बदलता मौसम
सुहाना बदलता मौसम प्यारा पैग़ाम लेकर आया हैं l
साथ अपने रिश्तों की नजाकत के सुकून लाया हैँ ll
शीतल ठंडी चाँदनी की बरसात में भीगी हुई l
हसीन हुस्न की खूबसूरती को आँखों ने समाया हैँ ll
सैलाब बनकर बहा ना ले जाए कहीं संभल जा क्यूँकी l
फिझाओ में बहका देनेवाला नशीलापन छाया हैँ ll
बदले हुए मौसम की दिलदारी तो देखो तो जरा l
झरे झरे लम्हे लम्हे में पुरानी यादों का साया हैँ ll
कुछ इस तरह की हवा चली बदले हुए रुख से l
पेड़ो की पत्तियों ने खुशी से मधुर गीत गाया हैँ ll
१-२-२०२५
बदलता मौसम यू इशारे कर रहा हैं l
फिझाओ में उम्मीद को भर रहा हैं ll
हल्की सी मुस्कराहट से खिले हुआ l
हुस्न देख दिल हाथों से सर रहा हैं ll
शीत चाँदनी रात की तन्हाइयों में l
सपने निगाहों से नींद हर रहा हैं ll
फ़र्श से उठाकर अर्श पर पहुँचाया l
बेपन्हा आशिकी में सँवर रहा हैं ll
खेतों में रंगबिरंगी खेती लहराती l
बसंत पंचमी के दिन झर रहा हैं ll
२-२-२०२५
राम और रामायण की कथा अद्भूत रमणीय हैं l
वाल्मिकी ने किया हुआ वर्णन अविस्मरणीय हैं ll
राम, लक्ष्मण, सीता और भरतकी शौर्यकहानी l
रामसभा में लवकुश ने कही हुई कथा कर्णप्रीय हैं ll
वनवास के दौरान संग हनुमानजी की भक्ति व् l
राम, लक्ष्मण और सीता की जोड़ी दर्शनीय हैं ll
सिहासन पर खड़ाऊ रखकर भरत बोले राम राम l
अयोध्या में राम ही राज़गादी पर शोभनीय हैं ll
विविध रूपों में राम का गुणगान किया गया है l
युगों से राम और रामायण बहुत लोकप्रीय हैं ll
३-१-२०२५
ऋषि मुनि का आशीर्वाद खाली नहीं जाता l
ईश्वर से होता है सीधे सीधा गहरा नाता ll
एक बार कृपा दृष्टि मिल जाये तो ताउम्र l
जीवन में खुशियों की बरसात है लाता ll
जहां भी जाये देवभूमि बन जाए और l
त्याग, तपस्या, सत्य का भाव आता ll
गुणी ऋषि मुनिओ से देश भरा पड़ा l
प्रेम, स्नेह, करुणा और शांति भाता ll
मानवता के सर्वोच्च मंत्र का संस्कार l
शौर्य पराक्रम बलिदानी गाथा गाता ll
४-१-२०२५
वेद और विज्ञान एक दूसरे पर आधारित हैं l
विज्ञान के सारे आविष्कार वेद से प्रेरित हैं ll
वेद से ही विज्ञान होता ओ चेतन ज्ञान हैं l
संस्कारों से रचा आदि काल से प्रचलित हैं ll
ऋषि मुनिओ के चिंतन से, खुला जग का द्वार l
सृष्टि के आधार को मानने में सब का हित हैं ll
सौरमंडल की बातें, ग्रंथों में झलकती वहां l
हररोज के जीवन के लिए ज्ञान ही नित हैं ll
वेद सब विद्या के मूल, जनक हैं कला के।
पूर्वजो के आशीर्वाद से जग संचालित हैं ll
५-२-२०२५
नारी का सफ़र
नारी का सफ़र जन्म से लेकर मृत्यु तक कठिन होता हैं l
हर दिन हर लम्हा नयी चुनौतियों लेकर रोड़े बोता हैं ll
जिस परिवार के सपनों के पौधों को सिंचती है
वहीं l
अपनों के हाथों से ही उसका चैन और सुकून
छिनता हैं ll
खुद के ख्वाबों को बच्चों के लिए कुर्बान करने वाली l
घोर से ग़र देख सकते हो तुम तो आँखों में
दिखता हैं ll
विधि की महानता तो देखों क़ायनात में माँ बहन, पत्नि l
