Baby Switching in Hospital in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | जब अस्पताल में बच्चा बदल गया

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जब अस्पताल में बच्चा बदल गया

                      जब अस्पताल  बच्चा में बदल गया 


वह एक अँधेरी रात थी  . बिजली  की डरावनी चमक , गड़गड़हट और बादलों के गरजने के बीच शहर के सिटी हॉस्पिटल के पोर्टिको में दो गाड़ियां आयीं  . एक एम्बुलेंस था और दूसरा एक ऑटो रिक्शा  . एम्बुलेंस से एक आदमी व्हीलचेयर ले कर उतरा  . फिर वह एंबुलेंस  के अंदर गया और एक गर्भवती औरत को  सहारा देते हुए नीचे उतरा  .  वह औरत के साथ इमरजेंसी में गया  .  ठीक उसी समय ऑटो रिक्शा से भी एक आदमी उतरा  . वह अस्पताल के बरामदे में पड़ा एक व्हीलचेयर ले कर आया  . व्हीलचेयर पर औरत को बिठा कर वह भी इमरजेंसी में गया  . 


इमरजेंसी पर तैनात डॉक्टर ने दोनों औरतों से बात कर   वहां मौजूद नर्स से कहा “ इन दोनों लेडीज को तत्काल लेबर रूम में भेजो  . इनकी डिलीवरी करानी होगी जल्दी  . “ 


एम्बुलेंस से आने वाली महिला मिसेज जॉन थी  .  कुछ देर बाद लेबर रूम की नर्स ने कहा “ मिसेज जॉन के साथ कौन हैं ? “ 


एक आदमी आगे बढ़ा “ उनके साथ मैं हूँ  . “     


“ वेल , मिस्टर जॉन आप इस पेपर पर  साइन  करें , अंदर आपकी  वाइफ  डिलीवरी के लिए तैयार हैं  . “ 


जॉन ने वह पेपर साइन कर नर्स को  लौटा दिया  . उसी समय एक दूसरी नर्स ने आ कर कहा  “ मिसेज शर्मा के  साथ कौन हैं ? “ 


दूसरा आदमी आगे आ कर बोला  “  मैं हूँ  . “


“ मिस्टर शर्मा  , आपको इस पेपर पर साइन करना होगा  . “ 


नर्स शर्मा  का साइन किया पेपर ले कर लेबर रूम में गयी  . एक घंटा भी नहीं हुआ होगा कि एक नर्स ने बाहर आ कर कहा “ मिस्टर जॉन कौन हैं ? “ 


“ मैं हूँ  . “  आगे आ कर जॉन ने कहा 


“ कॉन्ग्रैचुलेशन्स सर ,  आप दो बच्चों के  पिता  बन गए हैं  . आपको एक बेटा और एक बेटी हुई है  . “ 


“ थैंक्स सिस्टर  .मेरे दोनों बच्चे ठीक हैं न  ? और मेरी वाइफ ?  “  जॉन ने पूछा     


“ आपके  दोनों बच्चे और वाइफ  सभी अच्छे हैं  . नो वरी  . “   बोलते हुए नर्स वापस चली गयी 


“ थैंक्स अगेन सिस्टर  . “     नर्स ने जॉन की आवाज सुनी भी नहीं होगी  और वह लेबर रूम में चली गयी  . 


इस घटना के कुछ  मिनट के बाद  एक दूसरी नर्स ने लेबर रूम से बाहर आ कर पूछा “ मिस्टर शर्मा कौन हैं ? “


“ मैं हूँ सिस्टर   . “  शर्मा ने कुर्सी से उठते हुए कहा 


“  मिस्टर शर्मा , बधाई हो   . आपकी पत्नी ने  दो बच्चों को जन्म दिया है   . उन्होंने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया है   . “


   “ थैंक्स सिस्टर   . मेरी पत्नी और बच्चे कैसे हैं ? “ 


“ तीनों ठीक हैं , मिस्टर शर्मा   . आज गॉड बहुत मेहरबान है   . एक ही रात में में  दो ट्विन बच्चों ने जन्म लिया है   .  “  

 यह बोल कर नर्स वापस लेबर रूम में चली गयी   . जॉन और शर्मा दोनों लॉबी में कुर्सी पर जा बैठे  . 


कुछ देर बाद लेडी डॉक्टर भी बाहर आयी  . उसने दोनों को देख कर  कहा  “ कॉंग्रेचुलेशन्स बोथ ऑफ़ यू मिस्टर जॉन एंड मिस्टर शर्मा  . आप दोनों को ट्विन्स हुए हैं  . “ 


“ मदर एंड बेबी सभी ठीक हैं न , डॉक्टर ? “ दोनों ने पूछा 


“ हंड्रेड परसेंट परफेक्ट  .  डोंट वरी  . सबसे अच्छी बात यह है कि दोनों लेडीज की डिलीवरी नार्मल डिलीवरी थी  . दोनों लेडीज और दोनों ट्विन्स बिल्कुल स्वस्थ  हैं  .” 


