अब आगे,
उस आदमी के मुंह से अपनी बेटी के बारे मे सुनकर अब पूनम जी ने अपने आपको समझाते हुए अपने मन में कहा, "देख ये एक न एक दिन तो होना ही था और मैं कब तक अपनी बेटी के अतीत को उसके होने वाले ससुराल और उसके पति से छुपा लेती क्योंकि ये अतीत ऐसी चीज होती हैं जो न तो कभी हमारा पीछा छोड़ती हैं और न ही हमें कभी ये सब भूलने देती हैं तो अब जो भी होगा वो देखा जाएगा क्योंकि मैं और मेरी बेटी कब तक उसके अतीत से भागते रहेंगे..!"
पूनम जी अपने आपको सच्चाई से रूबरू करवाकर और अपने आपको इस बार दिलासा न देकर सच्चाई से सामना करने को कह रही थी और अब अपनी आंखों को बंदकर के उन्होंने भगवान जी से कहा, "हे वाहे गुरु मुझे और मेरी बेटी को हिम्मत देना कि मैं अपनी बेटी के अतीत से डटकर सामना करे क्यूंकि एक आप ही हो जो ये जानते है कि मेरी बेटी बेगुनाह थी और उसको बेवजह उस गलत काम में फसाया गया था..!"
वही दूसरी तरफ,
साक्षी ने अपने पति से पूछा, "जितेंद्र क्या हुआ और पापा जी ने अचानक से ऐसे क्यों बुला रहे हैं..?"
साक्षी के पति का नाम "जितेंद्र दिवाकर" था और अब साक्षी की बात सुनकर जितेंद्र ने हंसते हुए साक्षी से कहा, "हो सकता है पापा ने तुम्हारे लिए कोई ड्रेस पसंद की हो और तुम तो जानती ही हो जब तक वो तुम्हारी पसंद न जान ले उनको तसल्ली ही नहीं मिलती है..!"
जितेन्द्र की बात सुनकर अब साक्षी ने कुछ नहीं कहा और फिर वो उसके साथ वहां से निकल गई और वो दोनों बाइक से उस एक्सपेंसिव मॉल की तरफ जा रहे थे..!.
मगर आज साक्षी को बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी और इसलिए ही उसने अपने मन में कहा, "हे वाहेगुरु आज मुझे इतना डर क्यों लग रहा है और मुझे ये इतनी बेचैनी क्यों हो रही है और इतनी बेचैनी तो मुझे तब हुई थी जब मै अपनी दोस्त के साथ वहां गई जहां से मेरे जीवन में वो मुसीबतें शुरू हुई थी..!"
साक्षी अपने सीने पर हाथ रखकर अपने मन में बोल ही रही थी कि अब जितेंद्र ने उसको ऐसा करते हुए अपने बाइक के शीशे से देख लिया क्योंकि वो लोग ट्रैफिक जाम में फंस गए थे पीऔर अब जितेंद्र ने साक्षी से पूछा, "क्या हुआ तुम्हे और तुमने अपना हाथ अपने सीने पर क्यों रखा हुआ है..?"
जितेन्द्र की बात सुनकर अब साक्षी को होश आ गया और उसने कुछ पल तो जितेंद्र को देखा और फिर अपने आपको शांत करते हुए उससे कहा, "कुछ भी तो नहीं..!"
साक्षी की बात सुनकर, अब जितेंद्र मुस्करा दिया और उसको छेड़ते हुए उससे कहने लगा, "कही हमारी पहली रात के बारे मे अभी से तो नहीं सोच रही हो न..!"
जितेन्द्र की बात सुनकर और उसकी मुस्कान देखकर साक्षी शरमा गई और जितेन्द्र के कंधे पर हल्का सा मारते हुए उनसे कहने लगी, "क्या आप भी न कुछ भी बोले जा रहे है और ऐसा कुछ भी नहीं है..!"
साक्षी की बात सुनकर, जितेन्द्र ने उससे मुस्कराते हुए पूछा, "तो फिर कैसा है तुम ही बता दो..!"
जितेन्द्र की बात सुनकर, अब साक्षी ने अपनी आंखे उससे बचाते हुए कहा, "कुछ भी नहीं है और देखिए न ट्रैफिक जाम खुल गया है..!"
साक्षी का यू अपनी आंखे बचाना देख जितेन्द्र बहुत ज्यादा खुश था और अपना सिर हल्का सा न में हिलाते हुए अपनी बाइक को दुबारा से शुरू कर दिया..!
