Sapno ke Sath Pyar - 3 in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | सपनों के साथ प्यार - भाग 3

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सपनों के साथ प्यार - भाग 3



समय के साथ मिहिर और रुचिका के रिश्ते ने एक नए मोड़ को लिया था। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता हासिल की थी, लेकिन अब उनका जीवन एक नई दिशा में बढ़ रहा था। उनके सपने और प्यार एक साथ चलते थे, और इसने उनके रिश्ते को और भी मजबूत बना दिया था। अब वे सिर्फ एक-दूसरे के प्रेमी नहीं थे, बल्कि एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त, साथी और सहयोगी भी बन चुके थे।

लेकिन, जैसा कि हर कहानी में कुछ उलझनें होती हैं, वैसे ही उनके जीवन में भी कुछ नए सवाल खड़े हो गए थे। मिहिर और रुचिका दोनों को यह महसूस हो रहा था कि वे अब अपनी ज़िन्दगी में कुछ नया करना चाहते थे। लेकिन क्या वह नया कदम उन्हें एक दूसरे से और भी दूर कर देगा?

रुचिका ने एक दिन मिहिर से कहा, "मुझे लगता है कि अब हमें कुछ और सोचना चाहिए। हम दोनों ने जो हासिल किया है, वह अद्भुत है, लेकिन अब हमें अपने रिश्ते को एक नई दिशा देनी होगी।"

मिहिर ने उसकी बातों को ध्यान से सुना। "तुम्हारा मतलब क्या है? क्या हम कुछ नया शुरू करेंगे?" उसने थोड़ा आश्चर्यचकित होकर पूछा।

रुचिका ने सिर झुकाया, फिर उसकी आँखों में एक दृढ़ निश्चय दिखा। "मैंने अपनी कला गैलरी को बढ़ाने का सोचा है, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे कुछ और करना चाहिए। शायद मुझे अपनी कला को दुनियाभर में फैलाने के लिए एक नई पहल करनी चाहिए।"

मिहिर ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया। "यह शानदार विचार है, रुचिका। तुम्हारी कला को पूरी दुनिया देखे, यह सच में कुछ अद्वितीय होगा।"

लेकिन फिर रुचिका के चेहरे पर चिंता का एक निशान आया। "लेकिन, मिहिर... अगर मैं यह करती हूं, तो क्या हम दोनों के बीच जो रिश्ता है, वह इससे प्रभावित होगा? क्या हम अपनी व्यक्तिगत यात्रा के बीच एक दूसरे को खो देंगे?"

मिहिर ने उसकी चिंता को महसूस किया और उसके पास आकर कहा, "रुचिका, मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानता हूं। तुम्हारे सपने तुमसे बहुत कुछ कहते हैं। तुमने मुझे सिखाया है कि प्यार सिर्फ एक दूसरे के साथ रहने का नाम नहीं है, बल्कि खुद को ढूंढने और एक-दूसरे को अपनी यात्रा में पूरा करने का नाम है।"

रुचिका की आँखों में एक हल्की सी चमक आई। "क्या तुम सच में यही सोचते हो?"

"हां," मिहिर ने कहा, "हम दोनों को अपनी अपनी दिशा में बढ़ने का हक है। लेकिन यह समझ लो, रुचिका, कि चाहे तुम कहीं भी जाओ, चाहे हम दोनों के रास्ते अलग हों, लेकिन हम दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ होंगे। तुम्हारा सपना मेरा सपना है।"

रुचिका ने मिहिर का हाथ थामा और कहा, "मुझे तुम पर पूरा विश्वास है, मिहिर। लेकिन अब हमें एक निर्णय लेना होगा, और वह यह है कि क्या हम दोनों अपने-अपने रास्ते पर चलने का साहस जुटा सकते हैं, और क्या हम एक दूसरे के बिना भी खुश रह सकते हैं?"

मिहिर ने उसकी आंखों में देखा और कहा, "हम दोनों एक दूसरे के बिना भी नहीं रह सकते, लेकिन हमें यह समझना होगा कि अगर हम अपने-अपने रास्ते पर चलते हैं, तो यह हमारे रिश्ते को मजबूत ही करेगा। हम दोनों को अपना खुद का स्थान बनाना होगा, ताकि हम एक दूसरे को और बेहतर तरीके से समझ सकें।"

यह संवाद उनके रिश्ते के लिए एक नया कदम था। दोनों ने तय किया कि वे अपनी-अपनी यात्रा पर चलेंगे, लेकिन एक दूसरे के साथ रहते हुए। रुचिका अपनी कला को दुनियाभर में फैलाने की दिशा में काम करना चाहती थी, और मिहिर अपनी तकनीकी दुनिया में नए कदम उठाने के बारे में सोच रहा था।

कुछ महीने बाद, रुचिका ने एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें उसके द्वारा बनाई गई कला को दुनिया भर के लोग देख सके। मिहिर ने उसे समर्थन देने के लिए हर कदम पर उसकी मदद की। हालांकि उनके बीच दूरी बढ़ी, लेकिन दोनों एक-दूसरे के सपनों को साकार करने में एक-दूसरे की मदद कर रहे थे।

रुचिका की कला प्रदर्शनी में बड़ी सफलता मिली, और उसकी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वह जानती थी कि यह सफलता सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि मिहिर की भी थी, क्योंकि वह हमेशा उसकी प्रेरणा बनकर खड़ा रहा था।

लेकिन इसके साथ ही, मिहिर को भी अपने करियर में एक बड़ा मौका मिला। उसकी कंपनी ने एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें मिहिर को एक लीडर की भूमिका दी गई थी। वह जानता था कि यह अवसर उसके सपनों को पूरा करने का था, और वह इसे छोड़ने का सोच भी नहीं सकता था।

एक दिन, जब रुचिका अपनी प्रदर्शनी से लौट रही थी, तो मिहिर ने उसे फोन किया। "कैसी रही तुम्हारी प्रदर्शनी?" उसने उत्सुकता से पूछा।

रुचिका ने खुशी से उत्तर दिया, "यह अद्भुत था, मिहिर! मैं खुद को बहुत गर्व महसूस कर रही हूं। सबकुछ बहुत अच्छा हुआ।"

"यह सुनकर अच्छा लगा," मिहिर ने कहा, "लेकिन मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ।"

रुचिका ने उसकी आवाज़ में कुछ बदलते हुए सुना। "क्या हुआ?" उसने पूछा।

"मुझे एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है, और मुझे अब और अधिक जिम्मेदारियाँ निभानी होंगी। यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन इसका मतलब है कि हमें और भी अधिक समय एक-दूसरे से दूर रहना होगा," मिहिर ने कहा।

रुचिका थोड़ी चुप हो गई। "मुझे पता था कि यह दिन आएगा, मिहिर। लेकिन हमें अब एक-दूसरे से और भी ज्यादा समझदारी और समर्थन की जरूरत होगी।"

मिहिर ने कहा, "हम दोनों के बीच की दूरी अब और बड़ी नहीं होगी। हम दोनों का प्यार और सपने हमें हमेशा एक साथ बनाए रखेंगे।"

यह नए अध्याय की शुरुआत थी। रुचिका और मिहिर ने अपने-अपने रास्ते पर चलते हुए भी एक-दूसरे का साथ देना जारी रखा। उनके प्यार और संघर्षों ने उन्हें और भी मजबूत बना दिया था, और अब वे जानते थे कि एक-दूसरे के बिना भी उनका प्यार कभी खत्म नहीं होगा।


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