From Hyperspace to Einstein's Theory in Hindi Philosophy by R Mendiratta books and stories PDF | हाइपर स्पेस से Einstein की थ्योरी तक

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हाइपर स्पेस से Einstein की थ्योरी तक

दर्शन, इंजीनियरिंग आदि काफी बोरिंग विषय माने जाते हैं पर हाईपर स्पेस से अधिक नीरस कोई विषय नही लगा। 

    आयाम  का कोई महत्व तभी है जब इसे हम अपने जीवन से रिलेट कर सकें, मेरे अपने विचार मे इस विषय को अध्यात्मिक 
परिपेक्षय से देखा जाए तो सरल रहेगा  । 
    
    अब चौथे आयाम की बात करते हैं, इसमें पदार्थो के अंदर जाने की बात है, क्या मिलेगा वहाँ? electron, प्रोटोन आदि, इनको विभाजित किया जा सकता है, यही बताया einstein ने, (electron को नही किया जा सकता ) 
      कैसे करेंगे प्रोटोन का विभाजन? एक  बहुत तेज रफ्तार, यानी प्रकाश की गति से भी ज्यादा रफ्तार के particles की  proton पर वर्षा की जाएगी, यही न? और उस वर्षा से हज़ारो मेगा वाट की ऊर्जा बनेगी या स्वतन्त्र हो जाएगी, पदार्थो के विघ्टन से न? 
अगर कंट्रोल न किया गया तो  सर्व नाश होगा 

   इस बात  को अध्यात्मिक तौर पर समझिये, 
electron को आज तक विभाजित नही किया जा सका
यानी यह आत्मा का ही प्रतीक हो सकता है। 
तेज  रफ्तार के particle, मन को ही दर्शाते होंगे न? 
  इस प्रकार हम मन की तेज रफ्तार पर काबू पाते हुए एक लक्ष्य पर मन केंद्रित करते हुए आगे बड़ते है या होंगे 
यानी फोकस ही हमारे जीवन का केंद्र बिंदु हो। 
  (और फोकस आप ईश्वर पर या किसी और चीज पर कर सकते है, पढाई, पैसा, जायदाद आदि) 
तभी तो लक्ष्य मिलेगा या ऊर्जा रिलीज़ होगी, है न? 
     यहाँ आपको लग रहा होगा कि अध्यात्म और विज्ञान कितने पास आ गए है, सही सोच रहे है आप.... 
    Einstein वाली थ्योरी
"आप जितना तेज भागोगे उतना वज़न बड़ेगा आपका
प्रकाश गति से भागोगे तो अनन्त  जैसा हो जाएगा'. "
क्या आप समझे इसे? 
समझ कर छू लो आसमां
कर लो अपनी इच्छा पूरी
बन जाओ अनन्त
मेरी समझ तो यही आया कि कुछ नही आया
वैसे भी कमज़ोर था विज्ञान आदि मे
आप भी try करिये
छू लो आसमां 
यही आया समझ मे कि Einstein एक ऋषि जैसे थे,काफी कम लोगों को समझ आई उनकी थ्योरी

दुनिया ने उनकी थ्योरी पे पानी डाल दिया
बम आदि बना के
बसअल्बर्ट आइंस्टीन को अक्सर एक ऋषि के रूप में देखा जाता है, क्योंकि उनकी सोच और दृष्टिकोण ने विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला दी। उनकी थ्योरी, विशेष रूप से सापेक्षता का सिद्धांत, इतनी जटिल और अद्वितीय थी कि बहुत कम लोग इसे पूरी तरह से समझ पाए। आइंस्टीन ने 1905 में विशेष सापेक्षता का सिद्धांत और 1915 में सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसने भौतिकी की नींव को हिला कर रख दिया¹²।

आइंस्टीन की थ्योरी ने यह बताया कि द्रव्यमान और ऊर्जा एक दूसरे के समतुल्य हैं, जिसे उनके प्रसिद्ध समीकरण (E = mc^2) द्वारा व्यक्त किया गया। इस समीकरण ने यह सिद्ध किया कि ऊर्जा और द्रव्यमान को एक दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है¹। 

हालांकि, आइंस्टीन की खोजों का उद्देश्य मानवता की भलाई था, लेकिन उनकी थ्योरी का उपयोग विनाशकारी हथियारों, जैसे परमाणु बम, के निर्माण में भी किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत परमाणु बम का विकास हुआ, जिसमें आइंस्टीन के समीकरण का महत्वपूर्ण योगदान था²। आइंस्टीन ने स्वयं इस बात पर गहरा खेद व्यक्त किया कि उनकी थ्योरी का उपयोग विनाश के लिए किया गया³।

आइंस्टीन ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में शांति और मानवता के लिए काम किया। उन्होंने परमाणु हथियारों के खिलाफ आवाज उठाई और विश्व शांति के लिए प्रयास किए। उनकी दृष्टि और विचारधारा ने उन्हें एक वैज्ञानिक से अधिक, एक दार्शनिक और मानवतावादी बना दिया¹।

आइंस्टीन का जीवन और उनकी थ्योरी हमें यह सिखाती है कि विज्ञान का उपयोग मानवता की भलाई के लिए होना चाहिए, न कि विनाश के लिए। उनकी सोच और दृष्टिकोण आज भी हमें प्रेरित करते हैं और हमें यह याद दिलाते हैं कि ज्ञान और शक्ति का सही उपयोग कितना महत्वपूर्ण है।