साक्षी ने हल्का सा मुस्कराते हुए अपने मन में कहा, "हे वाहेगुरु ये लम्हा कभी खत्म न हो और मेरी जिंदगी का वो काला सच कभी भी सामने न आए नहीं तो मेरी ये अच्छी खेलती जिंदगी बर्बाद हो जाएगी..!"
वही दूसरी तरफ, सिंघानिया विला में, बनारस में ही,
मुखिया जी, राहुल, राघव और गोपाल जी अब दिनेश के पीछे पीछे चलते हुए उस विला के ही एक बड़े से शानदार दरवाजे के सामने आकर खड़े हो गए और उस दरवाजे पर भी अच्छे से कलाकारी करी हुई जो देखने में बहुत ही सुन्दर लग रही थी और अब दिनेश ने उस दरवाजे को खोलते हुए एक अकड़ के साथ उन सबसे कहा, "तुम लोग अंदर जाकर बैठो तब तक हमारे बॉस भी आ जाएंगे..!"
दिनेश की अकड़ देखकर, अब राघव अपने गुस्से में उसको कुछ बोलने ही वाला था कि गोपाल जी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको आंखों के इशारों से मना करने लगे और अपने पिता के इशारे को देखकर अब राघव ने कुछ नहीं कहा और अब वो सब अंदर की तरफ चले गए पर जैसे ही वो अंदर गए तो सबकी आंखे बस उस हॉल कमरे को देखती ही रह गई क्योंकि वो बहुत ही बड़ा कमरा था और बीचों बीच में एक बड़ी सी गोल मेच रखी हुई थी और करीब 50 लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां उसी गोल मेच की गोलिये से लगी हुई थी, जिसको देखकर एक रॉयल फिलिंग आ रही थी..!
पूरे हॉल कमरे में बड़े बड़े डिजाइन वाले झूमर लगे हुए थे और दीवारों पर सफेद रंग के साथ बहुत सी एंटीक तस्वीरें लगी हुई थी और साथ में सफेद टाइल का फर्श बिछा हुआ था और इतनी साफ सफाई थी जिसमे अपनी सकल भी साफ साफ दिख रही थी..!
अब सब हैरान होते हु आगे की तरफ बढ़े और अब राहुल ने एक कुर्सी को अपनी ओर खींचते हुए उस पर बैठ गया तो उसने झट से गोपाल जी से कहा, "बापू सा, यहां की कुर्सियां कितनी आरामदायक हैं..!"
राहुल की बात सुनकर अब मुखिया जी ने वही उस कुर्सी पर बैठते हुए उससे कहा, "तो जब उस बाहर से ही उसका विला किसी महल की तरह लगता है तो फिर उसमें मौजूद चीजें सबसे अच्छी नहीं होंगी ये तुमने सोच भी केसे लिया..!"
मुखिया जी की बात सुनकर अब गोपाल जी ने उनकी बात से सहमत होकर उनसे कहा, "बिल्कुल सही कह रहे हैं आप..!"
वही दूसरी तरफ, राजवीर का कमरा,
राजवीर अपने स्टडी रूम में अपनी किसी इंपोर्टेंट फाइल को पढ़ रहा था और वही उसके सामने दीप खड़ा हुआ था और अब राजवीर ने अपनी उस इंपोर्टेंट फाइल को वही टेबल पर रखते हुए अब गुस्से में दीप की तरफ देखते हुए उससे कहा, "मुझे आज किसी भी कीमत पर ये डील और वो जमीन चाहिए ही चाहिए नहीं तो वो लोग आज मेरे इस विला से जिंदा वापस नहीं जाने चाहिए..!"
राजवीर ने अपनी बात इतनी गुस्से में कही थी कि दीप भी थर थर कांप गया था और अब उसने डरते हुए अपने मन में कहा, "हे भगवान आज किसी भी तरह वो लोग ये डील कर ले नहीं तो ये डेविल उन लोगों के साथ पता नहीं क्या कर जाएगा..!"
अब राजवीर अपनी किंग साइज कुर्सी पर से उठ खड़ा हुआ और अपने कोट को अपनी कुर्सी पर से उतार लिया और फिर उसको पहन कर तैयार हो गया और अब उसने अपने आई फोन को अपनी पेंट की जेब में रख लिया और फिर अपने ब्लैक गॉगल को पहनते हुए फुल एटीट्यूड के साथ अपने स्टडी रूम से बाहर की और जाने लगा..!
राजवीर अपने स्टडी रूम के गेट पर पहुंचा ही था कि उसकी नजर दीप पर गई को अभी भी अपनी जगह पर खड़ा हुआ था और उसको देखकर लग रहा था मानो वो अपने किसी ख्याल में खोया हुआ हो..!