“ थैंक्स डॉक्टर  . “ शर्मा और जॉन ने एक साथ कहा 


“ यह मात्र संयोग है कि आप दोनों को एक ही दिन लगभग एक ही समय ट्विन्स हुए हैं , और वह भी दोनों को एक एक  सन एंड एक एक डॉटर  . या फिर प्रभु की मंशा कुछ और हो ? खैर ,   हम उन्हें 24 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखेंगे और कल डिस्चार्ज कर देंगे  . यही हमारा प्रोटोकॉल  है  . “ 


चौबीस घंटे बाद मिसेज जॉन और मिसेज शर्मा दोनों अपने ट्विन्स के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज हुईं और अपने अपने घर पहुंचीं  .  जॉन नॉर्थ ईस्ट प्रांत का  रहने वाला  था  और सेंट्रल गवर्नमेंट में गजटेड अफसर था   . वह  ईसाई धर्म  को मानने वाला था  . दूसरी तरफ शर्मा  लोकल ब्राह्मण  परिवार से था और वह राज्य सरकार में  फ़ूड कंट्रोल  इंस्पेक्टर था और वह मिडिल क्लास फैमिली से था  . शर्मा और जॉन दोनों के घर में ख़ुशी का माहौल था  .  दोनों  अपनी अपनी हैसियत के अनुसार अपने  निकट संबंधियों और दोस्तों के साथ जन्मोत्सव मना रहे  थे  . शर्मा और जॉन अपने अपने घरों में कहते “ हमारा परिवार अब पूरा हो गया  . गॉड ब्लेस्ड  अस विथ अ सन एंड अ डॉटर  . अब हम फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन करा सकते हैं  . “


 जॉन परिवार ने बच्चों का नामकरण किया , बेटे का नाम आरोन जॉन और बेटी का नाम क्रिस्टीना जॉन रखा गया  . दूसरी तरफ शर्मा परिवार ने लड़के का नाम मोहन रखा और लड़की का मीरा  . 


अभी दो सप्ताह ही हुए थे कि एक दिन शर्मा की माँ ने बहू से कहा “ बहू मोहन तो हमारे परिवार का बच्चा लगता  ही नहीं है  . पहाड़ियों जैसी इसकी नाक  चपटी है और आँखें छोटी , अधखुली सी लगती हैं  . “


शर्मा भी वहीँ था , माँ से बोला “ क्या बोलती हो माँ ? . मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लगता है   . “ 


लगभग दो साल बाद मिसेज शर्मा ने पति से कहा “ मां जी की बात याद आती है तब  रह रह कर  मुझे भी शक होता है कि क्या सही में मोहन हमारा बेटा है या नहीं  . कहीं अस्पताल में गलती से  बच्चा बदल तो नहीं गया है  . यह बात मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि लगभग मेरी डिलीवरी  के समय ही एक नार्थ ईस्ट की औरत ने भी ट्विन्स को जन्म दिया था  . कहीं अस्पताल से अनजाने में कोई भूल तो नहीं हुई या क्या पता जानबूझ कर ही हुई हो  . “


“ क्या बकती  हो ? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है ? . देखो तुम्हारा बच्चा तुमसे कितना प्यार से लिपटा हुआ है  . 


“  एक बार अस्पताल से या जॉन से पूछ कर तो देखिये  . मन की शंका दूर हो जाये तो क्या बुरा है ? “


“ ठीक है , तुम इतना कहती हो तो जॉन से बात कर के देखता हूँ , कहीं उनके घर  में भी ऐसी कोई बात तो नहीं है  . “ शर्मा ने कहा 


कुछ दिनों के बाद शर्मा ने जॉन के ऑफिस  में फोन  कर के कहा “ क्या मैं मिस्टर जॉन से बात कर सकता हूँ ? “ 


“ मिस्टर जॉन ने अपना ट्रांसफर नार्थ ईस्ट में करा लिया है  . “   जवाब मिला 


“ क्या उनका फोन नंबर मुझे मिल सकता है ? उनसे बहुत जरूरी बात करनी है  . “ 


“ श्योर , नोट कीजिए  .”


