लॉकडाउन में मोहब्बत - अंतिम भाग
राधिका और प्रिंस की शादी को कुछ दिन ही हुए थे, लेकिन उनके बीच का प्यार दिन-ब-दिन और गहरा होता जा रहा था। उनकी दुनिया अब सिर्फ एक-दूसरे के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी। लेकिन, प्यार के साथ-साथ उनकी नोकझोंक भी वैसी ही थी, जैसी पहली मुलाकात के समय थी।
शादी के बाद यह उनकी पहली सुबह थी, जब सूरज की किरणें कमरे में हल्की-हल्की दस्तक दे रही थीं। राधिका अलार्म बजने से पहले ही उठ चुकी थी, लेकिन प्रिंस अभी भी गहरी नींद में था। वह उसे सोता हुआ देखने लगी।
"ये आदमी जब सोता है, तब भी किसी नौसेना के अफसर से कम नहीं दिखता," उसने मुस्कुराते हुए सोचा। लेकिन उसे छेड़ने का मौका भला वह कैसे छोड़ सकती थी?
"उठो जनाब, घर में मेहमान आने वाले हैं!" राधिका ने तकिया खींचते हुए कहा।
प्रिंस ने करवट बदली और आँखें खोले बिना बोला, "अभी सोने दो ना यार, मैं मेहमानों को सलामी दे दूँगा।"
"अच्छा? तो ये लो तुम्हारी सलामी!" कहकर उसने पानी का छींटा मारा।
"राधिका! तुम तो बिल्कुल अत्याचारी बीवी निकली!" प्रिंस हड़बड़ा कर उठा और उसे पकड़ने के लिए दौड़ा।
राधिका हंसते हुए कमरे से बाहर भागी। लेकिन इससे पहले कि वह दरवाजे तक पहुंचती, प्रिंस ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
"अब भागो," उसने शरारती अंदाज में कहा।
थोड़ी देर बाद दोनों किचन में साथ में नाश्ता बना रहे थे। राधिका पराठे बेल रही थी और प्रिंस चाय बना रहा था।
"सुनो, शादी से पहले तुम बड़ी बहादुर पुलिस अफसर बनी फिरती थी, अब ये गृहिणी वाला रूप क्या है?" प्रिंस ने उसे छेड़ते हुए कहा।
"क्यों? एक महिला पुलिस अफसर अच्छी पत्नी नहीं बन सकती?" राधिका ने आँखें तरेरते हुए पूछा।
"अरे नहीं-नहीं, मतलब तुम जैसी पत्नी पाकर मैं कितना लकी हूँ," प्रिंस ने तुरंत अपनी गलती सुधारी।
राधिका ने मुस्कुराते हुए पराठा उसकी प्लेट में रखा, "अच्छा, अब खाओ और ज्यादा चटर-पटर मत करो।"
दिन हंसी-ठिठोली में बीत गया। शाम को दोनों छत पर बैठे थे। आसमान में हल्की-हल्की ठंडक थी और चाँद अपनी चांदनी बिखेर रहा था।
"राधिका, क्या तुमने कभी सोचा था कि हमारी शादी इस तरह होगी?" प्रिंस ने प्यार भरी नजरों से उसे देखते हुए पूछा।
"नहीं, पर अब सोचती हूँ, तो लगता है कि तक़दीर ने हमें मिलाने की पूरी प्लानिंग कर रखी थी," राधिका ने उसकी तरफ सिर टिका दिया।
प्रिंस ने उसकी ठंडी उंगलियों को अपने हाथों में लिया। "राधिका, तुम जानती हो, जब मैं पहली बार तुमसे मिला था, मुझे लगा था कि तुम बहुत सख्त हो। लेकिन अब मुझे एहसास होता है कि तुम्हारा दिल बहुत ही कोमल और खूबसूरत है।"
राधिका की आँखें नम हो गईं। "तुमने मुझे जीना सिखाया, प्रिंस। मेरी ज़िंदगी हमेशा नियमों में बंधी थी, लेकिन तुम्हारे साथ हर पल एक नया एहसास देता है।"
प्रिंस ने उसे अपनी बाहों में भर लिया। यह पहली बार था जब राधिका ने खुद को पूरी तरह से किसी और के हवाले कर दिया था।
उस रात दोनों के बीच एक अनकही कसमें थीं, एक-दूसरे को न छोड़ने की, हमेशा साथ निभाने की। प्रिंस ने राधिका की आँखों में झाँकते हुए कहा, "तुम्हें पता है, इस दुनिया में अगर मुझे सबसे ज्यादा किसी पर भरोसा है, तो वो तुम हो।"
राधिका ने मुस्कुराते हुए उसकी बाहों में खुद को और समेट लिया। वह एक खूबसूरत अहसास था, जिसमें प्यार भी था, अपनापन भी और अनगिनत वादे भी।
कुछ महीनों बाद, जब लॉकडाउन पूरी तरह खत्म हो गया, तो दोनों ने साथ में अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत की। अब राधिका अपने पुलिस स्टेशन में वापस लौट गई थी और प्रिंस फिर से नेवी की ड्यूटी पर। लेकिन उनका प्यार अब पहले से भी ज्यादा गहरा हो गया था।
हर रात दोनों वीडियो कॉल पर घंटों बातें करते, अपनी दिनभर की कहानियाँ एक-दूसरे को सुनाते।
"सुनो, जब मैं अगले महीने छुट्टी पर आऊँगा, तो तुम्हें कहीं बाहर घुमाने ले जाऊँगा," प्रिंस ने फोन पर कहा।
"पहले भी कहा था, और फिर कहीं ड्यूटी में बिज़ी हो गए थे," राधिका ने शिकायत की।
"अरे नहीं, इस बार वादा है। तुम्हें तुम्हारी ड्रीम डेट पर लेकर जाऊँगा।"
राधिका ने मुस्कुराते हुए कहा, "ठीक है, इस बार अगर वादा तोड़ा, तो एक FIR दर्ज कर दूँगी।"
दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े। उनकी कहानी लॉकडाउन में शुरू हुई थी, लेकिन अब यह प्यार की एक खूबसूरत दास्तान बन चुकी थी।