lovely garden in Hindi Motivational Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | प्यारा सा बगीचा

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प्यारा सा बगीचा

1. विद्या का घमंड 


गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौका में बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी, मनमोहन भी उसमें सवार थे। मनमोहन जी ने नाविक से पूछा “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है?”

भोला-भाला नाविक बोला, “भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।”

मनमोहन जी ने शिक्षा का प्रदर्शन करते कहा, “तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में गई।”

फिर मनमोहन जी ने दूसरा प्रश्न किया, “क्या इतिहास जानते हो? महारानी लक्ष्मीबाई कब और कहाँ हुई तथा उन्होंने कैसे लडाई की?”

नाविक ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की तो मनमोहन जी ने विजयीमुद्रा में कहा, “ये भी नहीं जानते तुम्हारी तो आधी जिंदगी पानी में गई।”

फिर विद्या के मद में मनमोहन जी ने तीसरा प्रश्न पूछा, “महाभारत का भीष्म-नाविक संवाद या रामायण का केवट और भगवान श्रीराम का संवाद जानते हो?”

अनपढ़ नाविक क्या कहे, उसने इशारे में ना कहा, तब मनमोहन जी मुस्कुराते हुए बोले, “तुम्हारी तो पौनी जिंदगी पानी में गई।”

तभी अचानक गंगा में प्रवाह तीव्र होने लगा। नाविक ने सभी को तूफान की चेतावनी दी और मनमोहन जी से पूछा “नौका तो तूफान में डूब सकती है, क्या आपको तैरना आता है?”

मनमोहन जी घबराहट में बोले, “मुझे तो तैरना-वैरना नहीं आता है?”

नाविक ने स्थिति भांपते हुए कहा, “तब तो समझो आपकी पूरी जिंदगी पानी में गयी।”

कुछ ही देर में नौका पलट गई और मनमोहन जी बह गए।

शिक्षा:-
मित्रों, विद्या वाद-विवाद के लिए नहीं है और ना ही दूसरों को नीचा दिखाने के लिए है। लेकिन कभी-कभी ज्ञान के अभिमान में कुछ लोग इस बात को भूल जाते हैं और दूसरों का अपमान कर बैठते हैं। याद रखिये, शास्त्रों का ज्ञान समस्याओं के समाधान में प्रयोग होना चाहिए, शस्त्र बना कर हिंसा करने के लिए नहीं।

कहा भी गया है, जो पेड़ फलों से लदा होता है उसकी डालियाँ झुक जाती हैं। धन प्राप्ति होने पर सज्जनों में शालीनता आ जाती है। इसी तरह, विद्या जब विनयी के पास आती है तो वह शोभित हो जाती है। इसीलिए संस्कृत में कहा गया है, ‘विद्या विनयेन शोभते’। 


2. फूलवती का बगीचा

एक गाँव में एक किसान परिवार निवास करता था। उस परिवार में हरिराम और उसकी पत्नी सुमेधा और उनका पुत्र अभिषेक और पुत्री फूलवती रहते थे। फूलवती घर में सबसे छोटी और नटखट थी। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा के लिए गाँव के विद्यालय में दाखिला हो गया। उस विद्यालय में आवश्यक सभी व्यवस्थाएँ थीं। वह नियमित विद्यालय जाती और अपनी पढ़ाई करती। उस विद्यालय में एक तरफ सब्जी और फल उगाए जाते थे। फूलवती ने उत्सुकता से अपनी क्लास के शिक्षक से किचिन गार्डन के बारे में पूछा! 
तब उन्होंने फूलवती को किचिन गार्डन के लाभ और विकसित करने का तरीका भी समझाया। फूलवती ने उसी समय सोच लिया था कि वह भी अब अपने खेत में किचिन गार्डन बनायेगी। उसने घर आकर इसके बारे में अपने पिताजी को बताया। पिताजी ने कहा, "अपने पास खेत है और पानी भी है।" 
फिर फूलवती ने अपने घर पर किचिन गार्डन विकसित किया, जिसमें मिर्ची, टमाटर, भिंडी, लौकी, तोरई, कद्दू, अमरूद और भी अलग-अलग सब्जी और फलों के वृक्ष लगाये। 
एक दिन फूलवती अपने किचिन गार्डन से सब्जी तोड़कर अपने विद्यालय में ले गयी। उससे स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने पूछा तो फूलवती ने बताया कि, "हमारी कक्षा के कक्षाध्यापक जी ने किचिन गार्डन के बारे में बताया। उसी से मैंने सीखकर अपने घर में पिताजी की मदद से किचिन गार्डन बनाया। उसी में से सब्जी लेकर आयी हूँ।"
प्रधानाध्यापक बहुत खुश हुए और उन्होंने किचिन गार्डन के बारे में स्कूल में सभी बच्चों को बताया, जिससे सभी बच्चे प्रेरित हुए। ज्यादातर बच्चे अपने-अपने घर सब्जी और फलों के पौधे उगाने लगे। 

संस्कार सन्देश -
प्रत्यक्ष अनुभव हमारे जीवन में शिक्षा को स्थायित्व प्रदान करते हैं।