Small efforts in Hindi Classic Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | छोटे-छोटे प्रयास

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छोटे-छोटे प्रयास

1. किसान की सीख

एक बार बादलों की हड़ताल हो गई बादलों ने कहा अगले दस साल पानी नहीं बरसायेंगे। ये बात जब किसानों ने सुनी तो उन्होंने अपने हल सम्भाल कर रख दिये, लेकिन एक किसान अपने नियमानुसार हल चलाता रहा। यह देख उधर से गुजर रहे बादलों ने किसान से पूछा, भाई पानी तो हम बरसाएंगे नहीं फिर क्यों हल चला रहे हो? किसान बोला कोई बात नहीं पानी जब बरसेगा तब बरसेगा लेकिन मैं हल इसलिए चला रहा हूँ कि मैं दस साल में कहीं हल चलाना न भूल जाऊँ। अब बादल भी घबरा गए कि कहीं हम भी बरसना न भूल जाएं। तो वो तुरंत बरसने लगे और उस किसान की मेहनत जीत गई। सो लगे रहो भले ही परिस्थितियां अभी हमारे विपरीत है, लेकिन हमें अपने प्रयास नहीं छोड़ने चाहिये।

शिक्षा- कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत करना नहीं छोड़ते हैं।


2. गुरु की सीख   

श्याम अपने अभी तक के जीवन से निराश होकर अपने गुरु जी के पास गया। उसकी निराशाजनक बातें सुनते हुए गुरु जी उसे नदी किनारे ले गये। थैले से एक गिलास निकाल कर उसे नदी से पानी लाने को कहा। फिर एक नमक की पुडिया गिलास में मिलाकर पीने को कहा। फिर बोले पानी का स्वाद कैसा था ? श्याम ने उत्तर दिया, "पानी नमकीन था। " गुरु जी ने फिर से कहा "अब ये दो पुडिया नमक नदी में डालो और नदी से एक गिलास पानी निकालकर पी लो।" श्याम ने वही किया। "अब स्वाद कैसा है ?" गुरुजी ने पूछा, श्याम बोला,"गुरु जी यह पानी सामान्य पानी के स्वाद जैसा ही है।" यह सुनकर गुरुजी बोले देखो दोनों बार नमक का इस्तेमाल किया गया पर स्वाद भिन्न था। कम पानी का तो स्वाद बदला, किन्तु ज्यादा पानी को नमक प्रभावित नहीं कर पाया। ठीक इसी प्रकार नमक हमारी जिन्दगी की परेशानी है, और पानी हमारी सोच। हर किसी के जीवन में नमक रूपी परेशानियाँ आती हैं, पर जिनका नजरिया नदी जैसा विशाल होता है, उन्हें जीवन की कुछ कठिनाइयों से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, और जिनका नजरिया गिलास जैसा छोटा होता है, उन्हें जीवन मे हर जगह निराशा दिखती है। इसलिए हमें अपनी सोच का विस्तार करना चाहिए ।

शिक्षा - जीवन के प्रति अपना नजरिया बदल लेने से जिन्दगी बदल जाती है ।


3. छोटे - छोटे प्रयास

एक बार एक गांव में आग लग गई। सारे गांव के लोग आग बुझाने को दौड़े। एक पेड़ पर बैठी चिड़िया यह सब देख रही थी। वह भी इस नेक काम में जुट गई। चिड़िया अपनी चोंच में पानी भरती और लाकर आग में डालती। एक कौवा जो पास ही पेड़ में बैठा था, यह सब तमाशा देख रहा था, चिड़िया को देख देख कर हंस रहा था। उसने चिड़िया से कहा --"अरे चिड़िया तुम्हारे बुझाने से ये आग कम भी नहीं होगी। तुम्हारी कोशिश बेकार है। अतः अपनी इन फालतू कोशिशों को बंद करो। "चिड़िया बोली मैं जानती हूं मैं आपको नहीं बुझा पाऊंगी, परंतु इतना याद रखना इतिहास में जब भी  इस घटना का जिक्र होगा तो मेरा नाम भी गर्व से लिया जाएगा और तुम्हारा तमाशा देखने वालो में। यह सुनकर कौवा लज्जित हो गया और वहां से उड़ गया।

शिक्षा- हमें फल की चिंता न करते हुए अपने छोटे-छोटे प्रयास जारी रखने चाहिए।