एक यूरोपियन स्टाइल में बना हुआ कमरा जहां सब कुछ ब्लैक और ग्रे शेड में कस्टमाइज किया हुआ था। उस रूम का इंटीरियर भी मैटेलिक ग्रे शेड में था। उसी कमरे के किंग साइज बेड पर सोया एक बेहद हैंडसम लड़का धूप से बचने के लिए अपने ऊपर पूरी तरह से ब्लैंकेट ओढ़े लेटा हुआ था। फिलहाल वो शायद किसी सपने में खोए हुए मंद-मंद मुस्कुरा रहा था और उसका उठने का कोई इरादा नहीं लग रहा था।
तभी उसके कमरे में एक खूबसूरत सी औरत आई जिसकी उम्र लगभग 50 के आस पास रही होगी। वह औरत उस लड़के के ऊपर से ब्लैंकेट हटाते हुए बोली, "वीरेन, उठ जा! सूरज सर पर चढ़ आया है। तुझे कॉलेज नहीं जाना क्या?"
वीरेन, जो अब तक उठने के मूड में नहीं लग रहा था, उसने जैसे ही कॉलेज का नाम सुना, तो वो झट से उठ कर बैठ गया। उसकी आंखों में कॉलेज जाने के नाम से ही चमक आ गई थी और उसकी नींद भी एकदम से उड़ सी गई थी।
वहीं वह औरत, यानी भावना मेहरा, अपने बेटे वीरेन का ऐसा रिएक्शन देख चौंक गई। भावना हैरानी से बोली, "वीरेन, क्या हुआ ? वैसे तो तू कभी एक बार कहने से नहीं उठता था, पर आज क्या हो गया?"
वीरेन ने उनकी बात सुनी तो उसके सामने एक खूबसूरत सी लड़की का चेहरा आ गया। लड़की की खूबसूरत भूरी आंखें, मुलायम से गाल, सुनहरे बाल और चमकता हुआ चेहरा वीरेन के होश उड़ाने को काफी था।
उस चेहरे की यादों में खोते हुए वीरेन ने कहा, "मॉम, मेरी प्यारी मॉम, मैं तो हमेशा ही आपकी बात मानता हूं। आप फालतू ही मुझ पर शक कर रहीं हों।"
भावना अपने लाडले बेटे को घूर कर देखती है। उसे वीरेन की बात पर विश्वास तो नहीं हो रहा था, पर फिर भी वो उसे समय से नीचे आने का कहकर कमरे से निकल जाती है। वहीं भावना के कमरे से जाते ही वीरेन एक चैन की सांस लेता है और तकिया पकड़ कर उसे हग कर लेता है।
तो ये थे हमारे कहानी के हीरो वीरेन मेहरा। ये देश की जानी-मानी मेहरा फैमिली के छोटे शहजादे और घर के लाडले हैं। इनकी पर्सनैलिटी और स्वभाव दोनों हमेशा हॉट ही रहते हैं। ये एक नामी कॉलेज से एमबीए कर रहे हैं और फिलहाल इनका दिल किसी खास पर अटका हुआ है। अभी कुछ देर पहले उन्हीं की यादों में नींद से जाग गए थे ये महाशय।
दूसरी तरफ, मुंबई की एक छोटी सी कॉलोनी,
यह एक ऐसी कॉलोनी थी जहां सभी हंसी-खुशी से अपना बसेरा कर रहे थे। यहां के लोग बहुत ज्यादा अमीर तो नहीं थे, पर सभी लोग अपने परिवार को पालने जितना कमा ही लेते थे।
इसी कॉलोनी में एक घर है "वशिष्ठ सदन" जहां हमारे कुछ मुख्य किरदार हैं। तो चलिए मिलते हैं...
वशिष्ठ सदन के बाहर आंगन में एक औरत तुलसी जी के पौधे पर पानी चढ़ा रही थी। वहीं दो लड़कियां एक दूसरे के पीछे भाग रही थीं।
उसी में से एक लड़की ने भागते हुए कहा, "दिया, तुम मुझे नहीं पकड़ सकती, स्पोर्ट्स में चैंपियन हूं मैं।"
दिया ने मुंह बनाते हुए कहा, "जिया की बच्ची, तु एक बार हाथ तो आ, तेरी टांगे न तोड़ दूं तो मेरा नाम भी दिया नहीं।"
उस औरत की पूजा खत्म हुई तो उसने उन दोनों को देख कहा, "दिया, जिया, तुम दोनों बच्ची नही रही। क्यों बच्चों की तरह एक दूसरे के पीछे लगी हुई हो?"
