पात्रों का सेटअप
1. विजय : - मुख्य नायक, भ्रष्ट राजनीति और सिस्टम के खिलाफ अपनी अलग सोच और तरीकों से लड़ता है। उद्देश्य: जनता की सेवा, चाहे सही हो या गलत तरीके से।
2. विजय के समर्थक (जनता) : - विजय के कामों और सोच से प्रभावित लोग।
शिवा : - विजय का सबसे भरोसेमंद साथी, जो उसकी योजनाओं को लागू करने में मदद करता है।
मीरा : - एक सामाजिक कार्यकर्ता, जो विजय की सोच से प्रेरित होकर गरीबों के लिए काम करती है।
3. पुराने नेता/दुश्मन : - भ्रष्ट और लालची नेता, जो विजय की सफलता से चिढ़ते हैं। दिग्विजयसिंह: एक चालाक और शक्तिशाली नेता, जो विजय को राजनीति से हटाना चाहता है।
नरेन्द्र: एक डरपोक लेकिन खतरनाक नेता, जो विजय के खिलाफ षड्यंत्र रचता है।
4. लोकल माफिया : - विजय द्वारा अपनी योजनाओं में इस्तेमाल किए गए अपराधी।
• अर्जुन सिंगानी: एक डायमंड सप्लायर, जो अवैध कारोबार करता है।
• वास्को: एक तस्कर, जो लड़कियों का अवैध धंधा चलाता है।
• डेविड: एक स्मगलर, जो गैरकानूनी माल की हेरफेर करता है।
• राणा भाऊ: एक लोकल गैंग का सरगना, जो विजय का समर्थन करता है, लेकिन अपने फायदे के लिए।
5. गरीब और आम जनता : - विजय के प्रयासों से लाभान्वित लोग, जिनके लिए उसने स्कूल, अस्पताल, और अन्य सुविधाएं बनाई।
प्रमुख पात्र:
रोहन : - एक युवा छात्र, जो विजय द्वारा बनाए स्कूल से पढ़कर बड़ा नेता बनता है।
सरिता : - एक विधवा, जिसे विजय ने रोजगार दिलाकर आत्मनिर्भर बनाया।
6. बड़ा नेता : - विजय का मुख्य दुश्मन, जो अंततः उसकी हत्या करवाता है।
नरेन्द्र : - एक पुराना और प्रभावशाली नेता, जो विजय की ईमानदारी से खफा है।
जितेन्द्र : - नरेंद्र का खास आदमी, जो विजय के खिलाफ हमलों की साजिश रचता है।
“ कहानी की शरुआत ” :
[ १ जनवरी २०२० – यूपी बिहार ]
यूपी बिहार मे एक विजय नाम का लड़का रहता था , विजय एक सच्चे दिल वाला लड़का था। उसने रिया से अपनी पूरी जान से मोहब्बत की थी। उसके लिए रिया सबकुछ थी, और वह जानता था कि अगर वह रिया के बिना जीता तो उसका दिल हमेशा अधूरा रहेगा। एक दिन उसने अपने दिल की बात रिया से कहने का फैसला किया। उसने अपनी सारी हिम्मत जुटाई और रिया से कहा, “मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं। तुम मेरे लिए सबकुछ हो। तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है। I love you।“
रिया विजय की बातों से भावुक हो गई और उसकी आँखों में चमक आ गई। वह भी विजय से सच्चा प्यार करती थी। उसने विजय का प्रपोज़ल मुस्कुराते हुए स्वीकार किया। दोनों के दिलों में एक नई उम्मीद और खुशी का जन्म हुआ। वे एक-दूसरे के साथ जीने का सपना देखने लगे, जैसे उनका प्यार दुनिया की सबसे खूबसूरत बात हो।
लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था। जब रिया के परिवार को इस रिश्ते के बारे में पता चला, तो उन्होंने दोनों को अलग करने का ठान लिया। रिया की मां ने उसे समझाते हुए कहा, “रिया, हम तुम्हारी भलाई चाहते हैं। विजय के पास ना घर है, ना दौलत। वह तुम्हारी ज़िन्दगी को क्या दे पाएगा? पैसों के बिना कभी खुशी नहीं मिलती। तुम अपना भविष्य देखकर फैसला लो।“
रिया के दिल में बहुत जद्दो-झदद थी। वह नहीं जानती थी कि वह क्या करे। लेकिन उसकी फैमिली की बातें उसकी सोच पर भारी पड़ने लगीं। एक दिन, रिया के परिवार ने उसकी शादी के लिए करण को ढूंढ लिया। करण एक सफल और अमीर लड़का था, और रिया की फैमिली के लिए वह आदर्श दामाद था।
जब विजय और रिया का सामना हुआ, तो विजय ने टूटे हुए दिल से कहा, “रिया, तुमने मुझे छोड़ दिया... और वह भी एक पैसे वाले लड़के के लिए? क्या तुमने कभी यह सोचा कि हमारा प्यार कितना सच्चा था? क्या पैसा ही सबकुछ है? तुम क्या जानोगी, जब तुम खुश नहीं रहोगी?”
