Tanashah - 3 in Hindi Fiction Stories by MaNoJ sAnToKi MaNaS books and stories PDF | तानाशाह - भाग 3

Featured Books
Categories
Share

तानाशाह - भाग 3

भाग 3: साजिशों का जाल

गौरवनगर – तानाशाह की परछाई
रात का अंधेरा धीरे-धीरे गहराता जा रहा था, लेकिन शहर के हर कोने में तानाशाह की सेना का पहरा था। नागरिक अपने घरों में दुबक कर बैठे थे, जैसे बाहर का माहौल साँसों को रोक देने वाला हो। उधर, पियाली, आर्यन, नंदिता, और उनकी टीम एक नई रणनीति पर काम कर रहे थे। लेकिन इस बार, उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी—तानाशाह का नया जासूसी तंत्र।


---

आर्यन और नंदिता की वापसी
आर्यन और कृष्णा ने नंदिता को सुरक्षित ठिकाने पर लाने में सफलता पाई। जैसे ही वे गुप्त ठिकाने पर पहुँचे, पियाली ने राहत की साँस ली।
“तुम लोग ठीक हो! मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी,” पियाली ने कहा।

नंदिता ने थकी हुई आवाज़ में कहा,
“यह आसान नहीं था। सैनिक हर जगह थे। उन्होंने मेरा पीछा किया, लेकिन आर्यन और कृष्णा ने सही समय पर मुझे बचा लिया। लेकिन एक बड़ी बात है—अब वे जानते हैं कि विद्रोह शुरू हो चुका है।”

आर्यन ने गंभीर स्वर में कहा,
“हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि अगली बार वे हमें बचने का मौका नहीं देंगे। हमारी योजना में कोई गलती नहीं होनी चाहिए।”


---

तानाशाह की साजिश
राजभवन में आकाश ठाकुर अब अपने गुप्त जासूसों की रिपोर्ट पढ़ रहा था। रिपोर्ट में साफ लिखा था कि विद्रोही उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं और उनके पास कुछ गुप्त दस्तावेज़ भी हैं।
“यह संभव नहीं है,” आकाश ने गुस्से में कहा।
“कोई मेरी सत्ता को चुनौती दे, यह मैं सहन नहीं कर सकता। इन विद्रोहियों को ढूँढ निकालो और जनता के सामने उनका अंत करो ताकि कोई और ऐसा करने की हिम्मत न करे।”

उसने अपने एक खास जासूस, कबीर, को बुलाया।
“कबीर, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। इन विद्रोहियों को खत्म करना तुम्हारा काम है। हर गली, हर छुपने की जगह की तलाशी लो। और अगर ज़रूरत पड़े, तो उनके करीब जाने के लिए छल का सहारा लो।”

कबीर ने एक कुटिल मुस्कान के साथ सिर झुकाया,
“आप चिंता न करें, सर। यह विद्रोह जल्द ही खत्म हो जाएगा।”


---

विद्रोहियों की नई योजना
पियाली और उसकी टीम ने तय किया कि वे अब सीधे जनता तक पहुँचेगी। फाइलों के टुकड़े अब कई छोटे समूहों में बाँट दिए गए थे। हर समूह का काम था कि वे फाइल की जानकारी को शहर के अलग-अलग हिस्सों में फैलाएँ।

“हमें लोगों का समर्थन चाहिए। जब तक जनता हमारे साथ नहीं होगी, यह लड़ाई अधूरी रहेगी,” पियाली ने कहा।

नंदिता ने एक सुझाव दिया,
“हम एक गुप्त पत्रिका निकाल सकते हैं, जिसमें तानाशाह के अत्याचारों और उसके गुप्त राज़ों को उजागर किया जाए। इसे जनता तक पहुँचाना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन यह उनकी आँखें खोलने का काम करेगा।”

आर्यन ने सहमति जताई,
“यह अच्छा विचार है। मैं इसके लिए सुरक्षित जगह तलाशूँगा, जहाँ हम इसे छाप सकें।”