भागती हुई दिया वहीं रुक गई और हांफते हुए बोली, "छोटी मम्मा, इस बदमाश को समझाओ, सुबह-सुबह मेरी ब्यूटी स्लीप खराब कर दी और मेरे डाइट चार्ट को समोसा–चटनी खिलाकर आई है।"
आरती जी, जो कि जिया की मां थी, वो जिया के पास जाकर उसके कान खींच कर कहती हैं, "शैतान, तू कब बड़ी होगी? रोज अपनी बहन को तंग करती है। शादी के बाद क्या होगा तेरा?"
"मम्मा, मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है शादी–वादी में। मुझे तो हमेशा आपके साथ ही रहना है। आप दिया की ही करवा दो, वैसे भी वो बड़ी है मुझसे।" इतना कहकर जिया अपनी मां को देख मुस्कुराने लगती है।
वहीं दिया ये बात सुन किसी सोच में पड़ गई।
जिया, दिया को एक जगह खड़ा देख, वहां से जाने का सोच ही रही थी। तभी उसका ध्यान उसकी बहन की आंखों पर गया जो शायद किसी वजह से नम हो रही थी।
इससे पहले कि जिया कुछ सोचती या समझती, तब तक दिया भाग कर अंदर चली गई। वहीं आरती, दिया को इस तरह भागता देख दंग रह गई।
आरती ने कुछ गलत होने की आशंका से जिया की तरफ देखा। जैसे उससे दिया के बारे में पूछ रही हो। पर जिया ने ना में सर हिला दिया क्योंकि वो दिया के अचानक जाने के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी।
कुछ देर बाद,
एक लड़की ने अपने मुंह पर स्कार्फ बांधा हुआ था और वो किसी लड़के के सामने खड़ी उसे गले लगाने की कोशिश कर रही थी। तभी लड़के ने लड़की को दूर हटाते हुए कहा, "ये गलत है। हम साथ नहीं रह सकते। हमें एक दूसरे से दूर रहना होगा।"
लड़की ने धीमे और रुंदे स्वर में कहा, "विधु, प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैं तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह पाऊंगी।"
विधु, या कहें तो विधान खुराना, एक बहुत अमीर परिवार का बेटा और खुराना कंस्ट्रक्शन का वारिस था। विधान के सामने खड़ी लड़की उससे बहुत प्यार करती थी। वहीं विधान को भी लड़कियों का अटेंशन पसंद था तो उसने कभी भी लड़कियों को झूठी उम्मीद बांधने से रोका नहीं था।
विधान ने एक तिरछी मुस्कान दी और लड़की को अपने पास खींचते हुए कहा, "मैं भी तुमसे दूर नहीं होना चाहता, पर क्या करूं? मेरे पापा जल्दी ही मेरी शादी कराना चाहते हैं और मैं पापा को निराश नहीं कर सकता।"
लड़की थोड़ी उदास हो गई पर उसने खुद को संभालते हुए जल्दी से विधान की तरफ देख कर कहा, "तो चलो ना, हम मिलकर तुम्हारे पापा से बात करते हैं। मैं उन्हें हमारी शादी के लिए मना ही लूंगी।"
लड़की की बात सुनते ही विधान का चेहरा खिल गया था। विधान ने लड़की को देख कहा, "पापा से मैं बात कर लूंगा, पर इससे पहले तुम्हें एक काम करना होगा।"
लड़की ने असमंजस में विधान से पूछा, "काम? कैसा काम?"
तभी विधान ने लड़की के कान में कुछ कहा जिसे सुन वो लड़की चौंकते हुए विधान को देखने लगी।
क्रमशः
कौन है वीरेन मेहरा और क्यों कॉलेज जाने के नाम से वो इतना खुश हो गया ?
किस वजह से दिया की आंखों में आसूं थे ?
कौन है विधान के साथ वाली लड़की ?
और विधान ने ऐसा क्या कहा जिस से लड़की चौंक गई?
ये सब जानिए आगे की कहानी में
Thank You ❤️