D J Chapter 3 - The Final Chapter in Hindi Love Stories by Writer Digvijay Thakor books and stories PDF | D J Chapter 3 (अंतिम अध्याय)

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D J Chapter 3 (अंतिम अध्याय)


D J Chapter 3: “ अंतिम अध्याय ”

छह साल बाद: विजय की विरासत :

साल 2026 तक, विजय अब DJ के नाम से जाना जाता था। उसका नाम अब सिर्फ राजनीति में नहीं, बल्कि समाज में बदलाव के एक प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध हो चुका था। उसने अपनी पुरानी छवि को एक नेता से लेकर एक क्रांतिकारी योद्धा के रूप में बदल लिया था। उसने न केवल सत्ता का नियंत्रण हासिल किया था, बल्कि उस सत्ता का इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए किया था। गरीबों के लिए अस्पताल, स्कूल और रोजगार के अवसर प्रदान करने की उसकी योजनाओं ने उसे जनता के दिलों में जगह दिलाई थी।

लेकिन विजय का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। राजनीति के गंदे खेल और माफियाओं से गठजोड़ ने उसकी छवि को कभी महान तो कभी विवादास्पद बना दिया। उसकी पूरी यात्रा में एक संघर्ष था—लोगों के विश्वास और विरोधी ताकतों से बचने का। वह जितनी बार सफल हुआ, उतनी ही बार उसे अपने दुश्मनों से सामना करना पड़ा।

विजय की सफलता ने एक नए प्रकार के दुश्मनों को जन्म दिया। पुराने राजनेता, माफिया के लोग, और वह लोग जो बदलाव से डरते थे, विजय के रास्ते में अड़चनें डालने लगे थे। लेकिन विजय ने हमेशा अपने आदर्शों और मूल्यों को सर्वोपरि रखा था। उसका मुख्य उद्देश्य समाज के हर व्यक्ति को एक बेहतर जीवन देना था।

विजय की नई नीति: शिक्षा क्रांति

विजय ने 2026 में शिक्षा को अपनी नई नीति का केंद्र बना दिया। वह जानता था कि शिक्षा ही एकमात्र हथियार है, जो किसी भी समाज में बदलाव ला सकता है। विजय का विश्वास था कि एक पढ़ा-लिखा समाज ही भ्रष्टाचार, भेदभाव, और सामाजिक असमानता को खत्म कर सकता है। इसके लिए उसने कई योजनाएं बनाई:

1. हर गांव में मुफ्त स्कूल और पुस्तकालय बनवाना - यह योजना गांव-गांव में शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए थी। विजय ने सुनिश्चित किया कि शिक्षा हर किसी तक पहुंचे, चाहे वह कितना भी गरीब क्यों न हो।


2. पढ़ाई के लिए मुफ्त लैपटॉप और इंटरनेट सेवा - शिक्षा के लिए तकनीकी संसाधन जरूरी थे। उसने हर छात्र को मुफ्त लैपटॉप और इंटरनेट सेवा प्रदान करने का फैसला लिया। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ और विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के अवसर मिले।


3. गरीब बच्चों के लिए छात्रवृत्ति - उसने उन बच्चों के लिए विशेष छात्रवृत्तियां भी प्रदान कीं, जिनके पास पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे।



विजय ने अपने इन कदमों से दिखा दिया था कि अगर समाज को बदलना है तो शिक्षा में निवेश करना पड़ेगा। लेकिन इन योजनाओं को लागू करने के लिए उसने स्थानीय माफियाओं से धन जुटाया था, जिससे उसकी नीतियां विवादास्पद हो गईं। उसे यह आरोप भी झेलने पड़े कि उसने गलत रास्ते से धन कमाया, लेकिन विजय का हमेशा यह कहना था, "मैं गलत तरीकों से धन लाता हूं, लेकिन वह पैसा समाज के कल्याण के लिए होता है, वह पैसा तुम्हारा है।"

नए दुश्मन का उदय: दिग्विजयसिंह और नरेंद्र का षड्यंत्र

विजय की बढ़ती लोकप्रियता से पुरानी पार्टियां और नेता उसकी सफलता से डरने लगे थे। दिग्विजयसिंह और नरेंद्र ने उसे हटाने के लिए एक नया षड्यंत्र रचा। उन्होंने विजय के माफिया नेटवर्क को तोड़ने के लिए एक खतरनाक योजना बनाई। दिग्विजयसिंह ने विजय के पुराने सहयोगी अर्जुन सिंगानी, वास्को, डेविड और राणा भाऊ को लालच और डर के जरिए अपने पक्ष में करने की कोशिश की।

वास्को, जो विजय के साथ रहते हुए बदल चुका था, ने इस षड्यंत्र में शामिल होने से मना कर दिया। उसने यह महसूस किया कि विजय ने समाज के लिए बहुत कुछ किया था और वह इस राह पर आगे भी बढ़ता रहेगा। लेकिन अर्जुन, डेविड, और राणा भाऊ ने अपने स्वार्थ के कारण दिग्विजयसिंह का साथ दिया। यह विजय के लिए बड़ा झटका था क्योंकि उसे अपने पुराने सहयोगियों से विश्वासघात हुआ था।