रिया की आँखों में आंसू थे, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को छिपाते हुए कहा, “विजय, तुमसे प्यार करना मेरी गलती नहीं थी। लेकिन मैं अपने परिवार के फैसले को नकार नहीं सकती। मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। हमारे रास्ते अब अलग हैं।“
विजय की बातों में गहरी निराशा और दर्द था, लेकिन उसने रिया से कहा, “देखना रिया, एक दिन मैं लौटूंगा। तब मेरे पास इतना पैसा और ताकत होगी कि मैं दुनिया को दिखा सकूंगा कि सच्चे प्यार की ताकत क्या होती है। तब तुम्हें अपने फैसले पर पछतावा होगा।“
रिया ने विजय की आँखों में गहरे सपने देखे, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। वह चुपचाप चली गई और विजय को अकेला छोड़ दिया।
...आगे की कहानी वक्त ने लिखनी थी।
( पांच साल बाद )
“ रिश्तों में नए बदलाव ”
रिया ने करण से शादी कर ली, और पांच साल बाद उनका एक बेटा हुआ। रिया अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गई थी, लेकिन उसके दिल के किसी कोने में विजय की यादें दबी हुई थीं। रिया का पति करण उसके बिजनेस में व्यस्त था , रिया की फैमिली रिया और करण को खुश देख के वो भी खुश थे मगर रिया खुश नही थी क्योंकि रिया को पता था की विजय वापस जरूर आयेगा और जब आयेगा तब सब कुछ खतम कर देगा।
“ विजय की एंट्री : एक नया मोड ”
एक दिन, रिया का बेटा टीवी पर कार्टून देख रहा था। अचानक टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ आई, जिसमें विजय की तस्वीर के साथ बताया जा रहा था, की "विजय सिंह, जो कभी गरीब और साधारण परिवार से थे, ने आज अपनी मेहनत और लगन से कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। विजय सिंह आज के सबसे कम उम्र के विधायक बने हैं।"
यह देखकर रिया का दिल धक से रह गया। विजय का नाम और उसकी उपलब्धियां सुनकर वह एकदम स्तब्ध रह गई। तभी रिया के पिता, मां और भाई भी कमरे में आ गए। वे भी टीवी पर चल रही खबर देखने लगे।
टीवी पर प्रेस कांफ्रेंस का सीधा प्रसारण हो रहा था। प्रेस ने विजय से पूछा,
"विजयसिंह, आप आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। आपको अपनी इस सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे?"
