साल 2020, जब पूरी दुनिया ठहर गई थी, सड़कों पर सन्नाटा पसरा था, और लोग अपने घरों में कैद थे। लेकिन इसी लॉकडाउन में कहीं एक अनकही कहानी जन्म लेने वाली थी।
छोटे से शहर के पास बसे एक गांव में, प्रिंस नाम का एक सीधा-साधा नौजवान अपने घर आया था। वह भारतीय नौसेना में अधिकारी था और कुछ समय के लिए छुट्टी पर था।
इसी बीच, गांव में कर्फ्यू का पालन करवाने के लिए एक सख्त लेकिन दिल की अच्छी पुलिस अफसर, राधिका की पोस्टिंग हुई। राधिका अपने कर्तव्य के लिए जानी जाती थी, किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी, लेकिन अपने काम को पूरी ईमानदारी से करती थी।
एक शाम, जब प्रिंस घर के बाहर चहलकदमी कर रहा था, तभी पुलिस की गाड़ी उसके सामने आकर रुकी। अंदर से राधिका उतरी, वर्दी में, आँखों में कड़कपन और चेहरे पर मास्क।
"कर्फ्यू लगा हुआ है, घर के अंदर जाइए।" राधिका ने सख्त लहजे में कहा।
प्रिंस ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मैम, मैं घर के बाहर ही खड़ा हूँ। नेवी में हूँ, तो लॉकडाउन के नियम अच्छे से पता हैं।"
राधिका ने उसे सिर से पाँव तक देखा, फिर बोली, "नेवी में हो तो और अनुशासन समझना चाहिए, यहाँ किसी को रियायत नहीं मिलेगी।"
प्रिंस ने ठंडी साँस ली और बिना कुछ कहे वापस अंदर चला गया। लेकिन जाते-जाते उसे एक अजीब सा अहसास हुआ।
उधर, राधिका ने भी अपनी गाड़ी स्टार्ट की, लेकिन उसके मन में एक हल्की सी मुस्कान आई – कुछ अलग था इस लड़के में।
अगले दिन शाम के वक्त, अचानक तेज बारिश होने लगी। राधिका अपनी ड्यूटी पर थी, लेकिन बारिश इतनी तेज़ थी कि वह पुलिस स्टेशन वापस नहीं जा पाई।
"अब कहाँ जाऊँ?" उसने बुदबुदाया।
तभी उसे सामने प्रिंस का घर दिखा। हिचकिचाते हुए, उसने दरवाजा खटखटाया।
प्रिंस ने दरवाजा खोला और हल्के से मुस्कुराया, "अरे वाह! पुलिस अफसर खुद मेरे घर? आइए, अंदर आइए।"
राधिका को ठंड लग रही थी, लेकिन उसने सख्त लहजे में कहा, "मैं बस बारिश रुकने तक रुकूँगी। कोई और रास्ता नहीं था।"
प्रिंस ने शरारत से कहा, "तो इसका मतलब मेहमान की तरह चाय भी नहीं पीएँगी?"
राधिका ने भौंहें चढ़ाईं, "ठीक है, लेकिन बिना किसी ड्रामे के!"
चाय बनाकर जब प्रिंस ने कप उसकी तरफ बढ़ाया, तो अचानक बिजली चली गई। घर में हल्का सा अंधेरा छा गया।
दोनों की आँखें मिलीं, और कुछ पल के लिए एक अजीब सी खामोशी छा गई।
प्रिंस ने धीरे से कहा, "लगता है, यह लॉकडाउन हमें कुछ खास सिखाने वाला है।"
राधिका ने हल्के गुस्से से जवाब दिया, "हद है! तुम हर चीज़ में फ़िल्मीपन क्यों घुसेड़ देते हो?"
अचानक, एक हल्की हलचल हुई, और प्रिंस का हाथ गलती से राधिका के हाथ से टकरा गया।
उनकी साँसें तेज हो गईं। अंधेरे में, सिर्फ दिलों की धड़कन सुनाई दे रही थी।
और फिर… अनजाने में, बिना किसी योजना के… उनके होंठ मिल गए।
क्षण भर के लिए, समय जैसे थम गया था। पर अगले ही पल, राधिका तेजी से पीछे हटी।
"यह… यह क्या था?" उसकी आवाज़ में गुस्सा और घबराहट दोनों थे।
प्रिंस खुद भी थोड़ा असहज हो गया, "मुझे नहीं पता… यह अचानक…"
राधिका की आँखों में नाराजगी थी। वह बिना कुछ बोले एक कोने में जाकर बैठ गई। प्रिंस भी चुप था।
इस खामोशी का क्या मतलब था? क्या यह सिर्फ एक गलती थी या फिर कुछ और?
आगे क्या होगा?
क्या राधिका इस गलती को माफ़ कर पाएगी? क्या प्रिंस और राधिका के बीच कोई नई शुरुआत होगी? कल के भाग 2 में जानिए…