Who was she, why, when and how? in Hindi Detective stories by Review wala books and stories PDF | वो कौन थी क्यों कब केसे?

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वो कौन थी क्यों कब केसे?

रात के दस बजे का समय था। शहर की सड़कों पर हलचल कम हो चुकी थी, और बसें भी अब कम ही चल रही थीं। एक आदमी, जिसका नाम राज था, अपनी रोज़मर्रा की थकान के साथ बस में चढ़ा। उसने देखा कि बस में पीछे की तरफ कोई दरवाजा नहीं था, यानी उतरने के लिए उसे आगे का दरवाजा ही इस्तेमाल करना होगा। यह बात उसे थोड़ी अजीब लगी, लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
"वो पिछली सीट पर बैठी थी, बार बार मुझे देख रही थी
देख के लगता था कोई बहार आ गई हो या किसी रिम झिम ने आहट दी हो 
पिछली तरफ कोई बस मे दरवाजा नही था
यानी उतरने के लिए आगे का दरवाजा प्रयोग करना ही था
चार स्टॉप बाद देखा तो नही थी
कहाँ गई? 
यह सोच कर आज भी परेशां हो जाता हूँ 
वक़्त रहा होगा रात के दस बजे "
कह कर वो खामोश हो गया
किसी एहसास से बोझिल था 

बस धीरे-धीरे अपने स्टॉप्स पर रुकती और चलती रही। चार स्टॉप्स के बाद, राज ने देखा कि बस में अब वह दरवाजा भी नहीं था जिससे वह चढ़ा था। यह देखकर वह हैरान रह गया। उसने सोचा, "कहाँ गई यह दरवाजा?" यह सवाल उसके मन में गूंजने लगा। वह परेशान हो गया, और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी।

राज ने बस के ड्राइवर से पूछा, "भाईसाहब, यह दरवाजा कहाँ गया?" ड्राइवर ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "यह बस खास है। इसमें जो भी चढ़ता है, उसे अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए खुद रास्ता ढूंढना पड़ता है।"

राज को यह बात समझ नहीं आई। वह सोच में पड़ गया कि आखिर यह सब क्या हो रहा है। उसकी बेचैनी और बढ़ गई। उसने बस की खिड़की से बाहर देखा, लेकिन बाहर का नजारा भी बदल चुका था। अब वह शहर की सड़कों पर नहीं, बल्कि किसी अजनबी जगह पर था। 

उसने सोचा, "क्या मैं सपना देख रहा हूँ?" लेकिन यह सपना नहीं था। यह एक हकीकत थी, जो उसे समझ नहीं आ रही थी। वह बस में बैठे-बैठे सोचता रहा, "आखिर यह सब क्या हो रहा है?" उसकी बेचैनी और बढ़ती गई, और वह खुद को असहाय महसूस करने लगा।

रात के दस बजे का समय था, और राज की यह यात्रा अब एक रहस्य बन चुकी थी। वह सोचता रहा, "कहाँ गई वह बस? कहाँ गया वह दरवाजा?" यह सवाल उसके मन में गूंजता रहा, और वह इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश में लगा रहा। 

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। राज की यह यात्रा उसे एक नई दुनिया में ले गई, जहाँ उसे अपने सवालों के जवाब ढूंढने थे। यह यात्रा उसकी आत्मा की यात्रा बन गई, जहाँ उसे अपने अंदर झांकना था और अपने डर और बेचैनी का सामना करना था। 

राज की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी जीवन में हमें ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है जिनका जवाब हमारे पास नहीं होता। लेकिन यह सवाल ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और हमें अपने अंदर की ताकत को पहचानने का मौका देते हैं। 

क्या आप इस कहानी में और कुछ जोड़ना चाहेंगे या किसी खास पहलू पर और विस्तार से जानना चाहेंगे?