The story of a fairy... in Hindi Short Stories by ArUu books and stories PDF | कहानी एक परी की...

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कहानी एक परी की...

कुछ दोस्त कम वक्त के लिए मिलकर भी खास बन जाते है और जिंदगी में एक प्यारी सी याद बन कर रह जाते है।
बात कुछ 4-5 साल पहले की है...जब मेरा B.ed में एडमिशन हुआ। वहा सब लोग नए थे मेरे लिए ...हां कुछ लोग जान पहचान के थे पर मेरी क्लास में सारे ही लोग मेरे लिए नए थे ।
मुझे क्लास में रेगुलर जाते हुए 4_5 दिन हुए थे...एक तो अपने BSC वाली फ्रेंड्स को बहुत मिस किया करती थी तो BSC में कॉलेज इतना बंक मारने के बाद b.ed में रोज़ जाने का जी ही नहीं चाहता था। 
एक दिन यूंही पुरानी यादों की उड़ेदबुन में थी कि मैंने उसे पहली बार देखा।पहली मुलाकात कुछ खास याद नहीं पर वो कुछ संकुचाई सी मासूम सी लड़की लगी ...हां पहले दिन की एक फोटो मेरे पास आज भी पड़ी है जब में उसे जानती भी नहीं थी बस थोड़ी सी बातचीत हुई थी। धीरे धीरे हमारी बाते बढ़ने लगी...हम दोनों क्लास में भी पास बैठते ओर क्लास बंक भी साथ करते...ऐसे ही लगभग 20_25 दिन बीत गए ।एक दिन यूंही हम क्लास मैं बैठे थे हमने एक दूसरे को अपने खूब सारे राज तब तक बता दिए थे अचानक वो मुझसे हाथ आगे बढ़ा कर बोली फ्रेंड्स...वो मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही थी मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत हंसी आई... मैं खूब हँसी उसकी इस बात पर लेकिन वो मुझे मासूम सी नजरों से देख रही थी...मैं कहा पागल जब हम इतने टाइम से साथ है साथ घूम रहे साथ खाना खा रहे दिन भर इतनी बाते करते है मस्ती करते है और तू अब जा कर बोल रही फ्रेंड्स...तो जब हम अब फ्रेंड बनेंगे तो इतने दिन क्या था ...इस बात पर वो भी खूब हँसी और बोली अब अपन पक्के दोस्त है ना...।।। वो टाइम बहुत अच्छा था...में दिन भर की परेशानियां उसे बता देती वो हमेशा मेरी बाते सुनती मुझे समझती।हम पूरे दिन साथ रहते बाते करते मौज मस्ती करते घर से अच्छा खाना बना के खूब टिफिन भर के लाते और क्लास रूम में टीचर से छूप कर खाते... लंच तक आधा टिफिन चट कर जाते।
इस वक्त तक उसकी सगाई हो चुकी थी। जब मुझे बताया तो मैने उससे पूछा कि तू बात नहीं करती क्या...अपने होने वाले पतिदेव से
वो बोली कि नहीं यार शादी से पहले बात करना अच्छी बात नहीं है।
मुझे उस वक्त वो कुछ पागल सी लगी
कोई लड़की इतनी पागल कैसे हो सकती है कि वो अपने जीवनसाथी से भी शादी से पहले बात करना उचित न समझे।
मेरे बहुत जोर देने ओर समझाने पर की भई जान तो ले लड़का है कैसा...बिना जाने समझे कैसी शादी ?उसने अपनी तरफ से एक मैसेज उस नंबर पर डाला जो उसके पास पहले से था पर वो बात नहीं करती थी। अब दिक्कत ये कि उसे डर था कि वो घर वाले देख लेंगे मम्मी का खौफ तो उसे था ही तो फिर वो टेंशन में आ गई। तब मैंने उसे सजेस्ट किया कि माही नाम से नंबर सेव कर ले...बस तब से लेकर शादी के बाद भी वो अपने पतिदेव को माही जी कहकर ही बुलाती थी।
वो मुझे अपने जैसी सीधी बनाना चाहती थी और मैं उसे अपने जैसी खुराफाती । वक्त बीत बीतता गया दो साल पूरे हुए हंसी खुशी और एक मजबूत रिश्ते दोस्ती के साथ b.ed पूरी हुई ।हमारी b.ed complete होने के साथ ही मेरी जॉब लग गई और उसकी शादी हो गई।बावजूद उसके वो हमेशा मुझे फोन करती। हमारी बाते होती वो मुझे खूब ताने देती की जॉब के बाद तू बदल गई है...मुझे फोन नहीं करती मैं हमेशा अकड़ से कहती तू है न फोन करने को तो मुझे जरूरत ही नहीं पड़ती और वैसे भी मैं तो हमेशा फ्री हूं तू भाई शादी ससुराल वाली जब वक्त मिले कर लिया कर फोन वो हंस दिया करती। वो मुझसे हमेशा हक से बात किया करती जैसे मुझ पर उसका सबसे ज्यादा हक हो...कहती अगली बार तू फोन करेगी मुझे ...मैं नहीं करूंगी तुझे इस बार और मैं तेरे फोन का wait करूंगी।