विजय ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया,
"मेरी इस कामयाबी का एक ही कारण है—मेरा धोखेबाज़ प्यार। जिसने मेरी गरीबी देखकर मुझे छोड़ दिया और किसी और के साथ शादी कर ली। उसी दर्द ने मुझे मजबूत बनाया और कुछ करने की प्रेरणा दी। आज मैं यहां इसलिए हूं, ताकि मैं यह साबित कर सकूं कि इंसान की काबिलियत पैसों से नहीं, बल्कि उसके हौसले से तय होती है।"
विजय के शब्दों ने रिया और उसकी फैमिली को झकझोर कर रख दिया। रिया के पिता, मां और भाई एक-दूसरे की तरफ देखते रह गए। वे अब समझ गए थे कि उन्होंने विजय को गलत समझा था।
रिया की आंखों से आंसू बहने लगे। उसे अपने फैसले पर गहरा पछतावा हुआ। वह सोचने लगी,
"अगर मैंने विजय का साथ दिया होता, तो आज मैं उसकी इस खुशी में शामिल होती। मैंने सिर्फ पैसे देखकर उसे छोड़ दिया, लेकिन उसने अपने हौसले से पूरी दुनिया बदल दी।"
रिया के दिल में दर्द और पछतावे का तूफान उमड़ रहा था। वह समझ चुकी थी कि सच्चा प्यार और सच्ची मेहनत कभी हार नहीं मानती। अब वह सिर्फ एक ही बात सोच रही थी—क्या वह कभी विजय से अपनी गलती के लिए माफी मांग पाएगी?
...लेकिन विजय अब आगे बढ़ चुका था। उसके लिए रिया सिर्फ एक अतीत का अध्याय बन चुकी थी।
“ राजनीति में विजय का असर ”
विजय अपनी जिंदगी में आगे निकल गया था राजनीति में आने के बाद विजय जानता था कि व्यवस्था अंदर से पूरी तरह भ्रष्ट है। उसने नेताओं की सोच को उन्हीं के तरीके से हराना शुरू किया। विजय मानता था कि जैसे जंगल का राजा शेर होता है, वैसे ही राजनीति का राजा वही बनता है जो सिस्टम के साथ खेलकर जनता का भला करे। विजयने राजनीति की सिस्टम को समझ कर एक अपनी हुकुमत चलाई इसमें विजयने
• उसने गली-गली में कैमरे लगवाए, लेकिन उनका पैसा स्थानीय माफिया से निकलवाया।
• उसने गरीबों के लिए स्कूल बनवाए, लेकिन उनकी फंडिंग काले धन से की।
• उसने अस्पताल बनवाए, लेकिन पैसा उन ठेकेदारों से लिया जो पहले भ्रष्ट काम करते थे।
विजय का काम सबको दिखा, और लोग उसके दीवाने हो गए।
अब विजय को समझ आने लगा था की राजनीति कैसे खेली जाती है इस लिए उसने माफिया गेंग के साथ हाथ मिला लिया और विजय उनके साथ भूरे काम करके जनता के लिए अच्छे काम करता था और यह सामने वाली पार्टी को पसंद नही था । विजयने जिस जिस माफीया गेंग से हाथ मिलाया था उन माफियाओ का नाम : - अर्जुन सिंगानी , वास्को , डेविड और राणा भाऊ इन चारो के साथ विजय ने गहरी दोस्ती करली थी और इन चार माफियाओं के उपर विजय का धब्बा लग गया इसके बाद विजय हर गैरकानूनी कामो में अर्जुन सिंगानी , वास्को , डेविड और राणा भाऊ साथ देते थे। फिर उनमे से जो भी पैसे आते उस पैसों से विजय जनता की सेवा करता था।
अर्जुन सिंगानी , वास्को , डेविड और राणा भाऊ की कहानी :
“ अर्जुन सिंगानी की कहानी ”
अर्जुन सिंगानी एक डायमंड सप्लायर था, जो अपने व्यापार की चमक-दमक के पीछे काले कारोबार छिपाए हुए था। वह विदेशों में अवैध हीरे बेचता था और इन पैसों से राजनीतिक और माफिया नेटवर्क को मजबूत करता था। लेकिन उसकी जिंदगी तब बदल गई जब विजय ने उसे अपने मिशन का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया।