प्रेम, ममता, भावना, स्नेह जिसे देती वहीं उसे लुटता हैं ll
उँगली पकड़कर चलना सिखाया, गिरते हुए को बचाया l
सब को छाया देने वाली पर ही आसमान टूटता हैं ll
सब का दिल और मन ज़ी जान से संभालने के बाद भी l
किसी ना किसीका हाथ तो कभी साथ भी छुटता हैं ll
जीवन के सफ़र में ज़िंदगी के उतार चढ़ाव में अपनों के l
दिलों को जोड़ने वाली का दिल भी कभी दुखता हैं ll
ना कह सके, ना सह सके और नाही उफ़ कर सके l
न बहने वाले अश्क ख़ामोशी की वजह को पूछता हैं ll
६-२-२०२५
युद्ध और शांति
युद्ध नहीं बलके शांति सब का मकसद होना चाहिये l
देश औ देश वासियों के लिये चैन सुकूं खोना चाहिये ll
युद्ध से कुछ नहीं मिलता सिवाय के मौत ओ
बिबश्ता के l
आपस में भाईचारा रखकर अमन का संदेशा बोना चाहिये ll
जीवन है बहुमूल्य तो दूरदर्शिता अपनाओ हो सके तो l
दिल से कड़वाहट मिटाकर एकता से संजोना चाहिये ll
नफरत ओ कटुता के दावानल को हमेशा से मिटाकर l
देशवासियों को आत्मीयता व् प्रेम से भिगोना चाहिये ll
आजादी को सच्चे रूप से मान और शान रखकर l
कंधों पर अखण्डिता करने का बोझ ढोना चाहिये ll
७-१-२०२५
माँ के जैसी कुर्बानी कोई नहीं कर सकता है l
माँ की खाली जगह कोई नहीं भर सकता है ll
प्यार, स्नेह, ममता सब कुछ निसार करती l
माँ के बिना जीवन ही नहीं सँवर सकता है ll
घर आँगन की शोभा जीवन ज्योत जलाती l
माँ की दुआ से हर इन्सान संभल सकता है ll
बच्चों की खुशियो की ख़ातिर दुनिया से लड़े l
माँ के आशीर्वाद से भाग्य बदल सकता है ll
गोद में उसके सिर रखकर सोने का जी करता l
माँ की कृपा से खुदा का रहम बरस सकता है ll
८-२-२०२५
प्यार का पहला ख़त किताबों में मिला l
खूबसूरत सा नगमा कलामों में मिला ll
तन्हाई के लम्हे और भी रंगीन हो गये जब l
दिवाने ख़त का जवाब सवालों में मिला ll
बरखा के मौसम में भीगे दिन भीगी रातों में l
मुहब्बत रस भरा पियाला ख्वाबों में मिला ll
बालों को सजाने के लिए लगाये हुए गुलों से l
हसीन खुशबु का खज़ाना गुलाबों में मिला ll
समंदर के बीच चारोओर ढूंढते थे जिसे वो l
उम्मीदों का रंगबिरंगी शहर किनारों में मिला ll
चाँदनी रात में महफ़िल सजी हुई थी और l
खुदा ने भेजा हुआ पयाम सितारों में मिला ll
आँखों की हया ए तहज़ीब की बात क्या कहें l
अश्कों का मीठा दरिया हिजाबों में मिला ll
चैन और सुकूं की छाया सी छा गई जब l
माँ की ममता भरा दामन खयालों में मिला ll
दिल ए बेताब ज़रा सब्र तो कर पढ़ ले ख़त l
आज हिसाब मुद्दतों के बाद जवाबों में मिला ll
जिसकी तमन्ना सुबह से शाम करते रहे वो l
उम्मीदों का प्यार भरा दामन बहारों में मिला ll
९-२-२०२५
उम्मीद का हाथ नहीं छोड़ना चाहिये l
राह में आते हुए रोड़े तोड़ना चाहिये ll
सुनो मंज़िल तक पहुचने रास्तों को l
हालत के हिसाब से मोड़ना चाहिये ll
जिंदगी को खुशमिजाज बनाने के लिए l
बेकरारी बेसब्री से फोड़ना चाहिये ll
एक-दूसरे का हाथ और हाथ हो और l