शर्मा ने नंबर नोट कर तुरंत जॉन से फोन पर कहा “ हेलो जॉन साहब , कैसे हैं आप लोग ? और आपके दोनों बच्चे ? “ 


“ हम लोग ठीक हैं  . वैसे मैंने अपना ट्रांसफर अपने स्टेट में करा लिया है  . और आपके ट्विन्स कैसे हैं  . वह  रात अजीब इतफ़ाक़ वाली रात थी  . हमदोनों को ट्विन्स हुए ऑलमोस्ट एक ही समय और वह भी दोनों को  एक लड़का और एक लड़की  .  “ 


“ यह तो अच्छी बात है  . आप अपने नेटिव होम स्टेट में हैं  . हमारे बच्चे भी ठीक हैं  . वैसे आपके बच्चे कैसे दिखते हैं , माँ -बाप पर ही गए होंगे ? “


“ बच्चे माँ - बाप जैसा ही दिखें यह जरूरी नहीं है  . कभी कभी उन पर दो या तीन जेनरेशन पीछे के जेनेटिक असर भी दिखते हैं जिसका हमें तनिक भी ज्ञान नहीं होता है  .  गॉड  ने जो भी दिया हम उस से खुश हैं और आप भी भगवान ने जो दिया है उस में खुश रहें  . “  जॉन बोला 


“आपने  बिल्कुल सही कहा है  .  अच्छा अब फोन रखता हूँ , बाय  . “  बोल कर शर्मा ने फोन काट दिया 


शर्मा ने अपनी पत्नी को सारी बातें बतायीं  . पर पत्नी इस से संतुष्ट नहीं हुई , उसने कहा “ एक बार अस्पताल से भी पूछ कर देखते हैं  . “ 


“   मैं इस लफड़े में और नहीं पड़ना चाहता हूँ  . तुम चाहो तो खुद जा कर अस्पताल से बात कर लो  . “


कुछ दिनों के बाद मिसेज शर्मा ने अस्पताल जा कर अपनी चिंता बताई और अस्पताल को अपने रिकॉर्ड चेक करने को कहा  . जवाब मिला “ आप नाहक शंका कर रही हैं  . 30 वर्षों से हमलोग यही काम करते आये हैं  . इस तरह की गलती की हमारे यहाँ कोई गुंजाइश नहीं है  . आप हम पर भरोसा करें और अपने मन की शंका दूर करें  . “ 


उस समय मिसेज शर्मा घर लौट आयी  . पर जैसे जैसे मोहन बड़ा होता गया वैसे वैसे उनके मन का संदेह भी बढ़ता गया . हालांकि शर्मा दंपति भी गोरे थे पर मोहन का गोरापन अलग था पीलापन लिए अत्यधिक गोरा और ऊपर से नाक चपटी और आँखें छोटी  . उनके बच्चों की उम्र अब दस साल के करीब थी . 


 पत्नी की जिद के चलते मोहन का ब्लड टेस्ट हुआ . मोहन का ब्लड ग्रुप शर्मा और उसकी पत्नी दोनों में में किसी से भी मैच नहीं कर रहा था . तब वकील और डॉक्टर से सलाह लेने के बाद शर्मा ने पत्नी , मोहन और मीरा और स्वयं का DNA टेस्ट कराया . कुछ दिनों बाद DNA टेस्ट का रिजल्ट आया . मीरा के जेनेटिक तो अपने माता पिता से मैच करते थे पर मोहन का DNA  बिल्कुल मैच नहीं कर रहा था  . यह देख कर मिसेज शर्मा पति से बोली “ मैं तो शुरू से ही कह रही थी कि मोहन हमारा बेटा नहीं लगता है  . अब क्या तुम्हें और कोई सबूत चाहिए ? “  


“ अच्छा फिलहाल चुप रहो  . कहीं मोहन सुन न ले  . “ 


“ अभी भी देर नहीं है  . मुझे लगता है कि  मोहन नार्थ ईस्ट वाले जॉन का ही बेटा है  . अस्पताल वालों ने जाने अनजाने हमारा बेटा बदल दिया है  . “ 


“ अभी चुप रहो   . मैं वकील से बात कर के देखता हूँ क्या किया जा सकता है  . “ 


“ मुझे अपना बेटा चाहिए  . इतने दिनों से मैं ईसाई के बच्चे को अपना समझ कर ब्राह्मण के संस्कार दे रही थी  और मेरा बेटा ईसाई परिवार में पल रहा है  . “ 


शर्मा ने अपने वकील से बात किया  . वकील ने कोर्ट में केस करने की सलाह दी  . शर्मा दंपत्ति ने कोर्ट में केस किया  . कोर्ट ने जॉन को अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कोर्ट में हाज़िर होने का नोटिस भेजा   . कोर्ट का समन मिलने पर जॉन दंपति  और शर्मा दंपति अपने अपने बच्चों के साथ कोर्ट में पेश हुए  . कोर्ट ने शर्मा की तरफ से दिए गए DNA टेस्ट रिपोर्ट को देखते हुए जॉन के बच्चों के भी DNA टेस्ट कराने का आदेश दिया  . 