विजय ने अर्जुन को समझाया, “तुम्हारा पैसा अगर किसी के खून बहाने में लग रहा है, तो उसे मिटाने का एक ही तरीका है – इसे किसी के जीवन को बेहतर बनाने में लगाओ।“
अर्जुन ने शुरुआत में विजय की बात मानने से इंकार किया। लेकिन विजय ने उसे कानून और उसकी कमजोरियों का डर दिखाकर इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वह अपने काले धन का इस्तेमाल गरीबों के स्कूल और अस्पताल बनाने में करे। अर्जुन को यह एहसास होने लगा कि उसके पैसे से किसी की जिंदगी संवर सकती है।
धीरे-धीरे अर्जुन ने खुद भी विजय के आदर्शों को अपनाना शुरू कर दिया। वह विजय के मिशन का एक अहम हिस्सा बन गया, और उसका काला कारोबार एक सामाजिक परिवर्तन का जरिया बन गया।
“ वास्को की कहानी ”
वास्को, जिसे “शहर का भेड़िया” कहा जाता था, लड़कियों की तस्करी में शामिल था। वह गरीब परिवारों की मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें गुलाम बनाता और उन्हें बेच देता। वास्को के नाम से शहर में डर फैला हुआ था। लेकिन विजय ने वास्को को एक नई दिशा में मोड़ने का फैसला किया। उसने वास्को को उसकी गतिविधियों के लिए बेनकाब करने की धमकी दी और उससे कहा: “अगर तुममें ज़रा भी इंसानियत बची है, तो अपने गुनाहों को सुधारने का एक मौका लो। तुम्हारी ताकत सिर्फ गुनाहों में नहीं, बल्कि उन गुनाहों को मिटाने में भी है।“
वास्को ने मजबूरी में विजय के लिए काम करना शुरू किया। विजय ने उससे तस्करी के पैसे गरीब लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करवाए। वास्को ने एक केंद्र बनवाया, जहां तस्करी से बचाई गई लड़कियों को सहारा दिया गया।
वास्को की सोच धीरे-धीरे बदलने लगी। उसने अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने के लिए तस्करी पूरी तरह छोड़ दी और विजय के मिशन का एक अनोखा साथी बन गया।
“ डेविड की कहानी ”
डेविड एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर था, जो अवैध माल की हेरफेर करता था। वह ड्रग्स, हथियार, और नकली सामान को देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाने का मास्टरमाइंड था। उसके पास हर सिस्टम को तोड़ने का हुनर था, जिससे वह पुलिस और सरकार से हमेशा एक कदम आगे रहता था।
विजय ने डेविड को अपनी योजना में शामिल करने का फैसला किया। उसने डेविड से कहा: “तुम्हारा हुनर अगर अपराध के लिए इस्तेमाल हो रहा है, तो इसे सही दिशा में मोड़कर समाज का भला किया जा सकता है।“
डेविड ने विजय को हल्के में लिया, लेकिन विजय ने उसकी कमजोरियों को समझते हुए उसे घेर लिया। उसने डेविड को मजबूर किया कि वह अपने तस्करी नेटवर्क से होने वाले मुनाफे का इस्तेमाल अस्पतालों और सार्वजनिक सेवाओं की फंडिंग के लिए करे।
डेविड, जो पहले सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करता था, ने महसूस किया कि उसके धन का इस्तेमाल अब जिंदगियां बचाने में हो रहा है। विजय के साथ काम करते-करते डेविड की प्राथमिकताएं बदल गईं। वह विजय के मिशन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया।
“ राणा भाऊ की कहानी ”