एक राजनीतिक चेहरा था जिसे वो बहुत ज्यादा पसंद करती थी इतना ज्यादा की उसका फोन का वॉलपेपर भी वोही शख्स था पर में उसके खिलाफ...उसे बिल्कुल नापसंद करने वाली। हमारी अक्सर बहस इस बात पर हो जाती पर न वो मेरे रंग में कभी रंग पाई और न मै कभी उसकी पसंद को पसंद कर पाई ...हमारी राजनैतिक सोच कभी मिली नहीं बावजूद इसके हम हमेशा अच्छे दोस्त रहे...विचारों में अंतर कभी हमारे बीच की दोस्ती में दरार न ला पाया।
वो कभी मुझे खुद सा मासूम और सरल न बना पाई और मैं कभी उसको अपने जैसी खुराफाती चालाक न बना पाई ।मेरी ज्ञान भरी बाते उसके सरल मस्तिष्क में टिक ही नहीं पाती और उसकी सरलता भरी बाते मेरे चंचल हृदय में कभी समा न पाई।
पर फिर भी हमारा रिश्ता दुनिया की सब उम्मीदों से परे एक पवित्र बंधन था।
उसकी शादी की पार्टी बाकी थी तो मेरी जॉब की पर शर्त ये थी कि उसकी शादी पहले हुई तो वो पहले पार्टी देगी और फिर मैं अपनी जॉब की ।वो कहती की एक बार तुझे शादी की पार्टी दे दूं फिर देखना तुझसे कितना खर्चा करवाती हूं...पर हुआ यूं कि वापस कभी मिलना हुआ नहीं...जब वो पीहर होती तो में जॉब पर होती और जब मैं घर होती तो वो ससुराल होती और वो पार्टी भी अब जिंदगी भर के लिए पेंडिंग रह गई शायद जब ऊपर कभी मुलाकात होगी तब ये हिसाब भी पूरा कर लेंगे। उसको अब मैं फोन करना भी सिख गई थी जब कभी बस का wait करती या किसी काम में मन नहीं लगता तो मैं उसे फोन कर दिया करती वो बड़ा खुश हो जाया करती कहती की हां ऐसे फोन किया कर ग्रीन बटन तो तेरे फोन में भी है।
2nd लास्ट बार जब बात हुई तो वो बहुत खुश थी अपनी जिंदगी ओर आने वाले अच्छे दिनों के बारे में बता रही थी...दिन संघर्ष में बीत रहे थे पर वो आने वाले सुखद पलो में सब भूल जाना चाहती थी।
पर नियति क्रूर है... बहुत क्रूर 
जब आखिरी बार मेरी 17 दिसंबर को उससे बात हुई तो वो उम्मीदों से भरी थी उसकी जिंदगी में बहुत बड़ी खुशी आने वाली थी वो बोली डॉक्टर ने बोला है कुछ दिन सही से निकल जाए बस... मैने उससे कहा तेरे बाबू तो दिसंबर में ही होंगे और देखना मेरे बर्थडे पर ही होंगे और बिल्कुल मेरे जैसे होंगे नालायक तू दिन भर उनको संभालती संभालती थक जाएगी...वो खिलखिला कर हंसी और बोली चुप कर यार तेरे जैसे बदमाश बच्चे मै कैसे संभालूंगी .....कुछ बाते की फिर वो थक गई...कहने लगी मैं तुझसे बाद में बात करती हूं पर तू ये मत सोचना कि मैंने फोन किया और ये मुझसे बात ही नहीं कर रही...में किसी से बात नहीं कर पाती मेरी सांस फूलने लगती है और उसने वापस फोन करने का वादा कर फोन रख दिया
कुछ दिन बीत गए इस बात को...फिर एक ऐसी बदनसीब सी सुबह आई...जब किसी ने मुझे उसके जाने की खबर दी... मैं चाहती थी कि वो कोई गंदा सा मजाक हो। उन भावों को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है जो उस क्षण मेरे जेहन में थे। मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करूं कैसे पता करू किससे बात करूं क्योंकि मेरे पास उसके सिवा उसके किसी परिवारजन के नंबर नहीं थे।मुझे लगा था में जिंदगी भर इन्हीं नंबर पर फोन कर बात कर लिया करूंगी। मुझे कभी किसी और की जरूरत नहीं होगी उससे बात करने के लिए...पर पता नहीं था वक्त इतना बुरा सलूक भी कर सकता है।कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उसी नंबर पर फोन किया...कॉलरटोन वोही थी जो हमेशा से उसके फोन में लगी थी। दो रिंग गई पर दूसरी तरफ से किसी ने फोन नहीं उठाया...थरथराते कदमों से टहलते हुए दिल में ख्याल आया कि शायद ससुराल में है तो कही बिजी होगी ।
दिल में एक आस जगी...चित्त थोड़ा शांत हुआ मुझे यकीन था कि वो फोन उठाएगी और मुझसे कहेगी कि अच्छा अब याद आई तुझे मेरी...हां ऐसे किया जाता है फोन...जैसे आज किया न वैसे ही रोज फोन किया कर और मैं उसे बताऊंगी कि देख न यार किसी ने कितना गंदा मजाक किया है मेरे साथ..तू ठीक है न अब...पर उम्मीदों से परे दूसरी तरफ उसके माही जी की आवाज थी...जो मुझसे कह रही थी कि राधिका अब इस दुनिया में नहीं है💔