अध्याय 8: आर्या की सजा
आर्या के शब्दों ने राजा को गुस्से में ला दिया। उसने आर्या को एक खतरनाक मुस्कराहट दी और कहा, "तुम्हें सजा देनी होगी।"
आर्या को एक अंधेरे और ठंडे कक्ष में ले जाया गया। वहाँ उसे एक पुराने और खराब हालत में पड़े बिस्तर पर बैठने को कहा गया।
आर्या ने अपने आसपास देखा और पाया कि वहाँ कोई खिड़की नहीं थी, और दरवाजा भी बहुत मजबूत था। वहाँ से भागना असंभव था।
आर्या को कई दिनों तक उस कक्ष में रखा गया। उसे खाना और पानी दिया जाता था, लेकिन वहाँ कोई और सुविधा नहीं थी।
आर्या को सताया जाता था, और उसे कई तरह की सजाएं दी जाती थीं। लेकिन आर्या ने कभी भी हार नहीं मानी। वह हमेशा अपने आप को मजबूत रखती थी।
एक दिन, राजा ने आर्या को अपने महल में बुलाया। आर्या को एक बड़े और सुंदर कमरे में ले जाया गया। वहाँ राजा आर्या का इंतजार कर रहा था।
राजा ने आर्या को देखा और उसकी सुंदरता से प्रभावित हुआ। उसने आर्या से कहा, "तुम बहुत सुंदर हो। मैं तुमसे प्रेम करने लगा हूँ।"
आर्या ने राजा को एक आश्चर्य भरी निगाह से देखा। वह नहीं समझ पाई थी कि राजा क्या कह रहा था। उसने सोचा कि राजा उसके साथ मजाक कर रहा है, लेकिन राजा की आंखों में एक गंभीरता थी जो आर्या को समझ नहीं आ रही थी।
राजा ने आर्या के पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया। उसने आर्या से कहा, "मैं तुमसे सचमुच प्रेम करता हूँ। मैं तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूँ।"
आर्या ने राजा को एक आश्चर्य भरी निगाह से देखा। वह नहीं समझ पाई थी कि राजा क्या कह रहा था। उसने सोचा कि राजा उसके साथ मजाक कर रहा है, लेकिन राजा की आंखों में एक गंभीरता थी जो आर्या को समझ नहीं आ रही थी।
राजा ने उसका हाथ पैर को सराहा। और उसके माथे के पसीने को हटाते हुए माथा चूमा।
और सैनिकों को बाहर जाने का आदेश दिया।
कुछ पल के बाद राजा बाहर आया।
लेकिन छोड़ जाता है आर्या को शक के गहरे संवेदन
में।
राजा आदेश जारी करता है। की आज से आर्या उसकी पटरानी होगी।
इतना सुनते ही दासियों ने जय जयकार करी।
और आर्या को कारावास से निकाल कर
उसके एक एक अंग को ऐसे सजाया गया जैसे कोई नई दुल्हन।
आज आर्या का विवाह होना था।
जिसकी खबर उसके घर के लोगों को
उसके मित्रो तक को नहीं थी।
समाज में ऐसे कई स्थान हैं। जहां आज भी
ऐसे पकड़ विवाह की पद्धति है।
जैसे आज आर्या की हो रही है।
और इधर राजा भी अपनी साजो समान के साथ तैयारी में जुट गया था।
कुछ ही क्षण में सब कुछ एक परंपरा में बदलने वाला था।
आर्या युद्ध करने आई थी। और वो प्रेम में पड़ जाती है। या उसे फसाया जाता है।
ये अभी भी एक प्रश्न है ?
जिसके सुलझने से बहुत सारी गुत्थी सॉल्व हो जाती।
उधर आर्या के मित्र उसे जंगल पहाड़ और नगरों में खोज रहे थे।
वो पुजारी के पास जाकर भी उसके लिए प्रार्थना करवाते है।
लेकिन मन तो अशांत ही था।
जिसका मूल था आर्या का न मिल पाना।
अब आगे क्या क्या होता है।
क्या ये सब एक षड्यंत्र मात्र है।
ये वाकई राजा को प्रेम था ......