तो अब राजवीर ने एक नजर दीप को देखते हुए धीरे मगर डरा देने वाली आवाज में उससे कहा, "अगर तुम मुझे अगले 5 मिनट में मीटिंग हॉल में नजर नहीं आए तो फिर कभी तुम इस दुनिया में भी नजर नहीं आओगे, did you understand..!"
राजवीर अपनी कोल्ड वॉयस में बोलकर वहा से चला गया मगर कुछ देर बाद जब दीप को होश आ गया और उसने झट से अपना टैबलेट उठाया और भागते हुए अपने आप में बड़बड़ाते हुए बोला, "O shit, मैं तो भूल ही गया था कि मैं डेविल के सामने ही खड़ा हुआ हूं अब जल्दी चल नहीं तो ये डेविल मेरी शादी होने से पहले ही इस दुनिया से विदा करवा देगा..!"
अब दीप भागते हुए राजवीर के कमरे से बाहर निकल गया और जल्दी जल्दी सीढ़ियों को उतरते हुए मीटिंग हॉल की तरफ जाने लगा और जैसे ही उसको राजवीर दिखा जो उस मीटिंग हॉल के दरवाजे को बस खोलने ही वाला था..!
तो दीप ने दूर से चिल्लाते हुए राजवीर से कहा, "रखिए बॉस..!"
दीप की आवाज सुनकर राजवीर ने उसकी तरफ देखा तो दीप थोड़ा डर गया मगर अपने आपको संभालते हुए उसने अपने दांत दिखाए हुए राजवीर से कहा, "वो..वो ये मेरा काम है न तो आप क्यों अपने हाथों को तकलीफ दे रहे है..!"
दीप की बात सुनकर अब राजवीर उसको घूरने लगा तो अब दीप ने अपनी नजरे बचाते हुए उसने उस मीटिंग हॉल का दरवाजा राजवीर के लिए खोल दिया और अब राजवीर उस मीटिंग हॉल के अंदर चला गया..!
राजवीर के जाते ही दीप ने एक गहरी सांस ली और अपने आप से कहा, "Thank God, मैं बिल्कुल सही समय पर आ गया नहीं तो आज मेरे साथ कुछ भी हो सकता था..!"
मुखिया जी, राहुल, राघव और गोपाल जी, राजवीर को ही देख रहे थे वो बात अलग है कि इन सब ने उस जमीन के लिए दीप से बात की थी मगर वो राजवीर को आज पहली बार देख रहे थे और साथ में उसके डार्क ओरे को देखकर थोड़ा घबरा भी रहे थे क्योंकि राजवीर बिना किसी भाव के मीटिंग हॉल में पहुंच गया था..!
अब राजवीर उन सभी लोगो की कुर्सी से कुछ दूरी पर मौजूद अपनी किंग साइज कुर्सी की तरफ बढ़ गया और अपने कोट के बटन खोलते हुए उस कुर्सी पर बैठ गया और साथ में वो उन सभी लोगो को देख रहा था जैसे वो उनके चेहरों को पढ़ना चाह रहा हो और अब दीप भी राजवीर की कुर्सी के पास जाकर खड़ा हो गया और अब दीप ने गोपाल जी की तरफ देखते हुए उनसे कहा, "आप लोग अपनी जमीन को कितने रुपयों में बेचना चाहते है वो हमें बता दीजिए हम उसके मुताबिक अपनी सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर लेंगे..!"
दीप ने बहुत ही तमीज और अच्छे से बात की थी जिसको सुनकर अब गोपाल जी ने थोड़ा डरते हुए क्योंकि राजवीर उनको ही एक्सप्रेशन लेस चेहरे से देख रहा था इसलिए वो थोड़ा घबरा रहे थे और उन्होंने राजवीर की जगह दीप से कहा, "वो..वो क्या है न कि वो जमीन मेरे पिता की आखिरी निशानी हैं और इसलिए ही मै उसको बेचना नहीं चाहता हूं..!"
जब राजवीर ने गोपाल जी की बात सुनी तो उसने गुस्से में अपनी मुठ्ठी बिच ली और अब अपने गुस्से में राजवीर ने गोपाल जी से कहा, "क्या तुम्हे एक बार में मेरी बात समझ में नहीं आई कि मुझे वो हाइवे वाली जमीन चाहिए तो चाहिए और अपनी कीमत बताओ और चलते बनो और मुझे मजबूर मत करो नहीं तो तुम लोग यहां से जिंदा वापस नहीं जाओगे..!"
