pahli mulakat in Hindi Love Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | पहली मुलाकात भाग 1

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पहली मुलाकात भाग 1

गाँव का नाम "सतरंगीपुर" था। सुबह का समय था, जब सूरज की पहली किरणें खेतों पर पड़ रही थीं। हवा में ताज़गी और मिट्टी की सौंधी खुशबू थी। गाँव की गलियां जाग चुकी थीं, और हर तरफ चहल-पहल थी।

इन्हीं गलियों में, 21 साल का लोकेश अपनी साइकिल पर बैठा दूध की बाल्टी लेकर जा रहा था। हल्की दाढ़ी, चौड़ा माथा, और आँखों में सपने लिए लोकेश पूरे गाँव का चहेता था। उसकी सादगी और मदद करने की आदत उसे सबका प्रिय बनाती थी।

दूसरी तरफ, 18 साल की मुस्कान, जो हाल ही में अपने मामा के घर शहर से गाँव आई थी, आँगन में बैठी आम के पत्तों से झाड़ू बना रही थी। उसका नाम उसकी मुस्कान पर एकदम सही बैठता था। बड़ी-बड़ी आँखें, लंबे घने बाल और चुलबुली हँसी – मुस्कान किसी कविता की तरह लगती थी।

उस सुबह कुछ अलग होने वाला था। मुस्कान पहली बार गाँव के तालाब पर पानी भरने जा रही थी। पीतल की गगरी हाथ में लिए, वह अपनी चप्पलों की आवाज़ से सन्नाटा तोड़ती हुई चल पड़ी।

लोकेश भी उसी रास्ते से दूध बेचने के लिए जा रहा था। जैसे ही वह मोड़ पर पहुँचा, मुस्कान अचानक सामने से आ गई। लोकेश ने अचानक साइकिल के ब्रेक लगाए और साइकिल थोड़ी झुक गई।

“अरे संभलकर नहीं चल सकते?” मुस्कान ने गुस्से में कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में हल्की शरारत भी थी।

लोकेश थोड़ा घबरा गया, फिर मुस्कुराते हुए बोला, “माफ़ कर दो, गलती मेरी थी। पहली बार इस रास्ते पर देखा तुम्हें। तुम नई हो क्या यहाँ?”

मुस्कान ने गगरी को थोड़ा सीधा किया और कहा, “हाँ, मैं मामा के घर आई हूँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तुम साइकिल मेरी तरफ घुमा दो।”

लोकेश को मुस्कान की यह मासूमियत और नटखट अंदाज अच्छा लगा। वह साइकिल सीधी करते हुए बोला, “ठीक है, अगली बार ध्यान रखूँगा। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?”

“मुस्कान,” उसने धीरे से कहा और आगे बढ़ गई।

लोकेश वहीं खड़ा रह गया, उसकी नजरें मुस्कान का पीछा कर रही थीं। उसे समझ नहीं आया कि क्यों, लेकिन पहली बार उसने किसी अजनबी से इतनी दिलचस्पी महसूस की।

उस दिन के बाद, लोकेश की आँखें मुस्कान को हर जगह ढूंढने लगीं। और मुस्कान भी तालाब पर जाते समय बार-बार पलटकर देखती थी, मानो उसे किसी का इंतज़ार हो।

क्या यह पहली मुलाकात उनके दिलों में एक नई कहानी लिखेगी? यह तो वक्त ही बताएगा। 

सतरंगीपुर का तालाब गाँव की रौनक था। सुबह और शाम, यहाँ लोगों का जमावड़ा होता था। बच्चे पानी में खेलते, औरतें कपड़े धोतीं, और बूढ़े लोग पेड़ों की छांव में बैठकर बातें करते। लेकिन आज का माहौल थोड़ा अलग था। लोकेश तालाब के पास खड़ा, मुस्कान को देख रहा था, जो पानी भर रही थी।

मुस्कान अपनी गगरी भरने में लगी थी, लेकिन उसे अहसास था कि कोई उसे देख रहा है। उसने कनखियों से इधर-उधर देखा, और फिर उसकी नजर लोकेश पर पड़ी। लोकेश तुरंत दूसरी तरफ देखने लगा, मानो वह वहाँ कुछ और देखने आया हो। मुस्कान की आँखों में हल्की सी मुस्कान आ गई, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

"तुम हर वक्त ऐसे ही घूरते रहते हो, या सिर्फ आज खास है?" मुस्कान ने पानी भरते हुए अचानक पूछा।

लोकेश चौंक गया। वह थोड़ा झेंपते हुए बोला, "न...नहीं, मैं तो बस... तालाब देख रहा था। बहुत साफ पानी है आज।"

"अच्छा? और वो पानी में मेरी परछाई?" मुस्कान ने शरारती अंदाज में पूछा।

लोकेश समझ गया कि मुस्कान उसे तंग कर रही है। उसने मुस्कुरा कर कहा, "अगर परछाई इतनी खूबसूरत हो, तो नजरें अपने आप खिंच जाती हैं।"

मुस्कान का चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने जल्दी से गगरी उठाई और चलने लगी। लेकिन चलते-चलते वह मुड़ी और बोली, "ज्यादा बातें मत बनाओ, समझे?"

उसकी इस नटखट हरकत ने लोकेश के दिल में कुछ और जगह बना ली। अब यह तय हो गया था कि वह हर सुबह तालाब आएगा, चाहे दूध बेचने का बहाना करना पड़े या कुछ और।

शाम का समय

शाम को मुस्कान अपनी मामी के साथ आँगन में बैठी थी। मामी ने उससे पूछा, "मुस्कान, आज तालाब पर सब ठीक था न? कोई परेशान तो नहीं कर रहा?"

मुस्कान थोड़ा हँसी और बोली, "परेशान करने वाला नहीं, मामी, पर किसी की नजरें ज़रूर पीछा करती हैं।"

मामी ने हँसते हुए कहा, "अरे, ये गाँव के लड़के हैं, बस ऐसे ही हैं। पर तुम संभलकर रहना।"

मुस्कान ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसके मन में लोकेश का चेहरा बार-बार आ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्यों हो रहा है।

रात का समय

लोकेश अपने घर के आँगन में चारपाई पर लेटा हुआ था। आसमान में तारे चमक रहे थे, लेकिन उसकी नजरें उनमें नहीं थीं। उसके दिमाग में सिर्फ मुस्कान का चेहरा घूम रहा था। वह सोच रहा था, "क्या मैं उसे पसंद करने लगा हूँ? या यह सिर्फ एक एहसास है?"

दूसरी तरफ, मुस्कान भी अपने कमरे में चुपचाप बैठी थी। वह सोच रही थी कि क्यों उसे लोकेश की बातें और उसकी मुस्कान याद आ रही है।

क्या यह मासूम सा एहसास प्यार में बदल जाएगा? या यह सिर्फ कुछ पल का आकर्षण है?