Pyar to Hona hi Tha - 6 - The End in Hindi Love Stories by Rakesh books and stories PDF | प्यार तो होना ही था - 6 - (अंतिम भाग)

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प्यार तो होना ही था - 6 - (अंतिम भाग)

घर के बाहर ...... तेज गरज के साथ मूसलाधार बारिश होने लगी .... जिससे अमित  भींग जाता है जो गाड़ी से फाइल्स लेने गया था ।

फाइल्स को कैसे भी बचा कर ले आया ....

रूचि  किचेन में थी ....डिनर की तैयारी कर रही थी ।
लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या बनाऊं ?
क्योंकि रूचि  को अभी ज्यादा कुछ बनाने नही आता है । फिर सोचने लगती हैं क्या बनाऊं ??

अमित  अपने ऊपर से पानी को अपनी हाथों की मदद से हटा रहा था । लेकिन बारिश की वजह से वो भींग चुका था तो कपड़े गीले हो चुके थे .... अमित  की कोशिश बेकार ही हुई ।।


भींगे कपड़ों में वो मिश्रा  जी के कमरे में पहुंचा ...

मिश्रा  जी अमित  को गीले कपड़ों में देखकर " तुम तो पूरा भींग चुके हो बेटा ..... जल्दी से कपड़े बदल लो वर्ना तुम्हे शर्दी लग जायेगी । "

अमित : नही .. नही अंकल मैं ठीक हूं । कपड़े बदलने की जरूरत नहीं है ज्यादा गीले नही हुए हैं ।

मिश्रा  जी : अमित  के माना करने पर भी मिश्रा  जी रूचि  को आवाज दिए .....
पापा के आवाज सुनते ही रूचि  किचेन से दौड़ती हुई चली आई ।


" जी पापा कहिए हांफते हुए बोली "

मिश्रा  जी : दौड़ कर आने की क्या जरूरत थी ? देखो कैसे हांफने लगी तुम .... जरा सी मेरी आवाज तुम्हे मिली नही की दौड़ती हुई भागी चली आती हो .....

रूचि  : खुद को शांत करते हुए , " अब बोलिए पापा आपने मुझे क्यों याद किया तहजीब से बोली बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह । "

उसकी भोलापन को देखकर मिश्रा  जी के चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आती है जो कुछ देर पहले रूचि  को डांट रहे थे लेकिन उनके डांट में रूचि  के लिए प्यार और फिक्र दोनो साफ साफ झलक रही थी ।


अमित  : रूचि  और मिश्रा  जी के बीच प्यार को देख कर अमित  अपने पिता को याद करने लगता है । वो भी मेरे क्या दिन थे ? जब मैं कॉलेज से आने के बाद पापा के साथ बैठ कर अपनी सारी बातें शेयर करता था ।
अब तो उनकी यादों से ही सिर्फ बातें होती है ।।
" हकीकत में वो अब कहां मिलने वाले है ? " खुद से बड़बड़ाया।

मिश्रा  जी : अमित  की ओर इशारा करते हुए , " बेटा कोई एक कमरे में ले जाओ और मेरे कबर्ड से एक कुर्ता और पजामा निकाल कर दे दो ..... देखो कितना भींग गया है। "
सर्दी लग गई तो बहुत मुसीबत हो जायेगी और कल इसे पटना भी निकलना है ।


रूचि  : जी पापा , कहकर मिश्रा  जी के कबर्ड के तरफ बढ़ गई । एक जोड़ा कुर्ता पजामा निकाल कर अपने हाथ में ले ली ।

अमित  से नजरे चुराते हुए " आईए मेरे साथ ... कहने के बाद रूचि  जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाने लगती है । "

अमित  : मन ही मन " हेय भगवान मेरी रक्षा करना इस भोली भाली खूबसूरत सुंदरी से , कही मेरे साथ फिर से कुछ शरारत न कर दे । "


रूचि  एक कमरे के सामने रुकती है और दरवाजा को खोलकर अंदर की ओर धक्का देती है ।
अंदर कुछ कदम जाने के बाद कमरे का लाइट्स ऑन करती है वैसे ही उसकी नजर एक छिपकली पर गई
रूचि  " छिपकली चिल्लाते हुए दौड़ती हुई बाहर की ओर भागी ..... अमित  जो अंदर आने के लिए एक कदम बढ़ा था भागने के दौरान अमित  से टकरा जाती है । "

अमित  से टकरा कर नीचे गिरने वाली ही होती है लेकिन अमित  अपना हाथ आगे बढ़ा झटके में रूचि  को अपनी ओर खींचा जिससे रूचि  अमित  के सीने से लग जाती है । यह घटना कुछ ही सेकेंट्स में हो जाती है ।


रूचि  इस वक्त अमित  के दिल की धड़कनों को महसूस कर रही थी जो शायद एक मिटन में 72 बार से ज्यादा धड़क चुके थे। और अमित  रूचि  को महसूस करने की कोशिश कर रहा था ।

उसी दौरान अमित  को छींक आया जो उस वक्त दोनो के बीच " कबाब में हड्डी बन गया ।"
अमित  को छींक आने के बाद रूचि  खुद को अमित  से अलग की और एक नजर अमित  को देखने के बाद
" Thank you मुझे गिरने से बचाने के लिए "


दोस्ती में no sorry और no thank you अमित  तब तक बोल पड़ा ।

रूचि  : लेकिन हम दोनो दोस्त कब बने सोचते हुए बोली !

अमित  : नही बने है तो अब बन जायेंगे या यूं कहूं जब आप नमक वाली चाय मेरे लिए लाई थी उस वक्त बन गए थे हल्की सी मुस्कान के साथ रूचि  को तीरछी निगाहों से देखते हुए बोला । जो रूचि  अपनी नजरे झुकाए उसके सामने खड़ी थी ।

उन दोनों के दिल में कुछ हलचल होने लगीं थी।

रूचि  अपने जीभ को दांतों तले दबा लेती है ।
उसके लिए " कान पकड़ कर I am really sorry"
उस वक्त रूचि  बिल्कुल 10 साल की छोटी बच्ची लग रही थी ।

और वो  अमित को देखकर मुस्कुराते हुए चली गई।
और मन में बोली लव you..

समाप्त....