---

कबीर का धोखा
कबीर ने अपनी जासूसी शुरू कर दी थी। उसने विद्रोहियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए गौरवनगर की गलियों में छानबीन शुरू की। एक रात, उसने आर्यन और कृष्णा को गुप्त ठिकाने के पास देखा।

“यह मेरे काम को आसान बना देगा,” उसने खुद से कहा।

कबीर ने खुद को एक विद्रोही के रूप में पेश करते हुए पियाली की टीम से संपर्क किया।
“मैं भी तानाशाह के खिलाफ हूँ। मैंने उसके अत्याचारों को करीब से देखा है। मुझे आपकी मदद की ज़रूरत है, और मैं बदले में आपको जानकारी दे सकता हूँ,” कबीर ने कहा।

पियाली को कबीर पर तुरंत भरोसा नहीं हुआ।
“तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम हमारे साथ हो?” उसने पूछा।

कबीर ने तुरंत जवाब दिया,
“तानाशाह के गुप्त ठिकानों की जानकारी मेरे पास है। मैं आपको वे जगहें बता सकता हूँ जहाँ उसके हथियार रखे जाते हैं।”

आर्यन ने बीच में कहा,
“अगर यह सच है, तो यह हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन हमें सतर्क रहना होगा।”


---

पहला झटका
कबीर ने धीरे-धीरे विद्रोहियों की योजना में अपनी जगह बना ली। उसने उनकी बैठकें सुनीं, उनकी रणनीतियों को समझा, और यह सारी जानकारी तानाशाह तक पहुँचा दी।

एक रात, कबीर ने तानाशाह के सैनिकों को एक गुप्त ठिकाने का पता दिया।
“वे लोग यहाँ छुपे हुए हैं। अगर आप जल्दी करेंगे, तो उन्हें पकड़ सकते हैं,” उसने कहा।

सैनिकों ने अचानक ठिकाने पर हमला कर दिया। विद्रोही संभल नहीं पाए। इस हमले में कृष्णा बुरी तरह घायल हो गया, लेकिन बाकी लोग किसी तरह भागने में सफल रहे।


पियाली और उसकी टीम को एक बड़ा झटका लगा था। उन्हें समझ में आ गया कि उनके बीच कोई गद्दार है। अब सवाल यह था कि यह गद्दार कौन है? उधर, तानाशाह ने इस जीत को अपने अधिकार का प्रदर्शन मान लिया।

.....................................................................

गद्दार का पर्दाफाश

गुप्त ठिकाना – अंधेरे में जलती उम्मीद
पियाली की टीम अब पिछले हमले से उबरने की कोशिश कर रही थी। कृष्णा के गंभीर घावों ने उनकी गति को धीमा कर दिया था। लेकिन इस घटना ने पियाली को एक चीज़ सिखाई—उनके बीच कोई गद्दार था।

“हमारे हर कदम की जानकारी दुश्मन तक कैसे पहुँच रही है? यह कोई बाहरी नहीं, बल्कि अंदर का आदमी है,” पियाली ने गंभीरता से कहा।

आर्यन ने कहा,
“हमें इस गद्दार का पता लगाना होगा, वरना यह लड़ाई शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी।”


---

तानाशाह की जीत का जश्न
राजभवन में, आकाश ठाकुर ने पिछले हमले की सफलता का जश्न मनाया।
“विद्रोही अब कमजोर हो चुके हैं। यह सिर्फ समय की बात है कि वे मेरे सामने घुटने टेक देंगे,” उसने अपनी कैबिनेट से कहा।

कबीर, जो चुपचाप बैठक में खड़ा था, ने कहा,
“सर, उनके पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। मैंने उनकी योजनाओं को जानने के लिए खुद को उनके साथ मिला दिया है। वे मुझ पर भरोसा करते हैं।”

आकाश ने एक ठंडी मुस्कान के साथ कहा,
“अच्छा काम, कबीर। लेकिन याद रखना, अगर तुम्हारा पर्दाफाश हुआ, तो तुम भी हमारे दुश्मन बन जाओगे।”