राजवीर ने ये सब अपने गुस्से में कहा था और इसी वजह से उसने थोड़ी तेज आवाज में बोल दिया था उसका चेहरा तो एकदम भाव रहित हो गया था मगर आंखे लाल हो चुकी थी और उसका खतरनाक लुक देखकर ही गोपाल जी, मुखिया जी और राहुल अंदर तक कांप गए थे मगर राघव उसको अपने गुस्से से घूर रहा था..!
राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि वो अब अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हो गया और उस मीटिंग हॉल में बनी खिड़कियों की तरफ जाकर खड़ा हो गया क्योंकि उस मीटिंग हॉल में 3 तरफ दीवार और एक तरफ 3 बड़ी बड़ी डिजाइन वाली खिड़कियां बनी हुई थी..!
राजवीर की बात सुनकर, अब तक राघव का गुस्सा बढ़ चुका था और अब वो अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया और गुस्से से चिल्लाते हुए राजवीर से बोला, "तुम ने हम लोगों को समझ क्या रखा हुआ है और हम ने बोल दिया न कि हमें नहीं बेचनी हैं तो मतलब नहीं बेचनी हैं तो फिर तुम हमारे पीछे क्यों पड़ गए हो..!"
राघव की बात सुनकर, राजवीर जो वैसे ही रूही के साथ हुई बतमीजी की वजह से गुस्से में था और ऊपर से वो जिस डील के लिए बनारस आया था वो उसको मिल नहीं रही थी..!
वही दूसरी तरफ, एक्सपेंसिव मॉल में, बनारस में ही,
अब उस आदमी को जब रेहान ने कोई जबाव ही नहीं दिया था तो अब उस आदमी ने रेहान से फिर तेज आवाज में कहा, "मैने तुमसे कुछ पूछा है कि तुम्हारा मेरी बहु के साथ क्या रिश्ता है बताओ मुझे..?"
उस आदमी की ऊंची आवाज सुनकर रेहान का पारा चढ़ने लगा और अब रेहान कुछ बोलने को हुआ ही था कि रूही ने बीच में बोलते हुए कहा, "वो ये आपकी बहु के अच्छे दोस्त है..!"
रूही बीच में इसलिए भी बोल पड़ी थी क्योंकि उसको डर था कही रेहान गुस्से में कुछ और ही न बोल दे मगर अब रेहान अपने गुस्से में रूही को देख रहा था और रूही ने जब देखा तो उसने अपने सिर को नीचे कर लिया..!
वही जब उस आदमी ने रूही की बात सुनी तो थोड़ा कन्फ्यूज्ड होते हुए उन्होंने पूनम जी से पूछा, "अगर बस इतनी सी ही बात थी तो आप इस लड़के के सामने हाथ क्यों जोड़ रही थी..?"
अपने समधी की बात सुनकर अब पूनम जी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या ही बोले और जब उनके समधी को अपनी बात का कोई जवाब ही नहीं मिला तो उन्होंने फिर से पूनम जी से कहा, "बताइए न मैने आपसे कुछ पूछ है उसका जवाब दीजिए..!"
अब रेहान ने रूही का हाथ पकड़ लिया तो अब रूही ने अपना सिर ऊपर कर लिया और उसको देखने लगी और साथ में रेहान भी उसको देख रहा था मगर अपनी आंखों के इशारों से पूनम जी की तरफ देखने को कह रहा था जैसे कह रहा हो कि संभालो अब तुम बात को..!
मगर उस भीड़ में कोई एक ऐसा शक्श भी था जो रेहान को अपने गुस्से से देख रहा था क्यूंकि उसने रूही का हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था..!
रेहान के आंखों के इशारों को समझते हुए जब रूही ने पूनम जी की तरफ देखा तो उन्होंने अपना सिर नीचे कर रखा था और अब रूही को कुछ याद आया और अब वो झट से आगे बढ़ गई और उसने कुछ सोचते हुए उस आदमी से कहा, "मैं बताती हु आपको आंटी ने ऐसा क्यों किया..!"
रूही की बात सुनकर अब उस आदमी ने उससे कहा, "अच्छा तो अब तुम ही बताओ कि पूनम जी ने ऐसा क्यों करा..!"
To be Continued....❤️✍️
तो अब देखते हैं कि रूही, उस आदमी के सवाल का क्या जबाव देती हैं और क्या राजवीर उस जमीन को आसानी से ले पाएगा या फिर कुछ और ही होने वाला था और क्या आज सच में साक्षी का बीता हुआ कल सबके सामने आ जाएगा या फिर कुछ और ही लिखा है उसकी किस्मत में..?
हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।