राणा भाऊ एक लोकल गैंग का सरगना था, जिसे लोग “शहर का डॉन” कहते थे। उसकी ताकत का डर पूरे शहर में था। वह लोगों से जबरन वसूली करता और अपने साम्राज्य को मजबूत बनाए रखता था।
विजय ने राणा भाऊ को अपने मिशन का हिस्सा बनाने के लिए सीधे उसकी ताकत को चुनौती दी। उसने राणा से कहा: “तुम्हारी ताकत का क्या फायदा, अगर वह सिर्फ डर पैदा करे? असली ताकत वह है, जो बदलाव लाए।“
राणा भाऊ ने पहले विजय की बात को मजाक समझा। लेकिन विजय ने उसे यह दिखाया कि उसकी ताकत का इस्तेमाल लोगों की मदद करने में कितना प्रभावशाली हो सकता है। विजय ने राणा भाऊ को अपने साथ जोड़ा और उसकी ताकत का इस्तेमाल गरीब इलाकों में सुरक्षा और विकास के लिए किया।
राणा भाऊ ने महसूस किया कि विजय के साथ काम करके वह न केवल अपनी इज्जत बचा सकता है, बल्कि अपने अपराधी जीवन से बाहर निकलकर कुछ अच्छा कर सकता है। उसने विजय का साथ दिया और अपने गिरोह को भी समाज सेवा में बदल दिया।
अर्जुन सिंगानी, वास्को, डेविड, और राणा भाऊ – चारों अपने-अपने अपराधी जीवन में एक नया मोड़ लेकर विजय के मिशन का हिस्सा बने। विजय ने इन सभी को यह एहसास दिलाया कि उनकी ताकत और काले धन का इस्तेमाल समाज को बदलने के लिए किया जा सकता है।
“हर बुराई में एक अच्छाई छिपी होती है, बस उसे देखने के लिए सही नजरिया चाहिए।“
विजय ने एक प्लेन बनाया
“ पांच साल बाद ”
लास्ट
विजय की नीति
विजय की एक पॉलिसी थी:
"मैं गलत तरीकों से पैसा कमाऊंगा, लेकिन एक भी पैसा अपनी जेब में नहीं ले जाऊंगा। सब जनता के लिए होगा।"
विजय के दुश्मन
विजय की सफलता को देखकर कई पुराने नेता उसके दुश्मन बन गए। वे सब विजय के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने लगे। एक दिन, एक बड़े नेता ने विजय को धमकी दी,
"अगर तू अपना ये ईमानदारी का नाटक बंद नहीं करेगा, तो तुझे राजनीति से हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा।"
विजय मुस्कुराया और बोला,
"तुम्हें लगता है मैं राजनीति में जीने के लिए आया हूं? मैं राजनीति में इसलिए आया हूं कि तुम जैसे लोगों का जीवन खत्म कर दूं।"
विजय का अंतिम कदम
विजय जानता था कि उसका जीवन लंबा नहीं है, लेकिन वह एक मिसाल बनकर जाना चाहता था। उसने अपने दुश्मनों के सारे काले धंधे उजागर कर दिए, लेकिन अपने काम से कभी पीछे नहीं हटा।
एक दिन, विजय के दुश्मनों ने उस पर जानलेवा हमला किया। लेकिन विजय को मरने से पहले अपने सारे काम पूरे करने थे।
उस दिन विजय ने एक भाषण दिया:
"मैं जानता हूं कि मैंने गलत तरीके अपनाए, लेकिन मैं सच्चाई और ईमानदारी के सपने के लिए लड़ा। अगर सिस्टम गलत है, तो उसे सुधारने के लिए तुम्हें भी गलत बनना पड़ता है। मैं खुद को नीच समझता हूं, लेकिन मेरा हर काम इस देश और मेरी जनता के लिए था।"
उस दिन , विजय को १० साल की जैल हो गई । लेकिन उसका सपना और उसकी सोच जिंदा रही। लोग उसे " D J " के नाम से याद करने लगे, क्योंकि विजय का असली नाम दिग्विजय था।
आगे की कहानी वक्तने लिखी
संदेश:
गलत दुनिया में सिर्फ ईमानदारी से जीतना मुश्किल है। कभी-कभी सिस्टम के खिलाफ उसी के तरीकों से लड़ना पड़ता है।
THE END
Story Writer
Digvijay Thakor
To Be Continue.......
D J Chapter 3