1. बाल कहानी - अनोखा सिक्का
एक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोनों ही बहुत ही समझदार और होशियार तथा उतनी ही सुन्दर थीं । छोटी वाली पुत्री को अपनी सुन्दरता पर बहुत घमण्ड था । वह कहती थी कि, "मैं ज्यादा सुन्दर हूँ, इसलिए राजा जी यानी कि मेरे पिताजी मुझे ज्यादा प्यार करते हैं ।" जबकि ऐसा नहीं था । राजा को अपने दोनों ही बेटियाँ बहुत ही ज्यादा प्यारी थीं । वे दोनों से ही समान व्यवहार करते थे और अपने बेटे राजकुमार को भी उतना ही प्यार करते थे । जब भी कोई रक्षाबन्धन या भाई - दिवस का त्योहार आता तो वह राजकुमार से कोई न कोई कीमती चीज दोनों बेटियों को दिलवाते थे । इस बार के भाई - दूज के त्योहार पर राजकुमार ने अपनी दोनों बहनों को एक - एक सिक्का उपहार के तौर पर दिया, लेकिन छोटी वाली को बहुत खराब लगा । उसने उठाकर वह सिक्का सड़क में यानी की जमीन में फेंक दिया कि मेरे यह किस काम का ? जैसे ही सिक्का जमीन पर गिरा, उसने से एक दुआ निकल और एक जिन निकल कर आया और उसने छोटी बेटी को श्राप देते हुए कहा, "तुमने मेरा अपमान किया है । अब मैं तुम्हें श्राप देता हूँ कि तुम दुनिया की सबसे बदसूरत शक्ल की लड़की बन जाओ ।" राजकुमारी बहुत घबरायी और क्षमा माँगने लगी । कुछ समय पश्चात वह वहाँ से गायब हो गया । अब राजकुमारी ने जैसे ही शीशा देखा, वह एक काली - कलूटी बदसूरत - सी लड़की बन चुकी थी । वह बहुत रोई और अपनी बहन से बोली, "तुम मुझे कृपया फिर से पहले जैसा सुन्दर बना दो ।" लेकिन बहन चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी और तब वह जाकर के राजकुमार के पास गयी और उसे सारी बातें बतायीं तो राजकुमार ने तुरन्त जिन को बुलाया और डाँटते हुए बोला, "तुम मेरी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ?" तो जिन बोला, "अब यह श्राप तो किसी न किसी को अपने ऊपर लेना पड़ेगा, क्योंकि जो श्राप मैंने एक बार दे दिया, उसे मैं वापस नहीं ले सकता ।" राजकुमार ने कहा ठीक है, "तुम मुझे काला और बदसूरत कर दो, लेकिन मेरी बहन को पहले से भी कहीं ज्यादा सुन्दर और खूबसूरत कर दो ।" जिन ने उसकी बात मान ली और ऐसा ही किया । अब जब राजकुमारी ने अपना शीशे में मुख देखा बहुत खुश हुई और अपने भाई से अपनी गलती की क्षमा माँगी । राजकुमार बोला, "कोई भी वस्तु या इन्सान हो, सभी मूल्यवान होते हैं । हमें उसका अपमान नहीं करना चाहिए ।" राजकुमारी को बात समझ में आ गई और उसने अपनी गलती के लिए सबसे क्षमा माँगी ।
संस्कार सन्देश - हमें कभी भी अहंकार के वशीभूत होकर किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ।
2. तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ।
3. ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहुंगा ।