Technological Governance in India in Hindi Anything by Yashraj Bais books and stories PDF | प्रौद्योगिकी शासन भारत में एक नये आधुनिक युग की शुरुआत

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प्रौद्योगिकी शासन भारत में एक नये आधुनिक युग की शुरुआत

आज हर एक चीज़ केवल आपके मोबाइल या लैपटॉप के एक क्लिक पर संभव है, भले ही वो बैंक से बड़े से बड़े पेमेंट करना हो या ट्रेन या हवाई जहाज़ में सीट का आरक्षण करवाना हो, इस आधुनिकता ने हर एक व्यक्ति का जीवन पहले से काफ़ी सुलभ एवं सुविधाजनक बना दिया है, इसी परिपेक्ष में हाल में प्रासंगिक हुई आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस ने उक्त आधुनिकता को एक अलग दृष्टि एवं स्थान प्रदान किया है, जिसे अब सरकारों द्वारा अपने शासन, राज-कार्य एवं नीति विकसित करने जैसे कार्यों में भी प्रयोग किया जा रहा है।
इसी फ़ेहरिस्त में आज सरकारों द्वारा अपनी शासन संबंधी कार्यों को गति प्रदान करने हेतु प्रौद्योगिकी शासन का उपयोग किया जाने लगा है, जिसका साधारण सा अर्थ की आधुनिकता की सहायता से अपने कार्यों का क्रियान्वयन करना, उदाहरण के लिए दिल्ली के एक युवा आईएएस अधिकारी द्वारा सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग कर शासन की भूमि को ज़मीन माफ़ियाओ के अवैध क़ब्ज़े से मुक्त करवाना, या कुंभ मेले में सीसीटीवी कैमरे एवं एआई की सहायता से नज़र रखना एवं प्रबंधन करना। इसी के साथ बिहार में ज़मीनों के लेखे-जोखे को इलेक्ट्रॉनिक मैपिंग एवं रजिस्टर के माध्यम से पंजीकृत करना एवं उसके अभिलेख का अनुरक्षण करना, ऐसे कई प्रयास संपूर्ण भारत में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे है।
हालाँकि इसमें मुख्य तौर पर कई विसंगतियां समक्ष आती है, जैसे प्रथम रूप से नागरिकों का इसके प्रति उचित प्रतिक्रिया न मिलना, क्योंकि अक्सर कुछ भ्रांतियों के चलते नागरिक उक्त बदलाव हेतु मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाते है, जिससे कई बार अस्वीकार्यता की स्थिति बनती है, जिससे उक्त प्रयास सफल नहीं हो पाते है, साथ ही इसमें निजता के उल्लंघन का भी एक मुख्य पहलू सामने आता है, क्योंकि हर चीज़ जब टेक्नोलॉजी के माध्यम से विनियमित होती है तो ऐसे में डेटा का अनुचित उपयोग होना एवं डेटा लीक होने जैसी घटनाएँ सामने आती है, जिसमें आम नागरिकों के साथ काफ़ी अन्याय होता है एवं उनके व्यक्तिगत निजता के अधिकारों का उल्लंघन होता है, जिसमें सरकार को एक सुलभ एवं उत्तरदायी प्रणाली को विकसित करना चाहिए, जिससे सभी को एआई एवं प्रौद्योगिकी शासन का असल मायनों में लाभ मिल सके। यह की केएस पुत्तस्वामी के निर्णय में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भारत में निजता के अधिकार को नागरिकों का मौलिक अधिकार बताया था एवं उसे एक महत्वपूर्ण अधिकार के रूप से परिलक्षित किया था, ऐसे में सरकारों के यह ज़िम्मेदारी है की एक ऐसी प्रणाली विकसित की जाये, जिसमें नागरिकों के पास न सिर्फ़ अपने साथ हो रहे निजता के उल्लंघन संबंधी अधिकारों की शिकायत की जा सके, किंतु संबंधित व्यक्ति की एक उचित ज़िम्मेदारी भी तय कर, उसपर उचित कार्यवाही की जा सके, इसके भय से ही कुछ सकारात्मक परिवर्तन आना संभव है।
आज के परिपेक्ष में टेक्नोलॉजी का उचित प्रयोग कर, प्रौद्योगिकी शासन के माध्यम से सरकार संचालित करना एक बेहतर विकल्प है, किंतु इसमें नागरिकों के अधिकारों एवं सुविधा का संतुलन बना रहे, यह प्रयास होने चाहिए, आने वाला युग पूर्णतः टेक्नोलॉजी पर ही निर्भर होगा, ऐसे में प्रौद्योगिकी शासन से संबंधित समस्त हानि-लाभ देखकर ही कोई निर्णिय लिया जाना चाहिए।