मीरा का संघर्ष

मीरा, जो विजय के साथ हमेशा खड़ी रही थी, ने यह देखा कि अब माफिया नेटवर्क विजय के खिलाफ हो रहा था। उसने विजय से कहा: “विजय, ये लोग हमारे मिशन को खत्म कर देंगे। तुमने उन्हें मौका दिया, लेकिन अब वे तुम्हारे खिलाफ हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने तुम्हारे साथ मिलकर काम किया था, लेकिन अब वे तुम्हारी सफलता से जल रहे हैं।”

विजय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मीरा, अगर ये लोग बदल सकते हैं, तो ये फिर से गलत रास्ते पर भी जा सकते हैं। लेकिन मेरा काम सही रास्ता दिखाना है। अगर मैं हारूंगा, तो भी मेरे विचार जीतेंगे। ये विचार कभी मरने नहीं चाहिए, क्योंकि यह विचार एक आंदोलन बन चुके हैं।”

दिग्विजयसिंह की चाल

दिग्विजयसिंह ने विजय के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र रचा। उसने विजय की योजनाओं में भ्रष्टाचार के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए और मीडिया को अपने पक्ष में कर लिया। उसके बाद, हर न्यूज चैनल ने विजय को भ्रष्ट नेता के रूप में दिखाना शुरू कर दिया। माफिया नेटवर्क के सहयोग से तैयार किए गए इन दस्तावेजों ने विजय की छवि को खंडित किया, लेकिन जनता ने विजय पर विश्वास बनाए रखा।

विजय के समर्थकों का मानना था कि विजय का इरादा कभी गलत नहीं था। विजय ने हमेशा अपने आदर्शों को प्राथमिकता दी और लोगों के हित में काम किया। उसकी बातों से लोग प्रेरित होते थे और उसे नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी के रूप में देखते थे।

राजनीति का सबसे बड़ा हमला

2027 में विजय के खिलाफ एक बड़ा हमला हुआ। दिग्विजयसिंह और नरेंद्र ने उसे समाप्त करने के लिए एक बम धमाका करवाया। एक रैली के दौरान बम ब्लास्ट हुआ, जिसमें कई लोग घायल हुए। विजय को गंभीर चोटें आईं, लेकिन उसने अस्पताल जाने से पहले रैली में मौजूद लोगों से कहा: “तुम्हारे नेता डर गए हैं। वे जानते हैं कि उनकी हार नजदीक है। लेकिन याद रखना, यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है, जो इस देश को बदलना चाहता है।”

विजय की ये बातें उसकी दृढ़ता और साहस को दर्शाती थीं। उसके शरीर पर घाव थे, लेकिन उसकी आत्मा अडिग थी। उसने अपना संघर्ष जारी रखा और जनता को यह संदेश दिया कि हर कोई बदलाव के लिए अपनी भूमिका निभा सकता है, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।

शिवा की योजना: विजय की सुरक्षा

शिवा, जो विजय का सबसे विश्वासपात्र साथी था, ने उसकी सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए। उसने एक गुप्त सुरक्षा दल का गठन किया और माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। अर्जुन सिंगानी और डेविड को विजय से गद्दारी करने के लिए माफ नहीं किया गया। शिवा ने उनके अवैध संपत्तियों को उजागर किया और उन्हें कानून के सामने लाया।

विजय का अंतिम भाषण

2028 में, विजय ने एक विशाल रैली में अपना अंतिम भाषण दिया। उसकी आवाज में दृढ़ता और साहस था, और उसकी बातों ने हर किसी को छुआ: “मैंने अपने जीवन में कई गलतियां कीं। मैंने माफियाओं से हाथ मिलाया, सिस्टम के खिलाफ सिस्टम से ही लड़ा। लेकिन मेरी नीयत हमेशा साफ थी। अगर मुझे मरना भी पड़े, तो मैं चाहता हूं कि तुम सभी मेरी सोच को जिंदा रखो। क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ विजय की नहीं है, यह हर उस इंसान की है, जो बदलाव चाहता है।”

विजय का बलिदान

कुछ ही दिनों बाद, विजय पर फिर से हमला हुआ। इस बार वह बच नहीं पाया। उसकी मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। लोग सड़कों पर उतर आए और उसकी याद में प्रदर्शन किए। विजय की मृत्यु ने उसे अमर बना दिया। लोग उसकी कहानियां और आदर्शों को अपनाने लगे।

एक बार फिर से किस्मतने तक़दीर बदली

जिस दिन विजय की मौत हुई थी उसी दिन मीराने एक बच्चे को जन्म दिया और मीराने उस बच्चे का नाम दिग्विजय रखा दिग्विजय मीरा और विजय के प्यार की निसानी थी इस लिए दिग्विजय मीरा के लिए उसकी दुनिया था ।

विजय की विरासत

मीरा और शिवा ने विजय के सपनों को पूरा करने का जिम्मा उठाया। विजय के नाम पर "D J मिशन फाउंडेशन" की शुरुआत की गई, जो गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता था। लोग उसकी प्रेरणा से आगे बढ़े और विजय के विचारों को फैलाया।

जनता ने विजय को कभी नहीं भुलाया। वह उनके दिलों में हमेशा जीवित रहा। उसकी कहानी ने यह साबित कर दिया कि किसी भी आंदोलन की सफलता में नायक के बलिदान का एक अहम स्थान होता है। विजय का जीवन और उसका संघर्ष हमेशा के लिए अमर हो गया।

संदेश

“अगर व्यवस्था गलत है, तो उसे सुधारने के लिए हर हद तक जाना पड़ता है। लेकिन हर लड़ाई के बाद एक नया सूरज जरूर निकलता है।”


Writer
Digvijay Thakor