कारवाँ को दोस्ती से जोड़ना चाहिये ll
ख्वाइशों के समन्दर को पाने वास्ते l
वक़्त के साथ साथ दोड़ना चाहिये ll
१०-२-२०२५
लगन और साधना से मंज़िल तक पहुंच सकते हैं l
जीवन का असली ध्येय साधना से प्राप्त करते हैं ll
मन में सच्ची लग्न लगी हो तो मनचाहा मिलता हैं l
हमेशा लक्ष्य को दिलों दिमाग़ में दिन रात भरते हैं ll
पुरुषार्थ से जीत हासिल होती है य़ह बात जान लो l
ख्यालोंमें ताउम्र रहा उसे पाना स्वयं को कहते हैं ll
पथ साधना का बड़ा अजीब और निराला होता है l
साधना के प्रभाव से आध्यात्म भाव में सरते हैं ll
मोह लोभ काम क्रोध वासना समस्त त्याग कर l
सुख का सूरज उगेगा यहीं उम्मीद पर पलते हैं ll
११-२-२०२५
इंतजार
इंतजार की घड़ियाँ काटे नहीं कटती हैं l
घड़ी की सुई आज क्यूँ नहीं हटती हैं ll
हर पल हर घडी जागते सोते चाह थी वो l
एक मुलाकात की आशा नहीं मिटती हैं ll
कभी गूँजो में, कभी ख़ामोश तन्हाइयों में l
राह तकती साँस सिसकियाँ भरती हैं ll
उफान, आँधी और बवंडर जैसी याद l
दिलों दिमाग का चैन ओ सुकूं हरती हैं ll
किताबों में, किस्सों भरी कहानियों में l
सुब्ह शाम यूहीं दुआओं में सरती हैं ll
१२-२-२०२५
फिझाओ का हौसला देख वज़ूद समंदर का हिल गया l
रवानगी कुछ ऐसी थी के मौजों का रूख भी सिल गया ll
एक साथ मिलकर चलना है तो लड़ना भी क्या तो l
उछलते छलकते हुए वो भी खुशी से संग मिल गया ll
इतना भी मजबूर और लाचार नहीं है कि हार जाए l
रिश्तों की नजाकत को समझते हुए वो छिल गया ll
ले दे के पास फ़क़त जिगर रह गई है तो आगे बढ़के l
उस मकाम पहुंचे हैं कि हालात के साथ दिल गया ll
जिन्दा रहने की उम्मीद ओ तरकीब भी सीख ली l
मौसम के खुशमिजाज से मिलझूल कर खिल गया ll
१३-२-२०२५
शुक्रिया
आती जाती साँसों का शुक्रिया अदा कर लो l
खुशमिजाज सी खुशनुमा ताजी हवा भर लो ll
फर्श से लेकर अर्श तलक पहुचने के लिए बस l
जहां चैन ओ सुकूं ना मिले वहां से सरक लो ll
आंसूं भी मोती में बदल जायेंगे सब्र करके जरा l
दुनियाके रीतिरिवाजोंको अच्छे से समज लो ll
चार दिन की है जिन्दगी फ़िर कैसा ग़म सुनो l
यार दोस्तों से तआल्लुक बढ़ाकर सँवर लो ll
मुस्कुराकर शुक्रिया कहकर अपनों के संग l
खुशी से जीवन सफ़र के दरिया को तर लो ll
१४-२-२०२५
अपनों के साथ शिकायतों का दौर चालु रहता हैं l
वक्त के साथ रवायतों का दौर चालु रहता हैं ll
गर आपस में रंजिशे कम ना किये जाये तो भी l
सबंधों के बीच जफ़ायतों का दौर चालु रहता हैं ll
समझदारी,प्यार, ममता और एकता खत्म हो तो l
इल्ज़ामो की सखावतों का दौर चालु रहता हैं ll
हालात जब हाथों से बहार निकल जाए तब ही l
छोटे बड़ों की बगावतों का दौर चालु रहता हैं ll
संबंधो की क़ीमत जिसे पता ही ना हो और जब l
जिद हद बढ़े तो अदावतों का दौर चालु रहता हैं ll
१५-२-२०२५
दुनिया ना तुमको देखती है l
ना तुम्हें क्या बनना है l
बस ऐसे ही देखती है l
जैसे उनको देखना होता है ll
आश्वी