The side effects of Western civilization in Hindi Love Stories by Wajid Husain books and stories PDF | पाश्चातय सभ्यता का दुष्प्रभाव

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पाश्चातय सभ्यता का दुष्प्रभाव

        वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी

 मालती, एक सत्रह वर्षीय कॉलेज की छात्रा, अपनी मासूमियत और विनम्रता के साथ अपने गांव की सबसे सुंदर लड़की मानी जाती थी। उसकी त्वचा उज्जवल थी, और उसकी आंखों में एक गहरी उदासी थी, जिसे कोई भी समझने का प्रयास नहीं करता था। वह कभी हस्ती नहीं थी, और अपने आप में ही खोई रहती थी। लेकिन उसकी आत्मा में एक छिपा हुआ दर्द था, एक ऐसा दर्द जो उसे अपनी कठिन परिस्थिति और संघर्ष से मिला था। 

बनखेड़ी में जहां लड़कियों की जिंदगी में जटिलताएं और उलझने थी, मालती का जीवन एक आदर्श बन सकता था, लेकिन समाज और संस्कृति के दबाव ने उसे एक ऐसे रास्ते पर डाल दिया, जहां न केवल उसकी पढ़ाई, बल्कि आत्ममूल्यता भी दांव पर लग गई थी। 

बनखेड़ी के लड़कों का एक मोबाइल गैंग था। उनकी दिनचर्या मोबाइल पर वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड करना था। इन युटयुबर्स में एक विनोद भी था, जो गांव में बहुत प्रसिद्ध था। उसकी प्रसिद्धि का कारण यह था कि  यूट्यूब से उसे अच्छी ख़ासी आमदनी हो रही थी।  वह केवल अपने गांव में ही नहीं बल्किे आसपास के क्षेत्र में भी चर्चित था। 

विनोद की निगाहें हर रोज़ मालती पर रहती थी । वह बड़े उत्साह से रास्ते में खड़ा होकर उसके कॉलेज से लौटने तक इंतज़ार करता था। । एक दिन उसने मालती से कहा, 'मुझे तुमसे कुछ कहना है।'

'कहो, क्या कहना चाहते हो।'

'तुम एक होनहार और पढ़ाकू लड़की हो, लेकिन तुम्हारी विधवा मां को तुम्हारी पढ़ाई के ख़र्चे में कठिनाई हो रही होगी। शहर में स्टूडेंटस ट्यूशन या पार्ट टाइम जॉब के जरिए अपनी पढ़ाई का ख़र्चा निकाल लेते हैं लेकिन गांव में यह संभव नहीं है।'

'मालती ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, 'तुम सही कहते हो।' 

विनोद ने सही तीर चलाया था,  उसने एक वाक्य का प्रयोग किया जिसमे किसी भी महिला के दिल में गहरी छाप छोड़ने का सामर्थय होता है। 'तुम बहुत सुंदर हो, तुम्हारी आंखें नशीली है। अगर तुम यूट्यूब पर अपने वीडियो अपलोड करती हो, तो तुम जल्द ही यूट्यूब स्टार बन जाओगी, और दौलत तथा शोहरत तुम्हारे क़दमों में होगी। 

मालती की आंखों में संकोच और संशय था। उसने धीरे से कहा, 'लेकिन इसके लिए मुझे एक महंगे मोबाइल की ज़रूरत पड़ेगी जो मैं अफोर्ड नहीं कर सकती।'

विनोद ने मुस्कान के साथ जवाब दिया, 'तुम चिंता मत करो, देखो, मैंने यूट्यूब से अच्छी ख़ासी आमदनी की है। यही खुशी तुमसे साझा करने का मन है।' उसने खुशी में एक मोबाइल मालती को उपहार में दिया-'मेरे लिए बनखेड़ी का तुम मस्त वीडियो बनाना -फिर हम दोनों उसी जगह मिलेंगे जहां कोई आता -जाता नहीं...।'

मालती उन्हीं ख़्यालों में खोई थी कि उसका मोबाइल बज उठा- 'मैं आ रही हूं।' और फोन कट हो गया था। मालती ने इतनी चतुराई से फोन निकाला, फिर चोली के अंदर डाला। शायद ही उस पर किसी की नज़र गई हो।

उसने अपना रूप- रंग संवारा, वेशभूषा बदली और अगले ही पल वह बनखेड़ी से गायब हो चुकी थी। 

'किसी ने देखा तो नहीं तुम्हें आते हुए...।' विनोद चांद की मधुर रोशनी में मालती से चिपक गया था। फिर यह उनका रोज़ का शग़ल बन गया था। मालती कॉलेज बंक करती और निकल जाती। वह विनोद की बाहों में झूलती, दोनों प्यार में खोए एक दूसरे का हाथ पकड़े नदी किनारे बीहड़ में घूमते फिरते, वीडियो बनाते और यूट्यूब पर अपलोड कर देते। वीडियो स्टार बनने की जिज्ञासा में मालती पर पाश्चातय संस्कृति का कुप्रभाव पड़ चुका था।

कुछ दिनों बाद किसी ने मालती की मां को बताया कि उसकी बेटी कॉलेज नहीं जाती है बल्कि विनोद के साथ घूमती रहती है। दुखियारी मां ने मालती से कहा, 'लली, गांव वाले तुम्हारे बारे में बुरी बातें बना रहे हैं। अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारा विवाह गिरधर से कर सकते हैं, जो गांव में परचूनी की दुकान चलाता है।'

मालती ने दृढ़ आवाज़ में कहा, 'अब शादी के लिए 'जी और घी' लगाने का समय नहीं रहा। अब जो सच्ची ताक़त और समझदारी रखेगा, वही मेरे जीवन का साथी बनेगा। मैं अब वह नहीं जो पुराने ढर्रे पर चलूं। अब जो ख़ुद को साबित करेगा वही मेरे क़दम से क़दम मिलाकर चलेगा।' मां की आंखों में आंसू थे, और वह असहाय होकर रह गई।

एक दिन मालती एक दोस्त के विवाह में गई थी। सभी डीजे की धुन पर नाच रहे थे। लेकिन मालती का मन वहां नहीं लग रहा था। उसके कान हर वक्त किसी के मैसेज का इतज़ार कर रहे थे। उसकी नज़रे बस विनोद को ढूंढ रही थी। तभी विनोद का मैसेज आया, 'आज पूरे चांद की रात है, चलो नहर पर चलते हैं। वहां चलकर कुछ रील्स बनाएंगे।' वह बिना किसी को बताएं चुपचाप वहां से खिसक गई। वह नहर पर पहुंची तो देखा, वहां पहले से ही विनोद के कुछ दोस्त घात लगाए बैठे थे।

सवेरे नहर में एक शव पड़ा हुआ था। पुलिस जांच कर रही थी। इंस्पेक्टर ने लोगों से पूछा, 'आप में से किसी को इस लड़की के बारे में कुछ पता हो तो बताएं।' लोग मालती को पहचान चुके थे, लेकिन कोई भी उसे अपने गांव की बेटी नहीं कह रहा था। इस समय शव की चोली में रखा हुआ मोबाइल बजने लगा। महिला कांस्टेबल ने मोबाइल निकालने की कोशिश की, लेकिन सबने अपना मुंह मोड़ लिया। वे अपनी बेटी को निर्वस्त्र कैसे देखते? तभी भीड़ में से किसी ने व्यंग्य किया, 'यह पाश्चातय सभ्यता का कुप्रभाव है।'

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