---

टीम की नई योजना
पियाली ने नंदिता और आर्यन के साथ एक गुप्त बैठक की।
“हमें यह पता लगाना होगा कि हमारे बीच का गद्दार कौन है। लेकिन सीधे सवाल पूछने से कुछ हासिल नहीं होगा। हमें चालाकी से काम लेना होगा,” पियाली ने कहा।

आर्यन ने सुझाव दिया,
“हम एक फर्जी योजना बना सकते हैं और देख सकते हैं कि यह जानकारी तानाशाह तक पहुँचती है या नहीं। इससे गद्दार का पर्दाफाश होगा।”

पियाली ने सिर हिलाया,
“यह एक जोखिमभरी योजना है, लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। चलो, इसे अंजाम देते हैं।”


---

कबीर का संदेह
कबीर, जो अब भी पियाली की टीम के साथ था, ने उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखनी शुरू कर दी। लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि टीम अब उसके खिलाफ चाल चल रही है।

पियाली ने एक झूठी योजना तैयार की—एक नकली ठिकाना और एक फर्जी बैठक।
“हम इस जगह पर अगले हफ्ते मिलेंगे। यह हमारी सबसे सुरक्षित जगह होगी,” उसने सबके सामने घोषणा की।

कबीर ने यह जानकारी तुरंत तानाशाह तक पहुँचा दी।
“सर, वे अगले हफ्ते इस जगह पर इकट्ठा होंगे। आप उन पर हमला कर सकते हैं,” कबीर ने कहा।

आकाश ने उसकी बात पर भरोसा करते हुए आदेश दिया,
“इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए। उन्हें खत्म कर दो।”


---

पर्दाफाश का समय
जैसे ही वह दिन आया, तानाशाह की सेना फर्जी ठिकाने पर पहुँच गई। लेकिन वहाँ न तो विद्रोही थे और न ही उनके कोई निशान। यह कबीर के लिए एक झटका था।

उसी समय, पियाली और उसकी टीम ने कबीर को घेर लिया।
“तो यह तुम थे, जिसने हमारी हर योजना दुश्मन तक पहुँचाई,” पियाली ने गुस्से में कहा।

कबीर ने खुद को बचाने की कोशिश की,
“तुम लोग झूठ बोल रहे हो। मैं तुम्हारे साथ हूँ!”

लेकिन नंदिता ने वह सबूत दिखाया, जिसमें कबीर की बातचीत तानाशाह के साथ रिकॉर्ड की गई थी।
“यह रहा तुम्हारा सच। अब तुम्हें तुम्हारे कर्मों की सजा मिलेगी,” नंदिता ने कहा।


---

कबीर का अंत
कबीर ने भागने की कोशिश की, लेकिन आर्यन और कृष्णा ने उसे पकड़ लिया।
“तुम्हारी वजह से हमने अपने कई साथियों को खो दिया। अब तुमसे और गद्दारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी,” कृष्णा ने कहा।

कबीर को टीम के गुप्त न्यायालय में ले जाया गया, जहाँ उसे उसके अपराधों के लिए सजा दी गई।


---

तानाशाह को झटका
राजभवन में, आकाश ठाकुर को कबीर के पकड़े जाने की खबर मिली।
“तो उन्होंने हमारे जासूस को पकड़ लिया। इसका मतलब है कि वे अभी भी खतरा बने हुए हैं,” आकाश ने गुस्से में कहा।

उसने अपने सुरक्षा प्रमुख को आदेश दिया,
“अब उन्हें कोई भी कीमत पर खत्म करना होगा। चाहे इसके लिए मुझे पूरे शहर को जलाना ही क्यों न पड़े।”


भाग 3 का अंत:
कबीर की गद्दारी का पर्दाफाश हो चुका था, लेकिन इससे तानाशाह और भी ज्यादा आक्रामक हो गया था। पियाली और उसकी टीम ने एक बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी।


क्रमश: