मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकती शायद वह दिन मेरे ज़हन् में छप चुकी है । क्योंकि वही दिन था जब वह मेरे से दूर जा रहा था लिटरली बहुत दूर जा रहा था । वो दिन जब अच्छे से सूरज भी नहीं उगा था, मुर्गे ने बांग भी नहीं लगाया था । आसमान में बस हल्की-हल्की लालिमा छाई हुई थी। उसके परिवार वाले उसके रिश्तेदार वाले सब उसके साथ हमारे गांव के रेलवे स्टेशन पर समय से पहले उसे छोड़ने के लिए आए हुए थे । सच कहूं तो वह अपने वर्दी में किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था। यह पहली बार था, जब वह मुझसे दूर जा रहा था । मैं उससे थोड़ी दूर में खड़ी बस उसे एक टक निगाहों में उसे देखे जा रही थी हालांकि अभी ट्रेन आने में काफी समय था इसलिए उसके परिवार के लगभग सभी लोग चाय की टापरी में चाय पी रहे थे तभी वह मेरी तरफ देखा और मेरे पास आने लगा । उसे नजदीक आते देख मेरी आँखे डबडबा गए और फिर अपने आप आंसू बहने लगे वह पास आया मेरे आंसू पूछे और बिना कुछ कहे चुपचाप गले से लगा लिया मगर मैं फिर भी रोए जा रही थी क्योंकि सेना में अभी उसकी नई-नई नौकरी लगी थी और पोस्टिंग भी सीधे कश्मीर में थी । उन्होंने लगभग 10 सेकंड ही गले लगाया था कि मुझे उसके साथ बिताए 20 साल एक झटके में याद आने लगे थे की तभी दूर से ही ट्रेन की ऑन बजी और फिर उसने मेरे सर को चुमा और कहा तुम चिंता मत करो मैं जल्द ही वापस आऊंगा फिर वह अपना सामान उठाया और ट्रेन में जाकर बैठ गया।
आंखें उसकी भी नम थी । पर वह जताना नहीं चाहता था । आज वह भी कहना बहुत कुछ चाह रहा था पर कुछ कहना नहीं चाहता था।पता नहीं क्यों मगर आज स्टेशन पर वह रोजाना वाली बात नहीं थी सफर तो लोग आज भी कर रहे थे पर आज पहले वाली जज्बात नहीं थी।
स्टेशन पर दोनों प्लेटफार्म मानो तो एक दूसरे का बस मुंह ताक रहे थे। वह नम आंखों के साथ चला तो गया पर लौटा डेढ़ साल बाद । उस बीच ना तो एक भी फोन आया और ना ही कोई चिट्ठी और जब आया तो पूरे गांव में गर्व और मातम दोनों एक - साथ फैल गया। मैं सोचती थी जब आएगा तो जंग जीत के आएगा सीना तानकर पिताजी से मेरा हाथ मांगेगा और मुझसे कहेगा कैप्टन कार्तिक आनंद देश की सेवा तो कर लिया अब तुम्हारी सेवा में हाजिर रहेगा, पर हुआ इसकी विपरीत । वो जंग जीता और आया भी, मगर आया तो ऐसे नहीं, तिरंगे में लिपट कर आया ।सबकी आँखे नम कर गया । कभी - कभी सोचती हूं कि अगर उस दिन मैंने उसे रोक लिया होता तो वो बस मेरी यादों के पन्नों में नहीं बल्कि हकीकत में मेरे पास होता और कहानी कुछ और होती । खैर मेरे महादेव की कुछ और ही इच्छा थी इसलिए वह सिर्फ मेरे हिस्से में नहीं बल्कि पूरे गांव पूरे समाज पूरे जिले के हिस्से में आया। सबकी यादों में बस गया। और अंत में उसका कहा एक लाइन कहना चाहूंगी जो वह अक्सर मुझसे कहता था कि काम ऐसा करो कि किसी एक के दिल में नहीं, बल्कि सबके दिल में बस जाओ।