कुछ दिनों बाद DNA टेस्ट का  रिजल्ट मिलने पर पुनः दोनों परिवारों को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए बुलाया  . जॉन की बेटी क्रिस्टीना  के DNA अपने माता पिता से मैच करते थे पर उनके बेटे का DNA जॉन से न मैच कर शर्मा से मैच करता था  . 


तब कोर्ट ने अस्पताल को नोटिस भेज कर इस विषय पर स्पष्टीकरण मांगा   .  अस्पताल ने एक उच्च स्तरीय जाँच कमिटी बैठाई  . जिस रात जॉन और शर्मा दंपति  को ट्विन्स हुए थे उस रात होने वाले  सभी प्रसव की जाँच की गयी  .  सघन  जाँच के बाद अस्पताल ने माना कि ड्यूटी पर मौजूद एक नर्स ने  दोनों के बेटों को तैयार किया था  जबकि उनकी बेटियों को दूसरी नर्स ने तैयार किया था , तैयारी के बाद दूसरी नर्स ने दोनों को सही क्रिब  में रखा था पर पहली  नर्स की गलती से दोनों के बेटों के क्रिब बदल गए  . 


कोर्ट का मानना था हालांकि  अब बच्चे 12 साल के हो चुके हैं फिर भी वे चाहें तो अपने बायोलॉजिकल पेरेंट्स के साथ रह  सकते हैं  . पर  मोहन या आरोन दोनों में से कोई भी अपने तत्कालीन पेरेंट्स से अलग  हो अपने बायोलॉजिकल पेरेंट्स के पास जाने को तैयार नहीं था  . 


कोर्ट ने अपने फैसले में कहा “ बच्चों पर जबरदस्ती करना ठीक नहीं है  . अभी वे अपना भला बुरा सोचने की स्थिति में नहीं हैं  . इसलिए फ़िलहाल स्टेटस को ( यथासस्थिति ) रहने दिया जाय  . जब दोनों बच्चे 18 वर्ष के हो जायेंगे तब उन्हें कोर्ट में पुनः हाज़िर होकर अपना निर्णय लेने का हक़ होगा  . उस समय उनकी इच्छा सर्वोपरि होगी जो कानूनन मान्य होगा  . “ 


जॉन और शर्मा परिवार पुनः अपने तत्कालीन बच्चों के साथ रहने लगे  .  कुछ वर्षों  के बाद जब दोनों परिवारों के  बच्चे 18 वर्ष के हो गए कोर्ट ने समन भेज कर उन्हें  पुनः बुलाया  . कोर्ट ने मोहन और आरोन से अलग अलग बात कर यह सुनिश्चित करना चाहा कि अब वे वयस्क हैं  और अपना स्वतंत्र निर्णय स्वयं ले सकते हैं  .  इसलिए वे बताएं कि अब वे अपने तत्कालीन पेरेंट्स के साथ रहना चाहते हैं या अपने बायोलॉजिकल पेरेंट्स के साथ  . दोनों बच्चों ने तत्काल कहा “ हम अपने वर्तमान माता पिता के साथ रहना चाहते हैं जिनके पालन पोषण और संरक्षण में हम बड़े हुए हैं  . “  


बच्चों की राय जानने के बाद  कोर्ट ने शर्मा परिवार की याचिका ख़ारिज करते हुए कहा “ मोहन और आरोन दोनों ने अपने अपने वर्तमान माता पिता के साथ ही रहने का फैसला किया है  . यही व्यावहारिक भी है और कानूनन मान्य भी  . उन पर कोई जोर जबरदस्ती करना जुर्म होगा  . इसलिए कोर्ट का भी यही फैसला है  . “ 


जॉन परिवार फैसले  से खुश था पर मिसेज शर्मा मन ही मन दुखी थी  . उसने कहा “ हम अस्पताल पर मुकदमा दायर कर मुआवजा का दावा करेंगे  . “


मिसेज जॉन ने हँसते हुए कहा “ उस से क्या होगा ? आपको कुछ रुपये जरूर मिल जायेंगे पर आपका बेटा हमारा बेटा और हमारा बेटा आपका ही रहेगा  . “ 


जॉन ने कहा “ आप अस्पताल से लड़ते रहें , हमें कोई आपत्ति नहीं है  . पर बेहतर यही होगा कि दोनों परिवार बीच बीच में मिलते जुलते रहें और आपस में मधुर संबंध बनाये रखें  . इस तरह दोनों बच्चे अपने नेचुरल पेरेंट्स के भी संपर्क में रहेंगे  “


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नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .