ार किया, पर धीरे-धीरे उसके मन में सवाल उठने लगे—
"यूरोप से आने के बाद भी दिग कितना अमीर बनेगा?"
"क्या वह कभी इतना सफल होगा कि मेरी ज़िंदगी ऐशो-आराम में कट सके?"
यह सोचते-सोचते उसने एक ऐसा फैसला लिया, जो उसके और दिग के रिश्ते की लकीरों को हमेशा के लिए बदलने वाला था।
एक दिन रिया ने अपने माता-पिता को बताया कि वह एक अमीर बिजनेसमैन अर्जुन से प्यार करती है और उससे शादी करना चाहती है। माता-पिता पहले हैरान हुए, पर बाद में उन्होंने भी इसे सही समझा, क्योंकि अर्जुन एक प्रतिष्ठित परिवार से था।
रिया ने दिग को बिना बताए अर्जुन से लव मैरिज कर ली।
शायरी:
"बड़ी ही मुश्किल से मिले थे दो दिल,
तब जाके एक हुए थे ये दिल,
मगर किस्मत की आँधी क्या चली,
मिट के रह गईं ये 'प्यार की लकीरें'।"
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दिग की वापसी – करोड़पति बनकर
पाँच साल बाद...
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर एक शानदार ब्लैक बीएमडब्ल्यू आकर रुकती है। उसमें से निकलता है— दिगराज।
अब वह एक करोड़पति बन चुका था। उसकी मेहनत, लगन और संघर्ष ने उसे यूरोप में सफल बिजनेसमैन बना दिया था।
वह एक ही ख्वाब लिए लौटा था— रिया को अपने पास ले जाने का।
पर जब उसे पता चला कि रिया अब अर्जुन की पत्नी है, तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
उसने खुद को संभाला और सीधा रिया के घर जा पहुंचा।
वहाँ पहुँचकर उसने जो सुना, वो शायद उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा झटका था।
रिया कह रही थी—
"मुझे मालूम था कि दिग मेहनती है, पर वह कितना अमीर बन पाता? मैंने एक सिक्योर फ्यूचर चुना, इसमें गलत क्या था?"
दिग का दिल चकनाचूर हो गया। उसने ज़िंदगी भर रिया से प्यार किया, उसके लिए दुनिया बदल दी, पर रिया ने सिर्फ पैसे को चुना।
शायरी:
"इंतज़ार की मियाद भी होती है कोई,
पलकों पर सजे ख्वाब भी रोते हैं कभी,
जो तेरा था, वो किसी और का हुआ,
ऐसे भी दिल टूटते हैं कभी।"
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To Be Continued...
अंत में...
दिग बिना कुछ कहे वहाँ से चला जाता है। उसकी आँखों में आंसू हैं, पर चेहरे पर कोई शिकन नहीं।
क्या दिग इस दर्द से बाहर आ पाएगा?
क्या प्यार की लकीरें हमेशा के लिए मिट चुकी हैं, या तक़दीर के पास कोई और योजना है?
तो फिर इंतजार कीजिए क्योकि थोड़े ही समय मे “ प्यार की लकीरें अध्याय : २ ” आने वाला है और उसमे पता चलेगा की दिग और रिया के साथ क्या हुआ ।
क्या बदल के रह जायेगी वह प्यार की लकीरें ।
या फिर घूम होके रह जायेगी ये प्यार की लकीरें।
शायरी:
"मोहब्बत की दुनिया में कोई अपना नहीं होता,
जिसे चाहो, वो ही बेगाना हो जाता है।
हम भी कभी किसी की दुनिया हुआ करते थे,
पर अब बस एक अधूरी दास्तान बनकर रह गए।"
To Be Continued...